पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३८२

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मोची-मोटक ३७६ इनको विवाह प्रथा वहुत कुछ निम्नश्रेणीके हिन्दुओं- । कर विको करते हैं। इस लोभमें पड़ कर वे अकसर सी है। एक आदमीके साथ दो वहिनका विवाह हो । पशु को विष खिला दे और उसके मर जाने पर उसका सकता है। इनमें वाल्य और यौवन दोनों विवाह प्रव. चमड़ा उतार वाजारमें बेच डालते हैं। , लित है जिनमें अकसर वाल्यविवाह ही होता है। मोची मनुष्यका शव स्पश नहीं करता। दूर्गापूजामें ____ डा. भोयाइजने लिखा है, कि पहले मोचियोंकी | महिप-बलि होने पर ये बड़े भादरके साथ उसे ग्रहण विवाह-प्रथा बड़ी जघन्य थी। विवाह-उपलक्षमें व्यभि- 1 चार और शराध खूब चलतो थी। किन्तु अभी उन बहुत मोची ढाफ, ढोल, तवला आदि बनाता है और लोगोंमें कुछ उन्नतिसी जान पड़ती है। उनमें बहु विवाह / वहो वजा कर अपना पेट पालता है। वर्तमान जिले में मवलित है। स्त्रोके ध्यमिचारिणी होने पर स्वामी उसे मोचीयोंको संख्या सर्वापेक्षा अधिक है। आज कल छोड़ सकता है। इसमें गांवके मध्यस्थ या पंचायतको | मोची लोग नाना प्रकारका व्यवसाय और खेतीवारी कर अनुमति लेनी पड़ती है। आजकल मोचियोंको विधवा- काफी लाभ उठा रहे हैं। विवाहमें उतना अनुराग नहीं है। विधवाविवाह दिन मोच्य (सं० त्रि.) मुच-यत् । माचनाह, छोड़ देनेयोग्य । पर दिन घटती ही जाती है। सम्भवतः कुछ दिनोंमें मोछ ( हिं० स्त्री०) मूंछ देखो। यह प्रथा विलुप्त हो जायगी। उनका कहना है, कि मोछिका-यन्त्र (सं० क्लो०) सुराश्च्योतन यन्त, वह वर- विधवाविवाह और वेश्यावृत्तिमें कुछ भी पार्थक्य नहो । तन जिसमें शराव चुआई जाती है। मोजपुर-राजगढ़से दो योजन पश्चिममें अवस्थित एक मोचियों में अधिकांश ही शैव हैं। बहुतेरे बेतुया नगर। मोची वैष्णवधर्म मानते हैं। चेवक होने पर ये शीतला | मोजरा (१० पु०) मुजरा देखो। देवीको सूअरको वलि देते हैं। मोची इनके आदि- मोज़ा ( फा० पु०)१ पैरों में पहननेका एक प्रकारका चुना पुरुष मोचीराम दास और रुईदासकी पूजा करते हैं। | हुआ कपड़ा। इससे पैरके तलवेसे ले कर पिंडली या मोचियोंकी पूजा ब्राह्मण पुरोहित कराते हैं। कहते हैं, घुटने तक ढक जाते हैं। इससे पायतावा (Stocking) कि वलालसेनने वड़ो भागिया मोचियोंकी पूजाके लिये भी कहते हैं। २ पैरमें पिंडलोके नीचेका वह भाग जो एक ब्राह्मण दिया था। ये ब्राह्मण अन्य ब्राह्मणोंसे होन गिट्टी के आसपास और उससे कुछ ऊपर होता है। ३ कुश्ती - समझे जाते हैं। इनके हाथका जल कोई भी ग्रहण नहीं का एक पेंच । इसमें जव खिलाड़ी अपने विपक्षीकी पीठ करता। मोचो लोग मृतदेहको जलाते तथा एक महाने पर होता है, तब एक हाथ उसके पैरके नीचेसे ले जा श्राद्ध करते हैं। छोटा भागिया मोचो डोम हाडीकी तरह कर उसकी वगलमें जमाता है और दूसरे हाथसे उसका ग्यारह दिनमें ही श्राद्ध करता है। मोचीका नापित भी मोजा या पिंडलीके नीचेका भाग पकड़ कर उसे उलट उसकी स्वजाति है। छोटा भागिया मोची और चमार देता है। गोमांस, सूअरका मांस तथा मुर्गा मादि खाता है। बड़ा | मोट ( हिं० स्त्री०) १ गठरी, मोटरी। (पु.)२ चमड़े. भागिया, वेतुया और चाषा कोलाई मोची गो और सूभर- को बड़ा थैला। इसके द्वारा खेत सींचनेके लिये कुए। का मांस तो नहीं खाता पर मुगीं खाता है। ये लोग से पानी निकाला जाता है। इसका दूसरा नाम चरसा 'गांजा और मदिरा आदि खूब पीते हैं । डोमके सिवा और भी है। (वि० ) ३ जो वारीक न हो, मोटा। ४ कम कोई भी इसके हाथका जल ग्रहण नहीं करता। मोलका, साधारण। मोची लोग चमड़ा साफ करते और जूता आदि बनाते मोटक (सं० क्ली०) मुच्यते भुग्नीक्रियते इति मुट-घन, हैं। अलावा इसके ये लोग वांसको चचरी, टोकरी, मेज | ततः कन् द्विगुण भुग्न कुशपत्रलय । श्राद्धादि पितृकाय- भादि भी बुनते हैं। ये मृत गवादिका चमड़ा उतार । में मोटकका प्रयोजन होता है। तीन कुश ले कर