पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/४०४

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मौखय्यं-पौड्य ४०१ १०म यशोवमदेव। | मौजूदगी (फा० स्त्री०) सामने रहनेका भाव, उपस्थिति । उपर जित सब मौखरीराजों के नाम लिखे गये वे मौजूदा ( अ० वि) वर्तमान कालका, जो इस समय लोग ६ठी और ७वीं सदीमें मगधके एक अंशमें राज्य मौजूद हो। करते थे। ७वीं सदीके शुरूमें इन्होंने स्थाण्वीश्वरके मौज (सं० त्रि ) मुशतृनिर्मित, मूजका वना हुआ। वद्ध नवंश तथा नेपालके लिच्छविवंशके साथ मित्रता | मौञ्जक (सं० पु०) मूजका एक एक पत्ता । कर ली थी। लिच्छवि-राजवंश देखो। | मौकायन (सं० पु०) मुक्षक-गोलापत्य, मुखक ऋपिके उपरोक्त मौखरी-राजोंको छोड़ कर कुछ मौखरी गोलमें उत्पन्न पुरुष । सामन्त राजोंके भी नाम मिलते हैं। नागार्जुनी शैल मौजवत (सं० वि०) १ मुअवान् पर्वतसम्बन्धीय । २ मुश्च- पर जो शिलालिपि उत्कीर्ण है उससे मालूम होता है | वत्जात, मुञ्जवान पर्वतमें उत्पन्न । कि मौखरोवंशम यज्ञवर्मा नामक एक पराक्रान्त सामन्त- मौजवान ( स० वि०) मौजवत देखो। राज थे। जिनके पुलका नाम शार्दूलवर्मा था । मौञ्जायन (सं० पु० ) मुञ्ज ऋपिके गोतमें उत्पन्न पुरुष । शार्दूलके भी वीरवर अनन्तवर्मा नामक एक पुत्र था। मौजायनीय (सं० पु.) मौजायन-सम्बन्धीय । अनन्तवर्माने नागार्जुनी शैल पर अद्धनारीश्वर और मौझिन् (सं० वि०) मेखलायुक्त ।१ मूजकी वनी हुई कात्यायनो मूर्ति तथा वरावर-शैल पर कृष्णरूपी विष्णु-। मेखला । २ जो मजको मेखला धारण किये हुए हो, मूर्तिको प्रतिष्ठा की थी। | जो मजकी मेखला पहने हो। ३ मौखीय देखो। . मोखऱ्या (सं० क्लो० ) मुखरस्य भावः मुखर ष्ण्य । मुखर- मौञ्जिवन्धन (सं० पु०) यज्ञोपवीत संस्कार, जनेऊ । का भाव, बहुत अधिक वा बढ़ बढ़ कर बोलना। मौञ्जी (सं० स्त्रो०) मुञ्जस्येयमिति मुञ्ज-अण, स्त्रियां ङो । मौखिक (सं० त्रि०) मुखस्येदं मुख-उक् । १ मुखसंबंधी, मुञ्ज निर्मित मेखला, मूजकी बनी हुई मेखला। मुखका। २ जवानी। "भोली त्रिवृत्समा भ्लक्ष्ण कार्या विप्रस्य मेखला । मौख्य (सं० क्ली० ) मुखस्य भावः अण् । मुख्यत्व, प्रधा। क्षत्रियस्य च मौर्वी ज्या वैश्यस्य शयातान्तवी ॥" , नता। (संस्कारतत्त्व) मौगा हिं० वि०) १ मूर्ख, दुर्बुद्धि । २ जनखा, हिजड़ा। | मौझीतृणाख्य (सं० पु० ) मौजीतृणमित्याख्यास्य । मुख, मौगी (हिं० स्त्री०) स्त्री, औरत । मौग्ध्य (सं० क्लो०) मुग्धभाव । मौजीपना ( सं० स्त्री० ) मौझोपत्न-मिव पत्रमस्याः मौध्य (सं० क्लो०) विफलता, वृथा। वल्वजा। मौच (स' क्लो०) कदलो फूल, केलेका फूल । मौजीय ( सं० वि०) मुमा सम्वन्धीय, मूजका वना मौज (अ० स्त्री०) १ लहर, तरंग। २ धुन । ३ सुख, मजा। ४ मनकी उमंग, जोश । ५ प्रभूति, विभव ।। मौजवत (सं० लि०)१ मुजवत् नामक पर्वतजात । २ "वर्णत्वमाश्रमत्वञ्च योऽधिकृत्य प्रवर्तते । मुजका गोत्रापस्य । स वर्णाश्रमधर्मस्तु मौजीया मेखला यथा ॥" मौजा ( म० पु०) गाँव, प्राम। (मनुटी०कु. १२५) मौजी (हि. वि०) १ मनमाना काम करनेवाला, जो जीमें मौल्य (स० क्ली०) मूढस्य भावः कर्मधा। (गुणवचन- भावे वही करनेवाला। २ मममें कभी कुछ और कभी ब्राह्मणादिभ्यः कर्मणि च । पा श१२४ ) इति ष्यज । १ कुछ विचार करनेवाला। २ सदा प्रसन्न रहनेवाला, | मोह। आनन्दी। "यो मां सर्वेषु भतेपु सन्तमात्मानमीश्वरम् । मौजूद (अ० वि०) १ उपस्थित, हाजिर। २ प्रस्तुत, हित्वार्चा भजते मौन्या स्मन्येव जुहोवि सः ॥" तैयार। (भागवत ३३२६।२२) Vol. XIIII, 101