पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मुद्रातत्त्व (प्राज्य) मस नगरको मुद्रा उतनी प्राचीन नहीं है। अधिकांश . जब कोनन और फार्मा वेगसने लासिदोमोनियाके जंगी म द्वामें आथेनाकी मूर्ति तथा तरह तरहकी उत्कीर्ण जहाजोंको पराजित कर एशियाके प्रोक नगरोंको स्पार्टा- 'लिपि हैं। स्पर्णा, सादिस, इफिसस आदि एशियाकी के अत्याचारसे बचाया था। उस समय रोड्स और अन्यान्य नगरोंको मुद्रामे पार्गामसका अनुकरण देखा। सामस-नगरवासियोंने नई मुद्रा हिराक्लिसको शिशु- जाता है। मूर्ति अङ्कित की थी। शिशु हिराक्लिस दो भीषण सपो- द्रयनगरकी मुद्रामे ट्रोजन युद्धका यथेष्ट परिचय के कण्ठ पकड़ कर उन्हें कष्ट दे रहा है। किसी किसी- पाया.जाता है। आविदस नगरके मुद्रातलमें नाहस में खजूरवृक्षके नीचे एक मृगशावक खड़ा है। ई०सनके देचीके सामने एक मेंडे की वलि हो रही है। दूसरी ३०१ वर्ष पहले यहाँ आर्टिकाके मुद्राशिल्पकी प्रधानता ओर ईग्लकी मूर्ति अङ्कित है । किसी म द्रामे तौर धनुष देखी जाती है। इस समय पीतलकी मुद्राको प्रचार हाथमे लिये आपलोकी मूर्ति तथा नाना प्रकारकी ग्रोक- हुआ तथा प्रोकठेवी आर्टमसका चित्र मुद्रातलमें अङ्कित लिपि है। पीतलकी मद्रासे द्रय नगरका इतिहास किया गया। दूसरे सलमें खजूर पेड़के नीचे मृगशाक्क जाना जा सकता है । किसी मुद्रामे घोड़े के रथ पर खड़ा है। इसमें शिल्पीने मानो अपनी सारी निपुणता बैठे हेकर पेट्रोक्लिसके साथ युद्ध कर रहे हैं। दूसरे दिखला दो है। लिसिमेकसने इफिससके टकसाल-घरमें भागमें वाधका बच्चा अथवा यमज भ्राता है। सिक्का ढलवाया और उसमें अपनी स्त्री आसिनीकी किसी मुद्रामें भागने पर उद्यत इलियसकी मूर्ति तथा प्रतिमूर्ति चित्रित की । उसके नाम पर एक नगर वसाया अन्य मुद्रा पर जियास और हीराकी युगल मूर्ति है। गया । इन सब मुद्राओंमे अपूर्व शिल्प-सौन्दर्यका किसी मुद्रातलमें दो कुठारका चिह्न है। . परिचय पाया जाता है। पीछे तलेमोवंशके शासन- · युलिस और लेसवसकी मुद्रामे वेणुचाद्यपरायण | कालमें सम्राशो द्वितीय वानिसके समय अच्छी मुद्रा आपलोको मूर्ति है । यह ई०सन् ४०० वर्ष पहलेको दनो प्रचलित हुई। ई०सन् १३० वप पहलेसे इफिसस है। उसके बादकी किसी किसी मुद्रामें बहुतसे एशियाखण्ड के रोम साम्राज्यका सर्वप्रधान स्थान समझा खदेशवत्सल साधुपुरुषोंकी प्रीतिमूर्ति है। किसी मुद्रा- जाता था तथा ई०सन् ८४ वर्ष पहले विषम विप्लवके में एक ओर थियोफेनिस और दूसरी ओर उनकी पत्नी समय इस स्थानके अधिवासियोंने मिथदतिसका पक्ष देवो आर्किमिदेशकी मूर्ति चित्रित है। लिया। सल्लाको प्रचलित सुवर्ण मुद्रा द्वारा यह घटना ___ आइयोनियाको मुद्रा शिल्पनैपुण्यमें अत्युत्कृष्ट है। प्रमाणित होती है। मुद्रातत्त्वक्ष ममसेन साहवने मिथ- किसीके एक पार्श्वमें शिकारोद्यत भयङ्कर सिंहमूर्ति दातसको मुद्रा द्वारा उस समयका इतिहास लिखा है। और दूसरे पार्श्वमें पक्षविशिष्ट शूकरीकी मूर्ति है। इस समयके वादकी रोमक-मुद्रोका साधारण नाम अलेकसन्दरको पूर्ववती मुद्राओंमें आश्चर्या शिल्पोकर्ण विष्टोफरि (Chistophori ) है। पीछे जब रोममें देखा जाता है। एक भागमें आपलोको दिव्यकान्ति | गृहविवाद आरम्भ हुआ तवसे इस मुद्राका प्रचार घठ और दूसरे भागमें मृणाल भक्षणोद्यत मरालको मूर्ति, गया, सभी जगह राजकीय मुद्रा चलने लगी। इनके हैं। एशियाके अद्वितीय और एकमात्र ख्यातनामा | स्थापत्यशिल्पमें सर्वाङ्गीण उन्नति देखी जाती है। मुद्रा- भास्कर दियोदोतसका नाम मुद्रातल पर खोदा हुआ है। तलमें अङ्कित आर्टेमिसके सुप्रसिद्ध मन्दिरका शिल्पो- इफिनसकी मुद्रामें कोई शिल्पोत्कर्ण नहीं| त्कर्ष देखनेसे विस्मित होना पड़ता है। प्रियण पर्वतके रहने पर भी उनसे अनेक ऐतिहासिक तत्त्वोंका रहस्य शिखर पर जियस वैठे हुए वर्षा कर रहे हैं। आमिस- मालूम होता है। प्रधानतः गुञ्जनपटु मधुकरश्रेणी इन| का मन्दिर अनुपम अप्रतिम शिल्पनैपुण्यका परिचयस्थल सव मुद्राओं पर अङ्कित हैं। ई०सन्के ३०४ वर्ष पहले- है। फिर मन्दिरके नीचे नदीदेवता केष्ठरकी मूर्ति अङ्कित को मुद्रामे पारस्यशिल्पका अनुकरण देखा जाता है। है। इरिथिया नगरकी मुद्रामें एक सवार घोड़े परसे