पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/४१२

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यौलिक्य-मौसियायत ४०६ कुलोनको छोड़ अन्य सिद्धवंशमें जो जन्म ले कर दश मौलिमालिका (सं० स्त्री०) वह फूल या मौलिकमाला पोढ़ी तक कुलाच्चना करता वह भी मध्यल्य कहलाता जो मस्तककी शोभा बढ़ानेके लिये दी जाय । हैं। यह मध्यल्य फिर दो प्रकारका है, सिद्ध और साध्य । मौलिमालिन् ( सं० वि०) शिरोमाल्यधृक् । उदयाचल- प्रकृत सिद्धवंशमें जन्म ले कर दश पीढ़ी तक यथारोति मौलिमालिन् शब्दसे सूर्यदेव जाना जाता है। कुलार्चना करनेसे उसे सिद्ध और सिद्धपदका आका- मौलेय ( सं० पु०) पुराणानुसार एक जाति । क्षितव रह कर दश पीढ़ी तक कुलार्चना करनेसे उसे मौलिरत्न (सं० क्लो०) शिरोरत्न, सिरकी मणि। साध्य कहते हैं। 'मौलि (सं०नि०) मौलिन देखो। . दक्षिण-राड़ीय कायस्थोंमें ८ घर सन्मौलिक वा सिद्ध मौल्य ( सं० त्रि० ) मूल्यसम्बन्धीय । मौलिक हैं; ये आठ घर इस प्रकार हैं, दत्त, सेन, दास, मौपल (सं० क्लो०) मूपलमिव, मूपलस्येदमिति वा मूपल- कर, गुह, पालित, सिंह और देव । वङ्गाल कायस्थोंमें ' अण्। १ मूपलवत्, मूपलके समान । २ महाभारतके गुह मौलिक नहीं हैं, कुलीन हैं। वहत्तर घर साध्य- एक पर्वका नाम। मौलिक हैं। "मौषलं पर्व चोद्दिष्टं ततो घोरं सुदारुणम्। ___ साध्थमौलिक यथा-होड़, खर, धर, धरणी, वाण, ' महाप्रस्थानिकपर्व स्वर्गारोहणिक' ततः ॥ आयिच, सोम, पैसुर, साम, मञ्च, विन्द, गुण, वल, लोध, (भारत आदिप०) शर्मा, वर्मा, हुचि, भुचि, चन्द्र, रुद्र, रक्षित, राज, आदित्य, (नि.) ३ मूपलसम्बन्धी। विष्णु, नाग, खिल, पिल, गूत, इन्द्र, गुप्त, पाल, भद्र, ओम, . मौपिकि (सं० पु० ) मूपिकाके गर्भसे उत्पन्न । अंकुर,वन्धुर, नाथ, शांय, हेश, मान. गण्ड, राहा, राणा, । मौषिकीपुत (सं० पु०) शतपथ ब्राह्मणके अनुसार एक राहुत, साना, दाहा, दाना, गण, उपमाता, खाम, क्षोम, आचार्यका नाम । धोर, ओष, वीद, तेजः, अर्णव, आश, शक्ति, भूत, ब्रह्म, मौटा (सं० स्त्री०) मुरिग्रहणमस्यां क्रीड़ायां मुष्टि-ष्ण । शान,क्षेम, हेम, वर्द्धन, रङ्ग, गुई, कोर्ति, यशः, कुण्ड, , मुष्टिप्रहरणकोड़ा, घूसेकी मार, मुक्कामुक्की। नन्दी, शील, धनुः और गुण यही ७२ घर साध्यमौलिक | मौष्टिक (सं० पु०) नेय, चोरी। हैं। (कुलाचार्यका.) मौसम ( अ० पु०) मौसिम देखो। २ देशविशेष । (मार्क०पु० ५७४८) मौसर (अ० वि०) १ जो सुगमतासे मिल सके, सुप्राप्त । (त्रि०) ३ मूलसम्बन्धो वा मौलसम्बन्धी। भार- २ उपलब्ध, प्राप्त । भूतं मूलं हरति वहति आवहति वा (तद्धरतिवहत्यावहति- मौसल ( सं० वि० ) मुसल-अण। मूसल-सम्बन्धी, भारात् वंशादिभ्यः । पा ५१०५०) ४ मूलभारहारक, मूलभार- मूसलका । वाहक वा नेता। | मौसलो (हिं० स्त्री०) मौलसिरी देखो। मौलिक्य ( सं० क्लो० ) मूलिकस्य भावः कर्म वा. मौसल्य ( सं० पु०) मुसलस्य गोत्रापत्य (गर्गादिभ्यो यत्र । (पत्यन्तपुरोहितादिभ्यो यक् । पा ५॥२॥१२८) इति मूलिक- पा ११२१०५) इति मुसल-य। मूसल नामक ऋषिके यत् । मूलिकका कर्म। गावमें उत्पन्न पुरुष । मौलिन् (सं० वि० ) मुकुटधारी, जिसके सिर पर मैालि | मीसिम (अ० पु० ) १ उपयुक्त समय, अनुकूल काल । २ या मुकुट हो। ऋतु । मौलिमण्डन ( सं० क्लो०) शिरोभूषण, मस्तकके एक अलं- मौसिमी (फा० वि० ) १ समयोपयोगी, कालके अनुकूल । कारका नाम। २ऋतुसम्बन्धी, ऋतुका। मौलिमाला (सं० स्रो०) शिरोशोभाके लिये एक प्रकारको मौसियाउत (हिं० वि०) मौसेरा । माला मौसियायत (हिं० वि० ) मौसियाउत देखो। Vol. XVIII 103