पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३५४

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मैसूर ३५१ आ कर महिसुर पर आक्रमण कर दिया । यही कारण | पैदल सेना तथा तोपखाना है। सैनिक केन्द्र केवल है, कि वह बड़ा मन्दिर समाप्त होने न पाया, अधूरा ही | वंगलोर है और वहां भोलन्टीयर राइकलकोर अर्थात् रह गया। | गइकलवाले स्वयं सेवकोंका सैन्यदल है । १६०३में यहांके अधिवासा प्रधानतः कनाड़ी भाषामें बोल- स्वयं सेवक सैनिकोंको संख्या प्रायः १५२५ थी। चिकमल- चाल करते हैं। कहीं कहीं उस भाषामें भी तारतम्य गढ़ और सकलेशपुर में भी राइफलवाले सैनिक हैं। देखा जाता है। कहीं पूर्वाडा-हालमें कनाड़ी अर्थात् | १९०४ ई०को सरकारी मंजूरीके अनुसार मैसूर ७वी सदीको शिलालिपि लिखित कनाड़ी भाषा है। २७२२ सैनिक रखता था जिनमें प्रायः आधे मुसलमान कहीं हालेकनाड़ी या १४वीं सदीके शेष भागमें प्रवर्तित | थे। सिलदार घुड़सवारोंको दो रेजिमेण्ट और वाढ़ प्राचीन भाषा है। इस भाषामें सभी प्राचीन शास्त्र | पैदल सैनिकोंको चार बटालियन है। स्थानीय घुड़- और महिसुरका अधिकांश शिलाफलक लिखे गये हैं और सवार सैनिक मैसूरमे रहते हैं और बाढ़ वटालियन ३रा होसकण्णड़ अर्थात् वर्तमान प्रचलित कणाड़ी भाषा | मैसूर, शिमोगा और वंगलोर में रहती हैं। प्रचलित है। ___युद्धविभागमें टटका करीव १० लाख रुपया खच पहले कहा जा चुका है, कि यहाके अधिवासो | होता है। साधारण कृषिकार्य द्वारा जीविका निर्वाह करते हैं। शिक्षा-पहले तो यह राज्य शिक्षामे बड़ा पिछड़ा सभी खाने लायक वस्तु यहांकी प्रजाओंसे उत्पन्न होती| हुआ था परन्तु सम्प्रति मैसूर सरकारके प्रवन्ध और है । रामो अनाज हो अधिवासियोंका प्रधान भोजन है। प्रयत्नसे शिक्षाका यहां अच्छा प्रचार हो गया है और हो अलावा इसके यूरोपीय वणिकसम्प्रदायके यत्नसे ईख, | रहा है । वंगलोरके सेंट्रल कालेज और मैसूरके महाराजा नारियल, सिनकोना, रुई, तम्याकू, दारचीनी, कहवे, कालेज जो फष्ट प्रेटके है और मद्रास विश्वविद्यालयसे ककोए आदिकी खेती होती है। सम्बन्ध रखते हैं विशेष उल्लेखनीय है। इनके अलावे १८७५-७८ ई०में यहां काफी वर्षा न होनेसे दुर्भिक्ष | और भी इस राज्यमें कई अच्छे अच्छे कालेज हैं और उपस्थित हुआ । प्रजाका क्लेश दूर करनेके लिये खजाने- | मैसूरमे ताताके फंडसे रिसर्च अर्थात् अनुसन्धान से ७ लाख रुपया खर्च किया गया। राजाने दया पर- विभाग भी चलता है। प्राथमिक शिक्षा पर पूर्ण ध्यान वश हो दुर्भिक्ष पीड़ित प्रजाओंको ८० लाख रुपयेको | दिया गया है और शिक्षामे इसे अव उन्नत कह सकते हैं। सम्पत्ति छोड़ दी तथा मनसन हाउस रिलीफ फण्डसे २ उक्त राज्यके अन्तर्गत एक जिला । यह अक्षा० १५ लाख ५० हजार रुपया ले कर खर्च किया गया। । ११ ३६ से १३ ३ उ० तथा देशा०७५ ५५ से ७७ अनाज आदिका वाणिज्य छोड़ कर यहां कागज, | २० पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण ५४६६ वर्ग- कांचको चूड़ी, लाल मरको चमड़ा, कस्वल और पश-| मोल है । इसके उत्तरमें हसन और तुमकुर जिला, पूरवमें सोनेका विस्तात कारवार है। यहां अच्छे अच्छे सूतीके | बङ्गलोर और मान्द्राजका कोयम्बतोर जिला. दक्षिणमें कपड़े भी तय्यार होते हैं। नावके अलावा रेल द्वारा| नीलगिरि और मलवार जिला तथा पश्चिममें कूर्ग है। वाणिज्य चलाया जाता है। मान्द्राज और मराठा-रेलवे- यहांका स्वाभाविक सौन्दर्य बड़ा ही मनोरम है। लाईन इस राज्य हो कर दौड़ गई है। पहाड़ो अधित्यका और उपत्यकाभूमि घने जंगलोंसे, सैनिकशक्ति-रली जून १९०३ को मैसूरको सेनासंख्या | फलो फुली लताओंसे तथा हरे भरे अनाजोंसे शोभा दे ५०८६ थी जिनमें २०६३ गोरे और २६९६ देशी सैनिक | रही है। पश्चिमघाट पर्वतके मलनादप्रदेशसे यह जिला थे। युद्धके ख्यालसे मैसूर नवां डिविजन (सिकन्दरा- पूरवकी भोर नोचा होता गया है। यहां कावेरी नदी वाद )-के अन्तर्गत है और वर्तमान समयमें भारतके | घार-पर्वतको लांघ कर नीचे गिरी है, वह स्थान शिव- प्रधान सेनापतिके अधीन है। इसे घुड़सवार और समुद्र कहलाता है। यहां कावेरो शिवसमुद्र नामक