पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३८५

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३६२: मोतीझिरा-प्रोदकर प्रवाह । इट-इण्डिया ( E. I. R ) रेलवे लाइनके महाराज-, बड़ी चेष्टा की गई थी परन्तु पर्वत पर चढ़ना कठिन पुर स्टेशनके समीप यह वहता है। यहां हर साल माघ | समझ कर सेनाओंने यह स्थान छोड़ दिया। महीने में एक मेला लगता है। मोथ (सं० पु.) मुस्तक, मोथा। मोतोभिरा ( हि० पु.) छोटी शीतलाका रोग, मोतिया | मोथा (सं० पु०) १ मुस्तक, नागरमोथा नामक घास। माता निकलनेका रोग। २ उपर्युक्त घासकी जड़ जो ओषधिकी भांति प्रयुक्त मोतो तालाव-मैसूर जिलेके अष्टग्राम तालुकके अन्तर्गत ) होती। यह तृण जलाशयोंमें होता है। इसकी पत्तियां एक छोटा हृद। अनेक झरनोंके आपसमें मिल जानेसे | कुशको पत्तियोंकी तरह लम्बो लम्वो और गहरे हरे रंग- यह वना है। यह अक्षा० १३.१० उ० तथा देशा० ७८ की होती हैं। इसको जड़े वहुत मोटो होतो है जिन्हें २५ पू०के मध्य अवस्थित है। विख्यात वैष्णवधर्म- | सूअर खोद कर खाते हैं। प्रवर्तक रामानुज अब पासके मेलुकोट गांवमें रहते थे मोद (सं० पु० ) मुश्-भावे घञ्। १ हर्ष, आनन्द । २ उसी समय वे इसके चारों ओर वांध बंधवा गये है। पांच भगण, एक मगण, एक सगण और एक गुरु वर्ण- मोतीपल्ली-मद्रासप्रदेशके कृष्णा जिलान्तर्गत एक प्राचीन का एक वर्णन। ३ सुगन्ध, खुशबू । वन्दर। यह अक्षा० १५.४३ ४०” उ० तथा देशा० ८०. मोदक (सं० पु०) मोदयति वाला दीनिति मुद्-णिच ण्वुल । २० पू०के बीच पड़ता है। यहांके निदर्शनोंसे अनुमान १ खाद्य द्रध्यविशेष, लड्डू। होता है, कि एक समय समुद्र किनारे यह नगर बड़ा यह गुड़से बनाया जाता है। भगवती दुर्गा देवी- समृद्धिशाली था। कोई कोई प्रत्नतत्त्वविद् इसे पर्या- को मोदक देने के समय निम्नोक्त मन्त्र पढ़ना होता है। टक मार्कोपोलोवर्णित मुन्फिली ( Mutfili ) नगरी | 'मोदकं स्वादुसंयुक्तं शर्करादिविनिम्मितम् । कहते हैं। १२६० ई०में मार्कोपोलोके परिदर्शनकालमें मरा निवेदितं भक्त्या गृहाण परमेश्वरि ।" इस नगरमें रानी रुद्राम्मा राजत्व करती थीं। उनके (दुर्गोत्सवपद्धति) सुनीतिपूर्ण राजकार्यसे वैदेशिक पर्याटक बड़े प्रसन्न हुए | भावप्रकाशमें और भैषज्यरत्नावली में मथिकामोदक, थे। उस समय यहाँ वाणिज्य खूब होता था। मुस्तामादक, कामेश्वरमोदक, वेसनमादक आदिको मोतीबेल (हिं० स्त्री०) वेलेका वह भेद जिसे मोतिया | प्रस्तुत प्रणाली देखी जाती है। कहते हैं, मोतिया वेला। इनका वर्णन उन उन शब्दोंमें देखो। मोतीभात (हिं० पु०) एक विशेष प्रकारको भात। ___२ औषध आदिका बना हुआ लड्डू । ३ गुड़। ४ मोतीराम-१ एक कवि । इन्होंने कृष्णविनोदकाध्य लिखा। यवासशर्करा । ४ शर्करादि द्वारा पक्कौषधविशेष । सुख- २ कणादके एक पुत्रका नाम । वोधमें लिखा है, कि मेदिक औषधका पूर्णवीयं ६ महीने मोतीलाल-एक भाषा-कवि । ये वाँसी राज्यके रहनेवाले | तक रहता है अर्थात् माइक औषध तैयार कर ६ महीने थे। इनका जन्म १५६७ ई०में हुआ था। इन्होंने तक व्यवहार किया जा सकता है, अन्तमें इसका तेज नष्ट गणेशपुराणका भाषान्तर किया है। हो जाता है। ६ एक वर्णशंकर जाति । इसकी उत्पत्ति मोतीसिरी (हिं० स्त्री०) मोतियोंकी कंठी, मोतियोंकी क्षत्रिय पिता और शूद्र मातासे मानी जाती है। इस जातिके लोग मिठाई आदि बना कर अपनी जीविका माला। मोतूर-मध्यप्रदेशके छिन्दवाड़ा जिलान्तर्गत एक पहाड़ी चलाते हैं। ७ एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरणमें अधित्यका। यह अक्षा० २२१७ उ० तथा देशा० ७८ | चार भगण होते हैं। (वि०) ८ हर्षक, माद या आनन्द देनेवाला । ३७ पू०के मध्य समुद्रपोठसे ३५०० फुट ऊंची है। यहाँ को आवहवा बड़ी ही अच्छी है। एक समय यहां कामत | मोदकर (सं० पु० ) १ एक प्राचीन मुनिका नाम । (त्रि०) तीर सेनानिवासका एक स्वास्थ्यवास स्थापनाके लिये २ हर्षजनक, आनन्द देनेवाला ।