पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३८१

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मोचा-पोची मोत्रा (सं० स्त्री०) मुञ्चति त्वचमिति मुच-अच्-टाप ।। संग्रह कर देते थे। उस समय यज्ञ में निहत गौ फिर १ शाल्मलीवृक्ष, सेमरका पेड़। २ कदलोवृक्ष, केलेका | | जिलाई जाती-थी। इसीसे यज्ञीय गो-मांसका कुछ भाग पेड़। ३ नीलीवृक्ष, नीलका पौधा । ५ शल्लकी वृक्ष, | उक्त प्रजापतिके पुत्रको खाना पड़ता था। एक दिन दैव सलईका पेड़। संयोगसे प्रजापतिके पुत्र मरी गायको नहीं जिला सके। केलेको मेचा कहते हैं। केलेके गाछमें पहले मोवा | कारण उनको गर्भवती स्त्रीने यशोय कुछ मांस छिपा पड़ता है तब उससे धीरे धीरे केला निकलता है जो रखा था। मृत गौको पुनः नहीं जिला सकनेके कारण थोड़े ही दिनों में मोटा होता और पकता है। मेोचेकी प्रजापतिके पुत्र अत्यन्त डर गये तथा अन्यान्य प्रजापति- तरकारो बड़ी अच्छी होती है सिर्फ कच्चे पोलेका मोचा योको इसका कारण अनुसंधान करनेको कहा। उसको तीता होता है। गणना कर सोने वता दिया कि स्त्रीने मांस चुराया है। मोचाट (सं० पु.) १ कृष्णजीरक, काला जीरा। २ तव सबोंने उस मांसापहारिका स्त्रीको समाजच्युत कर रम्भास्थि, केलेका गाभ। ३ कदलीवृक्ष, केलेका पेड़। दिया। उसो रोके गर्भसे प्रथम पुत्र मोची हुआ। उस ४ चन्दनवृक्ष। (वैद्यकनि०) । समयसे मनुष्यने यज्ञार्थमें निहत पशुको पुनर्जीवित करने मोचाफल (सं० क्ली०) कदली, केला। में अक्षम हो, गो-हत्या परित्याग किया। मोचारस (सं० पु० ) केलेके थम्भोंका पानी। दूसरा प्रवाद यह है, कि किसी समय ब्रह्मा नाच मोचिक (सं० पु० ) १ केला। २ मोचनकारिणी, मुक्ति करते थे। उस समय उनके शरीरके पसीनेसे मोची वंश- देनेवालो!. का आदिपुरुष मोचोरामका जन्म हुआ। मोचीराम घटना- माचिका (सं० स्त्री०) १ मत्स्यभेद, एक प्रकारको मछली।। क्रमसे दुर्वासा मुनिको क्रोधाग्निमें जल गये। दुर्वासाने २ केला। मोचोरामका अधःपतन करने के लिये एक रूपवती विधवा मोचिन् (सं० वि०) मोचनशोल, छुड़ानेवाला। ब्राह्मण-कन्याको मोचीरामके पास भेजा । वह कन्या मोचिनो (सं० स्त्री० ) कण्टकारी, पाईका पौधा। मोचीरामके सामने जा खड़ी हुई, मोचीरामने उसे मोचिलिन्दा (सं० स्त्री०) राजादनक्ष, घिरनोका पेड़। 'जननी' कह कर सम्बोधन किया। किन्तु दुर्वासाने मोची (सं० स्त्री०) मुच्यते रोगो बयेति मुच्-घ, ङोप । ऐन्द्रजालिक शक्तिसे उस विधवाको गर्भवती कर दिया। १ हिलमांचिका। (नि०) २ मोचिन् देखो। तव जनसाधारण भो मोचीरामको गर्भकर्ता समझने मोचो-बंगाल-विहार में रहनेवाली एक जाति । यह चर्म लगे। सुतरां मोचीराम उस विधवाके साथ जातिच्युत कार-श्रेणीका एक विभाग है। इस जातिके लोग चमड़ा हुए। बादमें यथासमय विधनाके गर्भसे बड़ा राम और साफ करते तथा चमड़े का व्यवसाय कर अपनी जीविका छोटा राम दो यमज पुत्र उत्पन्न हुआ । इन्हीं दो पुत्रोंसे चलाते हैं। वहुतोंका कहना है, कि चमार मोचीसे हीन मोची जाति दो प्रधान विभागों में विभक्त है । यथा-बड़ा है। मोची साधारणतः अस्पृश्य जाति कह कर परिगणित) भागिया और छोटा भागिया । छोटा भागियालोग चमड़े क है। स्थानविशेपसे मोची लोग मृत गोमांस भक्षण नहीं | व्यवसाय तथा वाद्यक्रिया कर और बड़ा भागिया खेती वारी करते, किन्तु चमार लोग गोमांस भक्षण करते हैं। कर अपनो जीविका चलाते हैं। इनमें फिर उत्तर राढ़ी और मोची जूता और अनेक तरहकी चमड़े की वस्तु बनाते दक्षिणराढ़ी दो विभाग है। दोनों विभागके लोग एक हैं। उत्तर-पश्चिम प्रदेशमें मोची लोग मृत गौका चमड़ा साथ बैठ नहीं खाते और न परस्पर विवाह ही करते हैं । नहीं उतारते किन्तु बंगालके मोचो ऐसा करते हैं और वैताल, कोरुड़, मालभूमिया, सरकारी तथा शंखी चमड़े का व्यवसाय भी करते हैं। मोची जूता बनाते और मरम्मत करते हैं। मोचियों की उत्पत्ति ले कर अनेक प्रवाद है। प्रजा ___ मोचियों में काश्यप और शाण्डिल्य गोल हैं, किन्तु पतिके एक पुन देवताओंके यज्ञार्थ गो-मांस और घी, गोत्रको ले कर विवाह विषयमें कोई गोलमाल नहीं है।