पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३२१

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मेवात-मेष गजनोपति मह्म दके राजपूताना आक्रमणके समय मेवासा-वम्बई प्रदेशके काठियावाड़ विभागके अन्तगत ११वों सदी में मेवोंने मुसलमान-धर्म अवलम्बन किया। उस एक छोटा सामन्तराज्य। यहांके सामन्तराज बडोदाके समयसे उनमें हिन्दू और मुसलमानोंको अनेक मिश्रित गायकवाड़ तथा बृटिश-सरकारको वार्षिक कर देते हैं। आचार व्यवहार प्रचलित हैं। मेवगण वराइचके मुसल- | मेवासी (हिं० पु०) १ घरमें रहनेवाला, घरका मालिक। मान पोर सैयद सालर मशाउदकी बड़ी भक्ति करते हैं। २ किलेमें रहनेवाला, संरक्षित और प्रवल । भारतके अन्यान्य पीरोंको दरगाह देखनेके लिये वे प्रायः | मेशिका (सं० स्त्री० ) मञ्जिष्ठा, मजीठ। तीर्थयात्रा करने हैं किन्तु कभी भी हज नहीं करते। मेशी (सं० स्त्री०) जल। हिन्दूके त्योहारोंमे होली और दिवालोको वे बड़े | मेष (स'. पु०) मिषति अन्योऽन्यं स्पर्द्ध ते इति मिप- धमधामसे मनाते हैं। हिन्दूके जैसा उनकी भी कन्याएं स्पर्धायाम् अच् । १ पशुविशेष, भेड़ा। पित सम्पत्तिकी अधिकारिणी नहीं हो सकती। उनमें "मेषेण सूपकाराणां कलहो यत्र वद्धते । सगोत्र-विवाह निषिद्ध माना जाता है, पुरुष और स्त्रीका स भविष्यत्यसन्दिग्धं वानराणां भयावहः।" वेषभूषा हिन्दूके समान है। (पञ्चतन्त्र श६२) विद्याशिक्षामें इनका कोई विशेष अनुराग नहीं है। मूर्ख होनेके कारण वे प्रायः कठोर भाषाका प्रयोग करते हैं। संस्कृत पर्याय-मेढ , उरन, उरण, ऊणायुः, पित, सामाजिक सम्भ्रमकी रक्षा कर कथोपकथनमें वे बड़े एड़क, भेड़, हुड़, ङ्गिण, अवि, लोमश, वली, रोमश, अनभ्यस्त हैं। उनमें पुत्र वा कन्या-हत्या प्रचलित थो पर भेड, भेड़क, लेएट, हुलु, मे एटक, हुड़, सफल। (हेम) अब वह प्रथा सम्पूर्णरूपसे जाती रही । दुई दस्युत्ति इसके मांसका गुण मधुर, शीतल, गुरु, विष्टम्भा और वृहण है। (राजनि० ) राजवल्लभके मतसे पित्त और कफ छोड़ देने पर भी आजकल वे चोरी करनेके कारण बढ़ानेवाले पदार्थ तथा कुसुम्म शाकके साथ इसका आत्मसम्मानको रक्षा नहीं कर सकते। उनमें फकीर मांस खाना बड़ा अनिष्टकारक है । मेष देखो। लालसिंहके वंशधर हो बड़े सम्माननीय हैं। ये किसीके २ औषधविशेष । ३ ( मेदिनो) ३ नैगमेष ग्रह । (भाव- हाथका भी अन्न या जल ग्रहण नहीं करते किन्तु दूसरे सम्प्रदायकी कन्या लेनेमें वाध्य होते हैं। मीना देखो। प्रकाश) ४ एरक । ५ जीवशाक सुसना । (राजनि०) ६ राशि- विशेष । मेषराशि अश्विनी, भरणी और कृतिका नक्षत्रों मेवात-राजपूतानेके उत्तर-पूर्व अधित्यका भूमिके अन्तर्गत के प्रथम पादमें यह राशि होतो है । वैशाख महीनेमें मेवात प्रदेशको एक शैलश्रेणी। यह दिल्ली और पंजाब | इस राशि सूर्य उगते हैं। वारह राशियों के चक्रमे इस- प्रदेशक गुरगांव जिलेके सीमान्त देशमें अवस्थित है । का प्रथम स्थान है। इस राशिसे दूसरो दूसरी राशि- मेवाती-राजपूतानेकी प्राचीन मेवात प्रदेशमें रहवजेवाली की गणना होती है। एक जाति । मेवाफरोश (फा० पु०) फल या मेवे बेचनेवाला। ___ ज्योतिषमें इस राशिके खरूप और सज्ञादि विषय- मेवास- बम्बईप्रदेशके खान्देश पालिटोकल एजेन्सीके का वर्णन इस प्रकार है । मेष-पुरुष, चर, अग्निराशि, अन्तर्गत एक सामान्तराज्य । यह सतपुरा पर्वतके दाङ्ग, चतुष्पद रक्तवर्ण, उष्ण-भाव, पित्तप्रकृति, अति- पश्चिममें अवस्थित है। नर्मदा और ताप्तीके वहनेके शय शब्दकारी, पळतचारी, उपप्रकृति, पीतवर्ण, दिनमें कारण यह स्थान बहुत स्वास्थ्यप्रद है। यहांके अधि-बलवान् , पूर्व दिशाका अधिपति, विषमलग्न, अल्पस्त्री- • वासी भील जातिके हैं। ये लोग रणप्रिय और दुद्धर्ष प्रिय, अल्पसन्तान रुक्षवपुर, क्षत्रियवर्ण, समान अंग। (नीलकपठी ताजक) हैं। चिखली, नालसिंहपुर, नवलपुरी, गभोलो और काठी नामक पांच सामन्तराज्य ले कर यह संगठित हुआ यवनेश्वरके मतसे मेष आध राशि है। इससे है। यहांको शीशमका तख्ता बहुत प्रसिद्ध है। .. समान शरीर, कालपुरुषका मस्तक, वकरे और भेड़े की