पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३१५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मेलाठेला-पेवा माना भाड। २ देवदर्शन, उत्सव, खेल, तमाशे आदिके लिये। सिंह मन्दिर भी उल्लेखयोग्य है। करीब चार सो श्री- वहुत से लोगोंका जमावड़ा। वैष्णव ब्राह्मण चेलुवापुल्ल मन्दिरमें रहते हैं। उक्त सम्म- मेलाठेला ( हिं० पु०) भीड़ भाड़ और धक्का, जमावड़ा। दायके गुरु भी यहीं रहते हैं। मेलानन्दा (सं० स्त्री०) मस्याधार, दवात । सूती कपड़े और खसखसके पंखेके लिये यह स्थान मेलानी (हिं० क्रिक) १ मेलनाका प्रेरणार्थक रूप । २ बड़ो मशहूर है। यहां 'नाम मृत्तिका' नामकी एक रेहन या गिरवी रखी हुई वस्तुको रुपया दे कर छुड़ाना।। प्रकार सफेद मिट्टी मिलती है जो वैष्णवोंकी आदरको मेलान्धु (सं० स्त्री० ) मस्याधार, दवात। . चीज है। तिलक लगानेके लिये वह काशी, धृन्दावन मेलापक (सं०९०) समिालन, प्रहादिका संयोग। आदि स्थानों में भेजी जाती है। मेलामन्दा (सं० स्त्री०) मस्याधार, दवात । ! मेलुद (सं० पु०) वौद्धमतानुसार एक बहुत बड़ी संख्या- मेलाम्बु (सं० पु०) मेलेव अम्बु भन । मस्याधार, दवात ।। का नाम । मेलायन (सं० क्ली०) सम्मिलन । | मेलूर-१ मद्रासप्रदेशके मदुरा जिलान्तर्गत एक उप- मेलाव-वम्बई प्रदेशके वड़ोदा राज्यान्तर्गत एक नगर । यह विभाग। भूपरिमाण ६२८ वर्गमील है। २ उक्त उप- अक्षा० २३'३४३० तथा देशा०७२° ५२ पू०के मध्य विभागके अन्तर्गत एक गण्ड प्राम । अवस्थित है। मेलूर-मैसूर राज्यके वालोर जिलान्तर्गत एक गएड- मेली (हिं० पु०) १ मुलाकाती, वह जिससे मेल हो, प्राम। यहां प्रति वर्ष चैत्र शुक्ल पक्षमे गंगादेवीके उद्देश्य संगी।(वि.)२ हेल मेल रखनेवाला, जल्दो हिल मिल से १४ दिन तक एक मेला लगता है इस मेले में सैकड़ों जानेवाला। गाय आदि पशु विकते हैं। मेलु-बौद्ध मतानुसार एक बहुत बड़ा संख्याका नाम1 | मेल्टिग केरल (4० पु० ) सरस गलानेकी देगचा । मेलुकोट-मैसूरराज्यके हसन जिलान्तर्गत एक बड़ा गांव। यह एक ढकनेदार दोहरा वरतन होता है। नोनेके बर- म्युनिस्पलिटीकी, देखरेखमें रहने के कारण यह साफ तनमें पानी भर कर उसके अन्दर दूसरा वरतन रख सुधरा है। यह अक्षा० १२ ४० उ० तशा देशा० कर उसमें सरेस भर देते हैं और ढक कर आंच पर ७६ ४३ पू०के वीच पड़ता है। यहाँके अधिवासियोंमेंसे चढ़ा देते हैं। पानीको मापसे सरेस गल जाता है। श्रीवैष्णवकी ही संख्या अधिक है। गल जाने पर उसे रोलर मोल्डमें ढाल देते हैं जिससे पहले यहां एक महासमृद्धिशाली नगर था। काल- वह जम जाता है और स्याही देनेका बेलन तैयार हो फर कमसे यद्यपि वह नष्ट हो गया, तो भी आज उसका निकल आता है। खंडहर वहांको पूर्वस्मृतिका गौरव घोषणा करता है। मेलहना (हिं० स्त्री०) एक प्रकारको नाव । इसका सिक्का इसीसन् १२वीं सदी वैष्णवधर्मप्रवर्तक रामानुज खड़ा रहता है। चोलराजके अत्याचारसे बचनेके लिये यहां ११ मेवराजपूतानेको ओर वसनेवाली एक लुटेरी जाति । वर्ण ठहरे थे। उसी समयसे यहां वैष्णव ब्राह्मणोंका मेव पहले हिन्दू थे और मेवातमें वसते थे, पर मुसल- भट्टा जम गया है। वल्लालवंशीय नरपतियोंको वैष्णव- मानी बादशाहतके जमाने में ये मुसलमान हो गये। अब धममें दीक्षित कर उन्होंने वहुत-से रुपये पाये थे और ये लोग लूट पाट प्रायः छोड़ते जा रहे हैं। उसी रुपयेसे देवमन्दिरका खर्च चलाया था। १७७१ | मेवड़ी (हिं० स्त्री० ) निगु डी, संभालू । ई में महाराष्ट्र सेनाने जब नगरको नष्ट भ्रष्ट कर डाला | मेवा ( फा० पु०) १ खानेका फल । २ किशमिश, बादाम, तवसे यह नगर श्रीभ्रष्ट हो गया है। अखरोट आदि सुखाए हुए बढ़िया फल । यहांका वेल्लुवायुल्लेराय नामक सर्वप्रधान श्रीकृष्णका मेवा (हिं० पु० ) सूरतके गन्नेकी एक जाति। इसे मजु. मन्दिर मैसूरराज्यकी देखभालमें है। पहाड़ परका नर-रिया भी कहते हैं।