पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३९३

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३९० मोरा-मोरिसस मोरा-वम्बई प्रदेशके ठाना जिलान्तर्गत एक वन्दर । यहां-) भूमिके कारण यहाँ प्राणनाशक रोगोंका बाहुल्य है। जो से उराण नगरका वाणिज्यद्रष्य भेजा जाता है। यहां गरीब मजदूर अन्नाभावके कारण भारतसे यहां थे उनमेसे प्राय: २२ भटियां हैं। शराव और उराण कारखानेके अधिकांश अकाल होमें काल कवलित हो गये। वंगाल. नमककी रफ्तनो इसी वन्दरसे होती है। के लोग इस द्वीको "मारीचशहर" के नामसे घोषित मोराक (सपु०) काश्मीरराज प्रवरसेनके मन्त्रो। ये करते हैं। रावणके अनुचर मारोचके नाम पर इन मोराकभवन नामका एक देवमन्दिर स्थापना कर गये हैं। लोगोंने इस द्वीपका यह नाम रखा है। मोरादावाद-उत्तरपश्चिम भारतको एक नगर और जिला । यह अक्षा०२० से २०३४ दक्षिण तथा देशा० मुरादाबाद देखो। । ५७२० से ५७४६ पू०के मध्य अवस्थित है। इसका मोराना (हिं० कि० ) १ चारो ओर घुमाना, फिराना विस्तार उत्तर दक्षिण ३८ मोल तथा पूर्व पश्चिम २० २रस पेरनेके समय अखको अंगारीको कोल्हमें दवाना। मील तथा भूपरिमाण ७०० वर्गमोल है। मोरार-मध्यभारतके ग्वालियर राज्यके अन्तगत एक यहाँके अधिवासी मुख्यतः चार भागोंमे विभक्त हैं। नयर। यह अक्षा०२६१६४०"० तथा देशा०७८ पहला भारतीय उपनिवेशिक, दूसरा स्वाधीन दाससम्प- १६३०"पू० सिन्धु नदीकी मोरार शाखाके किनारे अव- दाय, तीसरा फ्रांसीसी औपनिवेशिक और चौथा इस स्थित है। यहां वंगीय सेनादलकी ग्वालियर विभाग- द्वीपके आदि निवासी। को एक छावनी थी। १८५८ ई०के वादसे ले कर १८८६ । यह द्वीप चतुर्दिक सागर-स्थित प्रवाल द्वीप समूहोंसे ई० तक यह स्थान अंगरेजोंके दखलमें था। शेषोक्त वर्षः। परिवेष्ठित है। ये छोटे छोटे द्वीप इतने निम्न हैं, कि में वह सिन्दराजको प्रत्यर्पित किया गया और अंगरेजो ज्वारके समय सम्पूर्ण द्वीप जलमग्न हो जाते हैं । भाठाके सेना झांसी चली गई है। समय केवल इनके उच्च शिखा समुद्रमें शुष्क भूमिके समान दृष्टिगोचर होते हैं। उपरोक्त प्रवाल शृङ्गोमेसे मोरारका-कुण्ड-उत्तरभारतके वुशहर राज्यान्तर्गत एक आजकल कई द्वीप बन गये हैं। मूलद्वीप (मोरिसस)- पर्वतश्रेणी । यह शतद् और यमुनाके बीच अवस्थित है।। में उपस्थित होनेके लिये इन प्रवाल द्वीपोंसे गुजरते हुए मोरासा-वम्बई प्रदेशके अमदावाद जिलेके परान्तिज कई टेढ़ी राहोंसे जाना होता है। उपविभागके अन्तर्गत एक नगर। यह अक्षा० २३ २७ मोरिसस द्वीपमे कई पर्वतश्रेणियाँ हैं । दक्षिण-पूर्व ४५” उ० तथा देशा० ७३ २५४५“पू० महजम नदीके उपकूलमे "बावएट अन्तरोप" की निकटवत्तीं पर्वत- तोर पर अवस्थित है। यह इदर और धुन्धरपुर दो श्रेणियां ३००० फीट ऊंची हैं और उत्तर-पूर्वके लूई सामन्तराज्य और गुजरातके वीच पड़ता है । यहां बन्दरके "पीटरवोट" नाम पवतको चोटी २६०० फीट छींट कपड़े और तेलका विस्तृत कारोवार है। ऊंची है। पर्वतोंके पत्थरोंको देखनेसे ज्ञात होता है, मोरिका (सं० स्त्री० ) एक स्त्री-कवि। . कि ज्वालामुखोके विस्फोटके कारण ही इन पर्चत- मोरिया (हिं० स्त्री०) कोल्हूमें कातरकी दूसरी शाखा जो श्रेणियोंकी उत्पत्ति हुई है। इसका भूमिभाग उर्वरा वांसकी होती। होने पर भी अधिकांश जलमग्न रहता है। मोरिसस-भारत-महासागरस्थित एक द्वीपका नाम। पर्वतीय प्रान्तमे जहाज बनाने लायक ऐसी कोई पहले यह द्वीप फ्रांसीसियोंके अधिकारमे था तथा मरिस्क भी लकड़ी नहीं पाई जाती । हां, जंगलोंमें ईन्न नामसे परिवर्तित हो कर आइल-डो फ्रांस नामसे प्रसिद्ध लौहकाष्ठ तथा लालकाष्ठ आदिसे विशेष आमदनी था। भङ्गरेजोंके अधिकारके पश्चात् भारतीय औप- होती है। किन्तु नारियल, वांस और शहतूत आदिके निवेशिक अधिकांश रूपसे यहां बस गया और उसी दिन- वृक्ष केवल गृहकाय्य तथा जलानेके हो काममे लिये से यह विशेष उन्नत होने लगा बुरे । जलवायु तथा आर्द्र जाते हैं।