पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३९४

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योरिसस-भोरो यहां कार्तिकसे वैशाख पय्यन्त लगातार जलवृष्टि! वटेभिया, वम्बई, सूरत, मस्कट, कलकत्ता, फारस, अरव- होती रहती हैं और इसी कारण वर्पके अधिकांश समय सागरके किनारेके शहर, अफ्रिकाके पश्चिमीय तटवत्ती तक यह द्वीप प्रायः जलमग्न रहा करता है। और खास शहरों, उत्तमाशा अन्तरोप, माडागास्कर तथा इङ्गलैण्ड कर इसीलिये यहांकी वायु अस्वास्थ्यकर रहती है, यहां प्रभृति देशोंको भेजी जाती है। इसके अतिरिक्त यहांसे कड़ोसे कड़ी गमी ८७ डिग्री और कड़ीसे कड़ी नील, लौंग तया अनेक प्रकारके काठ भी दूसरे देशों में- शीतलना.६० डिग्री है । वायु साधारणतः दक्षिण-पूर्व भेजे जाते हैं। भारतवषसे कई और रेशम तथा विला. दिशाको ओर चला करती है। यतसे सूतो कपड़े तथा शराव, तेल, टोपी, लोहा. और यहांकी उपज धान, गेहूं, चना, मकई आदि अन तथा| इस्पातकी वनी व्यवहार्य वस्तुएं यहां आती हैं । अरव और आल, और अनेकों प्रकारकी शोकसब्जियां तथा आमः | फारसके उपकूलवत्ती नगरोंमें मोरिसस चीनीका कार- पपीता और पियारा आदि फल है। इसके अतिरिक्त ऊख । वार है। इसके बदले यहांसे मेवा (सूखे अगूर तथा को खेतो यहां अधिकता होती है। यहाँको पिस्ता आदि ) मोरिसस भेजा जाता है। माडागास्कर चीनी भारतवष तथा यूरोपके कई देशों में भेजी जाती है। द्वीपसे केवल धान तथा जौ आदि पशुओंको रफ्तनी भारतवषमें इस चीनीको मारीचशहरकी चीनी होती है। कहते हैं। सन् १५०५ ई में पोर्तगीज मल्लाहोंने मोरिसस तथा ": यहां घोड़े, गाय आदि पशुओंका एकदम अभाव है। वोवों द्वीपका पता लगाया। १५४५.ई०में उन लोगोंने चरोंके कमीके कारण अन्य देशोंसे ला कर भी नहीं पाला इस द्वीपको अपने अधिकारमें किया, परन्तु तो भी इन लोगोंने यहां वास्तविक उपनिवेश कायम नहीं किया। जा सकता । देशवासी अपने कामके लिये खच्चर और गधे पालते हैं। बकरी, सूअर और भेड़ोंकी संख्या १५९८ ई०में ओलन्दाज व्यापारी यहां आये और उन पर्याप्त है और सर्वसाधारण इसको अपने खाद्यमें लोनौने अपने प्रजातन्त्रक प्रतिष्ठाता मोरिस साहवके व्यवहत करते हैं। नाम पर इस द्वीपका नास मोरिसस रखा । १६४० ई०. में इन लोगोंने प्राण्डपोर्ट नगर वसाया । परन्तु अनुपयुक्त - यहांका प्रधान नगर लूई बन्दर (ort louis) है। जलवायुके कारण १७०८ ई० में इन्हें इस द्वोपको छोड़ना यह अक्षा०२० । दक्षिण तथा देशा०५७पू०के मध्य पड़ा। सन् १७१५ ई० में फ्रांसीसियोंने इस द्वीपको अवस्थित है। द्वीपके उत्तर-पश्चिम कोणके उपसागर- अपने अधिकारमें करके लुई वन्दरमें अपना उपनिवेश की एक छोटी समुद्रखाड़ी पर अवस्थित हैं। खाड़ीकी कायम किया। इनके समयमें इस द्वीपका नाम isle. मुहानाके पास ही टोनेलिया द्वीप तक एक मूगेको france ) पड़ा । १८१० तक यहांका वाणिज्य चट्टान है। तूफानके समय इससे जलपोतोंको रक्षामें बड़ी निष्कण्टक रूपसे फ्रांसीसियोंके अधिकारमें रहा। सहायता मिलती है। फ्रांसीसी तथा अङ्गरेज जैसी सभ्य जातियोंके अधिकार में रहनेके कारण इसको यथेष्ठ परन्तु सन् १८१४ ई०में सन्धिको शौकी जमानत. स्वरूप इन्होंने इस द्वीप अन्नति हुई है। इस शहरके किला, छावनी, अदालत, बाजार, विश्वविद्यालय, थियेटर, अस्पताल, डेक तथा पुस्तकालय उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त महिवर्ग | मोरी ( हिं० स्रो०) १ किसी वस्तु के निकलनेका संग- तथा प्राण्डपोर्ट नामक दो छोटे शहर में अनेकों प्रकारको | द्वार। २ नाली जिसमेंसे पानी विशेषतः गंदा और वस्तुएं क्रय-विक्रय होती है। यहांका शासन "सिचलिस- मैला पानी वहता हो, पनाली.! ३ मोहरी देखो। पुञ्जके साथ साथ सकौंसिल गवर्नर हाथमें हैं। . (स्त्री०).४ क्षत्रियोंकी एक जाति जो चौहान जाति मोरिससकी चीनी तथा अन्यान्य वाणिज्य वस्तुए। के अन्तर्गत है। दिया। ..