पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३२९

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३२६ . 'पेहघ्नी-मेहर मेहन्नो (सं० स्त्री०) मेहं हन्तीति इन हक् ङोप् । हरिद्रा, सेर, दूध ४ सेर, चूर्णके लिये नीमको छाल, चिरायता, हल्दी । गोखरू, अनार, रेणुक, वेलसोंठ, देवदारु, दारुहरिदा, मेहतर फा० पु०) १ बुजुर्ग, सबसे बड़ा । २ नीच मुसल- मोथा, त्रिफला, तगरपादुका, दारु, जामुनकी छाल, बस- मान जाति । यह झाड़ देने, गंदगी उठाने आदिका मूल कुल १ सेर । पोछे तैलपाकके विधानानुसार इसका काम करती है। पाक करना होगा। यह तेल लगानेसे प्रमेह, सूत्रदोष, मेहदी-अफ्रिकावासी दुईर्ष मुसलमान जाति । फतोया- हाथ पैर और मस्तककी ज्वाला बहुत जल्द दूर होती वंशीय अफ्रिकाके प्रथम खलीफो मेहदासे इस सम्प- है। (मैषज्यरत्ना० प्रमेहरोगाधि०) दायका 'मेहदी वा मेधी' नाम पड़ा। मिस्र अङ्गः मेहमुद्गरस (सं० पु. मेहे मेहरोगे मुद्गर इव रसः। प्रमेह- रेजी प्रभुत्व स्थापित होनेके बाद यहाँकी अङ्गरेज गव- रोगका एक औषध । प्रस्तुत प्रणालो- मेण्ट अफ्रीका राज्यकी सीमा बढ़ानेके उद्देश्यसे रसाजन, साँचर नमक, देवदारु, बेलसोंठ, गोखरूका आस पास के राज्योंको हड़प करने लगी। इसी सूत्रसे बोया, मनारका वोया प्रत्येक एक तोला, लौह ६ तोला, सुदानके मेहदियोंके साथ वृटिश सरकारका घोर संघर्ष गुग्गुल १ पल। इन सब द्रष्योंको एक साथ धोमें मिला उपस्थित हुआ। गत १८८४-८५ ई०के सूदनको लड़ाई कर मले। बाद उसके एक रत्तीको गोली बनाये । इस- में अङ्ग्रेजसेनापत्ति लार्ड किचनर १८६७ ई०में सूदनके के सेवनसे वोस प्रकारका प्रमेह और मूत्रकृच्छादि अति मकवरेको कलङ्कित कर मेहदीजातिकी शक्ति कमजोर कर शीघ्र जाता रहता है। (भैषज्यरत्ना० प्रमेहरोगाधि०) दी थी। इसी वीरताके कारण वे सरदार किचनरकी | मेहमदरवटिका (संखो०) प्रमेह रोगको गोलो। इसके उपाधिसे भूषित हुए। आज भी जव कभी अगरेजोंके बनानेका तरीका-रसाञ्जन, सांचर नमक, देवदारु, घेछ- साथ किसीका युद्ध होता है, तव मेहदी-सम्प्रदाय उसके सौंठ, गोखरूका वीया, अनार, चिरैता, पीपलकी जड़, विरुद्ध हथियार उठाता है। प्रत्येक एक तोला, लौहचूर्ण, गुग्गुल १ पल इन सबोंको मेहन (सं०क्की) मिहति सिञ्चति मनरेतसी इति मिह धीमे अच्छी तरह मिला कर १माशाकी गोली बनावे । सेचने ल्यु। १शिश्न, लिंग। २ मूल, मूत, इसका अनुपान वकरोका दूध या अल है। इसका सेवन मेहनत (अ० स्त्री०) मिहनत, श्रम। करनेसे सब प्रकारका प्रमेह, मूत्रकृच्छ, पाण्ड, हलोमक मेहनताना (फा० पु०) किसी कामकी मजदूरो, परिश्रमका आदि रोग प्रशमित होता है। (भैषज्यरत्ना० प्रमेहरोगाषि०) मूल्य । | मेहर (फा० स्त्रो०) मेहरवानी, कृपा । मेहनती (अ० वि०) मेहनत करनेवाला, परिश्रमी मेहर-आगरामें रहनेवाले एक मुसलमान कवि । ये मेहना (सं० स्त्री० ) मेह्यते क्षार्यते शुक्रमस्यामिति, मिह- चुनारके मुनसिफ थे। इनका यथार्थ नाम मोर्जा हातिम क्षरणे णिच् अधिकरणे युच् स्त्रियां राप। १ महिला, आलिवेग था। पाञ्जमेहर' नामक एक दीवान लिखकर स्त्री। २महनीय। इन्होंने मेहरकी उपाधि पाई थी। १८७३ ईमें ये आगरा- में विद्यमान थे। मेहनावत् (सं० त्रि.)वर्षणविशिष्ठ, वृष्टिप्रद । मेहमान ( फा०पु०) अतिथि, पाहुना। | मेहर-लखनऊके राज्यच्युत नवाव अमीन उद्दौला सैयद मेहमानदारी (फा० स्त्री०) आतिथ्य, गतिथि-सत्कार || आघाभली खांकी उपाधि। ये एक प्रसिद्ध कवि थे।. मेहमानो ( फा० स्त्री०) १ आतिथ्य, अतिथि सत्कार।। इनका वनाया एक उर्दू दोवान पाया जाता है। मेहमिहिरतेल (सं० क्ली०) प्रमेह-रोगोक्त तैलौषधविशेष। मेहर-१ बबई प्रदेशके सिन्धुप्रदेशके शिकारपुर जिलान्त- ' प्रस्तुत प्रणाली-तिलतैल ४ सेर, काढ़ के लिये वेलको र्गत एक उपविभाग। भूपरिमाण १५२५ वर्गमील है । इसके छाल, पहारको छाल, गनियारीकी छाल, गुलञ्च, आंवला, उत्तरमें लरखाना, पूर्ण, सिन्धुनद, दक्षिण में सेवान और अनार कुल मिला कर १२०० सेर, जल ६४ सेर, शेष १६ ) पश्विममें खिलात है।