पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३३०

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मेहरनासिर ( मिर्जा)-पेहानल ३२७ ____ इस विभागका पश्चिमांश पहाड़ी अधित्यकांसे पूर्ण | प्रचलित न थी। विदेशियों में विशेषतः मुसलमानोंके है। यह ६ हजार फीट ऊंचा है। सिर्फ पश्चिम द्वारा ही इस देशमें इसका प्रचार हुआ है। नाराखालके दोनों किनारोंकी भूमि समतल है । इस मेहरावदार ( फा० वि० ) ऊपरको ओर गोल कटा हुआ। छोटी नदी और सिन्धुनदके वोचका भूमाग उर्वरा है। मेहरारू ( हिं० स्त्री०) स्त्री औरत। फसल अच्छी लगनेके कारण यहां वहुर्वा, मारुई, कूदन | मेहरी (हिं० स्त्री०) १ स्त्री, औरत । २ पत्नी, जोरू। आदि और भी बहुत-सी खाड़ियां खोदी गई हैं। पहाड़के | मेहरुन्निसा-सम्राट जहांगीरकी पत्नी नूरजहांकी कन्या । पासको भूमिमें रूई अच्छी लगती है। स्थान स्थान पर | यह शेर अफगानकी लड़की थी। इसीके साथ जहांगीर- लवण प्रधान 'कालर' नामक उपर भूमि है। खीरथर का छोटा लड़का शाहरियारका विवाह हुआ था। पर्वत श्रेणी में फिटकरी पाई जाती है। मेहरुन्निसावेगम-सम्राट् आलमगीरकी ५वीं लड़की। मेहर और खैरपुर-नाथेशाह नामक दोनों नगर ही | यह १६६१ ई०में अरंग महल नामको स्त्रीसे पैदा हुई थी। प्रधान हैं। खीरथर गिरिशृङ्गमें धर-यारो और दन्ना- | सुलतान मुराद वक्सका लड़का युवराज एजिद वक्सने टौअर नामक दो नगरोंकी भावहवा अच्छी है। । इससे विवाह किया था। १७०४ ई०में राजकन्याका पर- ___ यहां एक तरहका मोटा सूती कपड़ा तैयार होता है | लोक-वास हुआ। जो नाव द्वारा हैदरावाद आदि नगगेंमें भेजा जाता है। मेहवज्र (सं० क्लो०) प्रमेहरोगका एक औपध। प्रस्तुत २ उक्त जिलान्तर्गत एक तालुक । भू-परिमाण प्रणाली-रससिन्दूर, कान्तलौह, शिलाजीत, मैनसिल, २८२॥ वर्गमील है। गंधक, त्रिकटु, त्रिफला, बेल, जोरा, निर्मली, हल्दी । इन 3 उक्त जिलान्तर्गत एक प्रधान नगर । यह म्युनिसि-1 सोंको भंगरैयेके रसमें तीस दफे भावना दे कर आध पलिटीकी देख-भालमें है। यह अक्षा० २७२ से ले कर तोलेकी गोलो वनावे। यह औपध मधुके साथ चाटना २७°२१७० तथा देशा०६७°३० से ले कर ६८४० होता है। इसका अनुपान महानीमका वीया तीन पू० ककोल खाड़ीके तौर पर अवस्थित है। तोला, चावलका पानो ८ तोला, घो १ तोला है। इससे मेहरनासिर (मिर्जा )-फारसके राजा करीम खांके कठिन प्रमेह और मूत्रकृच्छ बहुत जल्द दूर होता है। आश्रित एक राजवैद्य ! हकीमी विद्यामें पारदर्शिताके (रसेन्द्रसारस० सोमरोगाधि०) साथ साथ इन्होंने कवितामें भी अच्छा नाम कमाया था | मेहसी-चम्पारण जिलेके मधुवनी महकुमेके अन्तर्गत एक फारसके कवियोंकी बनाई जितनी 'वासन्तीवर्णना' मिली। पुराना वड़ा गांव । यह मुजफ्फरपुरसे मोतिहारी हैं उनमें इनकी लिखी मसनवी ही सबसे अच्छी है। जानेके रास्ते पर अवस्थित है। इष्ट इण्डिया कम्पनीने मेहरवान (फा०वि०) कृपालु, अनुग्रह करनेवाला । वड़ों- जव पहले पहल बंगालमें अधिकार पाया उस समय उन्होंने के सम्बोधनके लिये अथवा किसीके प्रति आदर दिख इसे उत्तर-विहारका सदर बनाया था। यहां वढ़िया लोनेके लिये भी इस शब्दका प्रयोग होता है । तम्बाकू तैयार होता है। यहाँको कोठोके अङ्गरेज लोग मेहरवानगी (फा० स्त्री० ) मेहरबानी देखो। तम्बाकूका वीया लाते थे। मेहरवानी (फा० स्रो० ) कृपा, अनुग्रह । मेहानल (स पु० ) मेहे मेहरोगे अनल इव । प्रमेह मेहरा (हिं० पु०) १ स्त्रियोंकी-सी चेष्टावाला, स्त्री-प्रकृति रोगका एक औपध। इसके बनानेकी प्रणाली-रस- वाला। २ स्त्रियोंमें बहुत रहनेवाला । ३ जुलाहोंकी | सिन्दुर और रांगेका वरावर वरावर भाग ले कर मधुमें चरखीका घेरा। ४ खत्रियोंकी एक जाति। मिलावे। वादमें दो रत्तीको गोलो वनावे । इसका मेहराव ( अ० स्त्रो० ) द्वारके ऊपरका अर्द्ध मण्डलाकार | अनुपान कुत्रको जड़ और दूध है । इसके सेवनसे पुराना बनाया हुआ भाग, दरवाजे के ऊपरका गोल किया हुआ | प्रमेह अति शीघ्र दूर हो जाता है। हिस्सा। मेहराव वनानेको रीति प्राचीन हिन्द शिल्पमें (भैषज्यरत्ना० प्रमेहरोगाधि०)