पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३७

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मुद्रातत्त्व ( पाश्चात्य) चित्र है। आर्गमिस नगरके मन्दिरमें गोधका चित्र | डाली पर नियमाण भावमें यूरोपा वैठी हुई हैं। प्लिनि उत्कीर्ण है। इस स्थानकी पीतलकी मुद्रामें एक ऐति- कहते हैं, कि इस सदाबहार पेड़की पत्तियां कभी नहीं हासिक आख्यायिका आविष्कृत हुई है। जव हिरा-1 झड़तीं। दूसरे भागमें एक चैलका चित्र है जिसे मच्छड़ क्लिसने स्पार्टाके विरुद्ध चढ़ाई करनेके लिये सिफियस वहुत तंग कर रहा है। इन सब मुद्राओंका शिल्प-नैपुण्य से सहायता मांगी थी, तब आथेनादेवी सेफियसकन्या अद्भुत प्रतिभाका परिचायक है। इसके जैसा शिल्प- तथा उनकी पुरोहित-स्त्रीने ष्टिरोपको केशपूर्ण एक डिव्या | सौन्दर्य पृथिवीमें और कहीं नजर नहीं आता। दिया था । उस डिब्वेको ऐन्द्रजालिक शक्तिसे किसी मुद्रा पर फलसे लदा हुआ खजूरका पेड़ है। टिरोप आइभ लोगोंको भय दिखानेमें समथ हुए थे। उतानसको मुद्रामें समुद्रदेवता ग्लकस तथा दूसरे जिस समय माकिदन और आफियनके राजे हेल्लासमें भागमें दो जलराक्षस हैं। कुछ मुद्राओंमें हिराक्लिस अपनी अपनी प्रधानताको ले कर लड़ रहे थे उस समयको हाइड्राको लाठीसे मार रहे हैं तथा दूसरे भागमें एक कोतद्वीपको मुद्राओंमें बहुतसे रहस्योंकी मीमांसा हुई | वप्रक्रीडापरायण वृष मूर्ति है। किसी मुद्रामें जियस- है। ये सब मुद्रा ख० पू० ५वीं सदीकी वनी है तथा म्लान बदनसे वृक्ष पर बैठा है और उसके नीचे एक इनमें प्रीकशिल्पको छाया सम्पूर्ण रूपसे दिखाई देतो मुर्गेको प्रतिकृति है । टेलसकी मुद्रामें सुप्रसिद्ध भास्कर है। देवदेवीमें जियास, हीरा, पोसिदन हिराक्लिस, डेडालसकी पित्तलमयी मनुष्य-मूर्ति है। उसके दूसरे ब्रिटोमाटिश और माइनस नगरकी अप्सराओंकी चारु भागमें पक्षशाली एक उलङ्ग युवक दोनों हाथोंसे पत्थर- चितावली है। किसी मुद्रामें भूलभुलैयाँका चित्र है। का टुकड़ा फेकना चाहता है। इससे एक ऐतिहासिक बहुत-सी मुद्राओंमे युरोपाका निदर्शन देखनेमें आता है। तत्त्वका उद्धार हुआ है । आपलोनियस रोडियसका रोमकाधिकार-कालमें रोमक-सम्राटोंका चित्र और वर्णन पढ़नेसे मालूम होता है, कि जब आगंसवासियोंने नामाङ्कित मुद्रा बहुतायतसे देखी जाती है । इन सब क्रीतद्वीप पर आक्रमण करनेके लिये जंगी जहाजोंको मुद्राओंको भाषा लारिन है। मुद्राके एक भागमें Ste / उपकूलमें लगाना चाहा था उस समय स्वदेशप्रोमिक phanos...धारिणी लावण्यवती रमणीमूर्ति और दूसरे टेलसने पत्थर फेक कर उन्हें बाधा दी थी। पीछे मिदिया भागमें वर्म तथा तलवारसे सजित एक योद्धाका चित्र | | की विश्वासघातकतासे वे विनष्ट हुए। है। रौप्यमुद्रामें जरक्लिसका आक्रमण-वृत्तान्त है। इन प्रिससकी म द्राके एक भागमें गर्गनका मस्तक और सव मुद्राओंमें वृपशिरस्क मिनोटर घुटनेको टेक कर एक दूसरे भागमें एक तीरन्दाज तीर फेकने चाहता है। किसो हाथसे सूर्य और दूसरे हाथसे एक सुन्दरी रमणी (अरि- मुद्राके पश्चाद्भागमें एक विचित्र शिल्पचित्र है-दिवनि यत्ली)-को पकड़नेके लिये हाथ बढ़ा रहे हैं । वार्लिन | मियस एक भागते हुए लकड़बग्घेकी पीठ पर सवार म्युजिभममें इस समयको बहुत-सी मुद्राएं संरक्षित हैं। है। दूसरे भागमें हापिस जता पहन कर कदम बढ़ा इन मुद्राओंका सौन्दर्य और शिल्प-नैपुण्य दर्शकके रही हैं। किसी किसी मुद्रामें आसनोपविष्ट दिव- मनको मोह लेता है। किसी मुद्रा में Stephanos... | निसियाकी शान्त और प्रफुल्ल मूर्ति है। धारिणी हीराका चित्र है। स्युन नगरको मुद्रामें धनु- 1 युविया नगरमें प्राचीन ग्रीक आदर्शको मुद्रा पाई गई र्धारिणी रमणीमूर्ति अङ्कित है । वह नगराधिष्ठात्री है। मुद्राके एक भागमें अप्सरामूर्ति और दूसरे भागमें देवी समझी जाती हैं। बहुत-सी मुद्राओंमें यूरोपाकी वप्रक्रीड़ानिरत वृषमूर्ति है। करिष्टसको मुद्रामें एक मूर्ति विद्यमान है। वे बैल पर सवार है और पश्चा ओर पयखिनी गाय अपने वछड़े को दूध पिला रही है द्भागमें एक सिंहवाहिनी मूर्ति है। तथा दूसरे ओर मुर्गेकी मूर्तिके नीचे पारसिक युद्धकी प्लिनिके वर्णनस इन सब घटनाओंका सामञ्जस्य स्मृति दिला रही है। प्रतीच्य उपनिवेशोंको शिक्षा और किया जा सकता है। किसी मुद्रामें एक पवित्र वृक्षकी सभ्यताके केन्द्रस्वरूप कालसिस नगरीको मुद्रा में विस्मय-