पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

.. . मोहनलाल-मोहनी कारागारसे छूटने पर रोजा दुर्लभरामके हाथ पड़े। मोहनलाल-पारस्यभाषाविद् एक हिन्दू-पण्डित ।" सुना जाता है, कि राजा दुर्लभरामने उनकी सम्पत्ति काश्मीर-राजवंशीय राजा मणिरामके पौत्र और पण्डित दखल करने के लिये उन्हें मार डाला था। मोहनलाल- बुद्धसिंहके पुत्र थे। इनका दिल्लीनगरमें वास था। के पुत्र पूर्णियाके फौजदार थे। मोहनने दिल्लो-कालेजमें हो अपना पढ़ना समाप्त किया मोहनलाल--एक हिन्दू कवि । इन्होंने १७८३ ईमें था। १८३२ ई०के जनवरीमें ये पारसी-मुन्सो पद पर आनिस-उल-अहवांव नामक पक तजकीरा सकलन नियुक्त हो कर लेफटिनेण्ट वानिस और डा० जिराईले किवा । उनके ग्रन्थको भणितामें लिखा है, कि साश पारस्यराज्यमें भेजे गये थे। वहांसे लौट कर इन्हों. अयोध्याके नवाब आसफ उद्दौलाने समसामयिक कवि ने पञ्जाब, अफगानिस्तान, तुर्किस्तान, खुरासान और हाजिनका तजकीरा देख कर उन्हें भारतीय कवियोंको पारस्यभ्रमणवृत्तान्त नामक एक पुस्तक लिखी। १८३४ इस प्रकार एक तजकीरा बनाने कहा। इस प्रकार यह | ई०में कलकत्ते में यह किताब छपी थी। ग्रन्थ संकलित हुआ। उन्होंने भणितामें 'आनिस' नाम मोहनवल्लिका (सं० स्त्रो०) वन्दाक, मोहनवल्ली। लिया था। | मोहनशर्मा-अन्योक्तिशतकके रचयिता। इनके पिताका मोहनलालगञ्ज-१ अयोध्याप्रदेशके लखनऊ जिलान्तगत | नाम अनिरुद्ध सूरि था। एक तहसील । भूपरिमाण २७२ वगमील है। यह मोहन- मोहनसिंह-एक हिन्दु-राजा, राव कर्णके पुत्र । १६७२ लालगंज और निगोहन-सिसैन्दी परगना ले कर खुष्टाब्दमें महम्मदशाहसे मारे जाने पर उनको स्त्रियां सती संगत्रित है। हो गई थीं। २ उक्त तहसीलका एक परगना। यहां पहले भर- | मोहना (सं० स्त्रो०) मोहयति पुष्पेणेति मुह-त्यु-टाप् । जातिका वास था। भरजातिको वासभूमि और दुर्गादि | तृण । २ एक प्रकारकी चमेलो। चिह्रस्वरूप भरडिही नामक स्थानके स्तूपकी ईट आदि | मोहना (हिं० कि० ) १ किसी पर आशिक या अनुरक्त आज भी अतीत कीर्तिका निदशन है । १०३२ ई०में | होना, रोझना। २ मूच्छित होना, बेहोश हो जाना। सैयद सलार मसाउद यहां चढ़ाई करके भी भरोको ३ मोहित करना, लुमा लेना। ४ भ्रममें डाल देना, विध्वस्त न कर सके। १४वीं सदीमें चमार गोड़ जातीय | धोखा देना। अमेठी राजपूतोंने भरोंको भगा कर इस पर कब्जा किया। मोहनार-मुजफ्फरपुर जिलान्तर्गत एक नगर । यहां १५वीं सदीमें सेख मुसलमानोंने राजपूतोंको यहांसे मार | सोरेका विस्तृत कारवार है। भगायो। इसी वंशके कोई व्यक्ति सेलिमपुर नगर वसा मोहनास्त्र (सं० पु० ) प्राचीनकालका एक प्रकारका अस्त्र । कर वहीं रहते थे। | कहते है, कि इसके प्रभावसे शत्रु मूञ्छित हो जाता था। . ३ उक्त तहसीलका एक नगर। यह अक्षा०१६ मोहनिद्रा (सं० स्त्री०) मोहरूपा निद्रा मध्यपदलोपि .४० ४५.३० तथा देशा० ८१ १३० पू०के मध्य पड़ता कर्मधा। मोह, मोहरूप निद्रा। है। जानवाके राजपूतोंने यह नगर बसाया। मुसलमान | मोहनिशा (सं० स्त्री० ) मोहरात्रि देखो। नवावोंके समय राजपूतगण यहांके सत्वाधिकारी थे। 'मोहनी (सं० स्त्रो०) मुह्यत्यनयेवि मुह ल्युट्, स्त्रियां ङीष् । अनन्तर १८५६ ई में वर्तमान तालुकदारवंशके राजा | १ उपोदको, पोईका साग। २ वटपली, पथरफोड़। ३ कालीप्रसादके हाथ इसकी परिचालनका भार सौंपा माया। ' गया। उक्त राजाने यहां एक गंज बनवा कर बाणिज्य ___ माया तु मोहनी नाम मायैषा संप्रदर्शिता । (भारत. १४८०४५) की खूव उन्नति को | उस समयसे यह नगर मोहन- ४ वैशाख सुदी एकादशो। ५एक लस्वा सूत-सा लालगञ्ज नामसे प्रसिद्ध हैं। तालुकदार घंशका प्रति- कीडा। यह हल्दीके खेतों में पाया जाता है। इसे पा कर ष्ठित शिव मन्दिर देखने लायक हैं।