पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३६२

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मैहिक-मोआमारिया ५६ राधवगढ़ मिला। १८५८ ई०के गदर में विजयराघवगढ़के | मोछ ( हिं० स्त्री०) मूंछ देखो। सामन्त शामिल थे। इसलिये उनकी सारी जायदाद | मोंढा ( हिं० पु०) १ वाँस, सरकंडे या वेतका वना हुआ अगरेजोंने जब्त कर ली। विष्णुसिंहके पौत्र राजा रघुवीर) एक प्रकारका ऊंचा गोलाकार आसन । यह प्रायः सिंह योगी सम्प्रदाययुक्त हिन्दू थे। पीछे राजा रघुवीरने तिरपाईसे मिलता जुलता होता है। २वाहुके जोड़के रेलपथ,खोलनेके लिये वृटिश सरकारको मुफ्तमें जमीन | पास कंधेका घेरा, कंधा। हे दी तथा पण्यद्रव्य पर जो महसूल लगता था, उसे मोआ (मोवा)-राजपूतानेके जयपुर राज्यान्तर्गत एक उठा दिया। इस प्रत्युपकारमें अगरेजोंने १८७७ ई०के नगर । यह अक्षा० २७३ उ० तथा देशा० ७६ ५६ पू० दिल्ली दरवारमें राजाको वंशानुक्रमिक राजाको उपाधि आगरासे अजमेढ़ जानेकी पक्की सड़कके किनारे और सम्मान-सूचक | सलामी तोपें दी। अवस्थित है। यह राजवंश स्वराज्यके मध्य अंगरेज-शासनविधि- मोगा (मोवा)-वम्बई प्रदेशके काठियावाड़ विभागान्त- से कोई सम्बन्ध न रखते हुए राजकार्यकी परिचालना | र्गत एक वन्दर और नगर। इसका वर्तमान नाम मुहुरा कर सकते हैं, केवलमान गुरुतर अपराध और यूरोपियों- है। यहांसे स्थानीय सामुद्रिक वाणिज्य परिचालित के विवाद संक्रान्त विचारमें उन्हें गवर्नमेएटकी सलाह होता है। लेनी पड़ती है। वर्तमान सामन्तको नाम है श्रीमन राजा व्रजनाथसिंह जू देव वहादुर । उन्हें वृटिश सर- मोमामारिया-भासामके लखिमपुर जिलेमें रहनेवाली कारकी ओरसे ६ तोपोंकी सलामी मिलती है। राज्यकी एक असभ्य जाति । ब्रह्मपुत्रके दक्षिण और बुड़ी-डिहिङ्ग के उत्तर तथा शिंफाशैलके पश्चिम जो मरक नामक आय करीव चार लाख रुपयेकी है। स्थान है. वहां इस जातिका वास अधिक देखा जाता ___२ उस सामंतराज्यका प्रधान नगर। यह अक्षा० २४'१६ उ० तथा देशा० ८० ४६ पू० दक्षिण प्रदेश है। इसी कारण इनका दूसरा नाम मटक यो मरान पड़ा है। यह आहम जातिकी एक शाखा है। आहम- जानेके विस्तृत रास्ते के किनारे अवस्थित है। १६वीं । सदीमें यहां एक दुर्ग बनाया गया है, जिसमें आजकलके राजवंशका प्रभुत्व और शासनशक्ति हास होनेके कुछ ही राजे रहते हैं। यहां स्थानीय शस्यादि और जंगली समय पहले यह जाति यहां आ कर बस गई है। ये सभी वस्तुओंका वाणिज्य होता है। वाणिज्यको सुविधाके वैष्णवधर्मावलम्बी हैं। आहम-राजाओंने इनमें दुर्गो- लिये यहां इष्ट इण्डिया रेलवे लाइनका एक स्टेशन है। त्सव पूजाविधि प्रचार करनेकी चेष्टा की थी इसीसे सभी उत्तर-पश्चिम और दक्षिणपूर्वमें दो बड़ी बड़ी झीलें। लोग इस तान्त्रिक शक्तिकी उपासनाका घोर विरोधी हैं जिनसे शहरकी शोभा बढ़ गई हैं, साथ साथ वह हो कर राजद्रोहो हो गए। राजा गौरीनाधके समय स्थान स्वास्थ्यप्रद भी हो गया है । जनसंख्या ६८०२ है। इन्होंने निम्न आसाम पर चढ़ाई कर दी। इस समय यहां एक सरकारी डाकघर, एक स्कूल और एक अंगरेज सेनाने विद्रोहियोंको गौहाटीसे मार भगाया ; अस्पताल है किन्तु ये स्वाधीनताकी रक्षा कर कुछ समयके लिये. मैहिक (सं० वि०) मेह रोग सम्वन्धीय, जिसे प्रमेह | स्वतन्त्र सरदारके अधीन राज्यशासन करते रहे। वैष्णव हुआ हो। वीर इस सरदारके वंशधर 'वड़ा सेनापति' उपाधिसे मागरा (हिं० पु०) १ काठका बना हुआ एक प्रकारका | भूपित हुए थे। हथौड़ा जिससे मेख इत्यादि ठोंकी जाती है। २ मोगरा १८२५ ई० में ब्रह्मके रहनेवाले आसामसे विताड़ित देखो। ३ मुंगरा देखो। होने पर अंगरेजराज द्वारा मटकके सरदारवंश स्थानीय मांगला (हिं० पु०) मध्यम श्रेणीका और साधारणतः वाजार राजा बन गये। १८३६ ई०में जव उनकी मृत्यु हो में मिलनेवाला केसर । विशेष विवरण केसर शब्दमें देखो।- गई तव अंगरेजराजने सरदार पुत्र के साथ किसी तरह-