पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/४१३

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मौसो-सानता मौसी (हिं स्त्री०) माताकी बहिन, मासी। डालियोंमें आमने सामने पत्तियां होती है मौसुल ( सं० पु०) मुसलमान, मुसलिमका अपभ्रंश।। जिनके बीचसे दूसरी शाखाएं निकलती हैं। इसकी मौसेरा (हिं० वि०) मौसीके द्वारा सम्बद्ध, मौसीके पत्तियोंके बीच में एक सींक होती है जिसके सिरे पर सम्बन्धका। एक और दोनों ओर दो दो पत्तियां होती हैं जो कुल मौहूर्त (सं० पु० ) मुहूर्तमधीते वेद वा ( तदधीते तद्दद। मिल कर पांच पांच होती हैं। यह झाड़ वनों में होता है पा ४।२।५०) इत्यण् । ज्योतिर्वेत्ता, मुहूर्त बतलानेवाला। और वागोंके किनारे वाढ़ पर भ लगाया जाता है। मौहत्तिक (सं० पु०) मुहूर्त तद्वोधकं शास्त्रमधोते वेद वा वैद्यकमें म्योड़ी उष्ण और रुक्ष मानो गई है और इसका (ऋतुकथादिसुत्रान्तात् ढक । पा ४।२।६०) इति, मुहूर्त्त-ढक । १ स्वाद कटु तथा तिक्त लिखा गया है। यह खांसो, कफ, ज्योतिवेत्ता, मुहर्स बतलानेवाला। २ दक्षकी मुहूर्ता] सूजन और अफराको दूर करती है। इसका प्रयोग वात नामकी कन्यासे उत्पन्न एक देवगण । रोगमें भी होता है और इसकी पत्तियोंकी भाप बवासीर- __ "मौहूर्तिका देवगण मुहूर्तायाश्च जज्ञिरे ।" की पीडाको दूर करती है। पर्याय-नीलिका, नील- (भागवत ५॥१३॥२२) निर्गुडी, सिंहक, सिंहवार, निर्गुण्डी । (नि० ) ३ मुहुत्तोंद्भव, मुहर्शसे उत्पन्न । म्रक्ष ( स० पु०) म्रक्ष घञ्। १ स्वदोष-गृहन, अपने म्याँव (हि० स्त्रो०) बिल्लीको बोली। दोषोंको छिपाना । २म्रक्षण । ३ बध । म्यान (हिं० पु०) १ कोष जिसमें तलवार कटार आदिके म्रक्षण (स० क्लो०) म्रक्ष-कर्मणि व्युट । १ तैल । २ द्रव्यके फल रखे जाते हैं , तलवार फटार आदिका फल रखनेका द्रव्यान्तर द्वारा संयोजन | ३ स्नेहन, वशीकरण । ५ खाना । २ अन्नमय कोश, शरीर । लेपन, लगाना ।६ तैल-घृताद्यभ्यङ्ग, तेल या घी लगाना। म्याना (हि० कि०) म्यानमें डालना, म्यानमें रखना। ७ अपने दोषोंको छिपाना, मक्कारी। म्यानी (फा० स्त्री०) पाजामेकी काटमें एक टुकड़े का नाम | म्रहिमन् (सं० पु०) मृदोर्भावः मृदु (पृथ्वादिय हमनिग्या । जो दोनों पल्लोंको जोड़ते समय रानोंके बीचमें जोड़ा पा ५॥१३१२२ ) इति इम निच। १ मृदुता, कोमलता । २ जाता है। नम्रता, आजिजी। म्युनिसिपैल्टो (अ० स्त्री०) किसी नगरके नागरिकोंको | म्रदिष्ठ ( सं०नि० ) अयमेषामतिशयेन मृदुः, मृदु-इष्ट- वह प्रतिनिधि-सभा जिसे उस नगरके स्वास्थ्य, स्वच्छना| टेलोपः । अति मृदु, अत्यन्त कोमल । तथा अन्यान्य आन्तरिक प्रवन्धोंका स्वतन्त्ररूपसे नियमा नुसार अधिकार हो। प्रायः सभी बड़े नगरों में वहाँको म्रदीयस् ( स० त्रि०) अयमेषामतिशयेन मृदु, मृदुईयसु, सफाई, रोशनी, सड़कों और मकानों आदिको व्यवस्था | टेर्लोपः । अति मृदु, अत्यन्त कोमल । तथा इसी प्रकारके और अनेक कार्योंके लिये म्युनिसि म्रातन ( स० क्लो० ) कैवत्तोंमुस्तफ, केवटी मोथा। पैलिटीका संघटन होता है। इसके सदस्योंका घुमाव म्रियमाण ( स० वि०) १ मृतकल्प, मृतप्राय । २ भव- प्रायः प्रति तीसरे वर्ष कुछ विशिष्ट योग्यतावाले नाग- सन्न । ३ दुःखित । ४ अतिशय कातर । रिकोंके द्वारा हुआ करता है। | ठक्त (स० क्ली० ) मच्-क । चोरित । म्युजियम ( 10 पु०) वह स्थान जहां देश तथा विदेशके मान ( स० त्रि०) ग्लै हर्षक्षये क्त (संयोगादेरातोर्य पवतः । अनेक प्रकारके अद्भुत और विलक्षण पदार्थं संगृहीत हों, पादारा४३ ) इति निष्ठा तस्य न । १ मलिन, कुम्हलाया आजायब-घर। हुआ। २ दुर्वल, कमजोर। ३ मैला, मलिन । (पु०) ४ ग्लानि, शोक। म्यों (हिं॰ स्त्री० ) बिल्लीकी वोली। म्योड़ी (हि० स्त्री० ) एक सदाबहार झाड़का नाम । इसमें ग्लानता (सं० स्त्री०) म्लानस्य भावः तल् टाप् । १ म्लान केसरिया रंगके छोटे छोटे झूलोंकी मंजरिया लगती है | होनका भाव, मलिनना । २ ग्लानि ।