पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३४७

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मैमनसिंह प्रथा पाई जातो है लेकिन पूर्वी भागमें यह प्रथा नहीं दीखा सिंह लाई गई। इस जिलेमें तबसे शासन सम्बन्धी • पड़ती। वहुत कुछ परिवर्तन हुए हैं । १८६६ ई०मे सिराजगंज ___ सन् १९६६ ई०में मुसलमानोंका बङ्गालमें प्रवेश थाना इससे निकाल कर पचना जिले में तथा वोगरा और हुआ सही, पर पूरब बंगाल उनके शासनमे न आया। ढाका जिलेसे दीवानगंज और अटिया थाना निकाल कर १३५१ ई० में शमसुद्दीन इलियस शाहने समूचे सूखे पर इसमें मिलाये गये। अधिकार जमाया और ढाकाके पास सोनारगांव पूरव ऐतिहासिक चिह्न इस जिलेमे बहुत कम देखनेमे बंगालके सूबेदारोंका काम हुआ। पूरव बंगालमे वलवा| भाता है। केवल मट्टोका एक पुराना किला है जिसका होता रहा और महमूद शाहने १४५५ ई० में इसको फिरसे | घेरा करीव २ वर्गमील होगा। यह सम्भवतः ५०० वर्ष विजय किया । उसका वंश १४८७ तक राज्य करता पहले पहाडी जातियोंका हमला रोकनेके लिये बनवाया • रहा और उस समय यह प्रान्त मुजमावाद सूबेके अन्त- गया था। गत रहा। स्थानीय लोगोंका कहना है, कि सुलतान इस जिलेमें ८ शहर और ६७७० प्राम लगते हुसैन शाह और उसके लड़के नशरत शाहने पूरव मैमन- हैं। जनसंख्या ४० लाखके करीब है। विद्याशिक्षामें सिंह फतह किया था । हुसैन शाहने इस जिलेकी यह जिला बहुत पीछा पड़ा हुआ है। १८८१ ई०से लोगों- दक्षिणो सीमाके पास इकडालामें एक किला बनवाया और का इस ओर कुछ कुछ ध्यान आकृष्ट हुआ है। अभी वहांसे अहमों के विरुद्ध सेना भेजी। कहा जाता है, कि कुल मिला कर३ हजारसे ऊपर स्कूल हैं। इसमेंसे २ हुसैनके नाम पर हुसैनशाही परगना कायम हुआ और शिल्प कालेज, १५० सिकेण्डी और वाकोमें प्राइमरो नशरतशाही आदि २२ परगनोंका नाम उसके लड़केके स्कूल हैं । मैमनसिंह जिला स्कूल, नसिरावादका नाम पर रखा गया। जो हो, पूरव बंगाल पर पूर्ण कालेज और टङ्गलका प्रमथा मनमथ कालेज प्रधान हैं। विजय न हो पाई थी। १६वीं सदीके उत्तराद्ध में इसमें | इनके अतिरिक्त ४० अस्पताल भी हैं। अनेक स्वाधीन राजे उठ खड़े हुए जिनके सरदार भुइया इस जिले में चावल और पटसन बहुतायतसे उत्पन्न कहलाते थे। इन भुईयोंमें ईशा खां प्रसिद्ध था । होता है। यहांके कलंघटर साहवकी रिपोर्ट से मालूम इसीने मैमनसिंहके प्रसिद्ध वंशकी स्थापना की थी। वह | होता है, कि पहले जो सव जमीन परती रहती थी अभी वंश पीछे हैवत नगर और जंगलवारीका दोवान साहव । उसमें पटसन काफी उपजता है। फिर यहां तिल, सरसों, कहलाया । इन लोगोंका राज्य दूर तक फैला हुआ तस्वाकू, ईख आदिका भी अभाव नहीं है। राई, सुपारी, था। राल्फफिच साहव १५८६ ई०में यहां आये थे उन्होंने नारियल, चीनी, गेहू आदि अन्यान्य देशोंसे आमदनी ईशा खांको सभी राजोंमें श्रेष्ठ वतलाया है। उस समय | तथा चावल, पटसन, नील चमड़े, पोतल और तावेके दुसरा प्रसिद्ध भुईया गाजी खानदानका एक सरदार था | वरतन, घी आदि चीजोंकी यहाँसे रक्तनो होती है। जो ढाकाके भावल और मैमनसिहके राज मावल पर पूर्व समयमें किसोरीगंज और वाजितपुरका मल- गनेका शासन करता था । १५८२ ई०में पैमाइशके मल कपड़ा बहुत मशहूर था। दोनों जगह इस इण्डिया समय टोडरमलने मैमनसिंहको सरकार बहामे मिला कम्पनीको कोठो थी । भाजकल भी कहीं कहीं मल- दिया। . मल तैयार होता है। यहां अच्छी अच्छी शीतलपाटो १७६५ ई०में बङ्गालको दीवानी पाने पर मै मनसिह | और चटोई धुनी जाती है। २ उक्त जिलेका एक महकमा । यह अक्षा० २४७ से इष्टइण्डिया कम्पनीके हाथ आया और निभावत नामका हल्केमें मिला लिया गया। १७६५ ई०के करीव मैमन- २५१९ उ० तथा देशा० ८६५६ से १०४६ पू०के मध्य सिंह जिला संगठित हुआ और यहां एक कलक्टर नियुक्त अवस्थित है। इसमें नसिरावाद और मुक्कागाछा नामक शहर और २३६७ ग्राम लगते हैं। इसका अधिकांश हुए। १७६१ ईमें ढोकासे कलक्टरकी अदालत ममन-