पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/४२

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मुद्रातत्व (प्राध्य) संख्यामें पाई जाती है। कापोदोकिया नगरकी मुद्रामें। किसी मदकल-गजेन्द्रकी प्रतिमूर्ति हैं । सोलन और प्रोकशिल्पका विन्दुमान छायापात नहीं है। मुद्रातलमें माफियसकी अनेक ताम्र मुद्राएं पाई जाती है। ४थे एक पर्वतका चित्र है। उसके ऊपर दिव्यशान्तिमयी ! अन्तियोकसको मुद्रा में उनको दारुण दुद्धर्णता और पर्वत-नन्दिनीकी प्रतिमूर्ति देखने में आती है। बहुतोंका अत्याचार काहिनी अस्फुष्ट भाषामें लिखी है । इस कहना हैं, कि यह 'आर्गिस' पर्वतका चित्र है। परवत्ती समयकी वहुत-सी पीतलकी मुद्राओंमें जियासकी मूर्ति कालमें पारस्य-वंशोभूत पराक्रान्त सम्राट ४ा एरिया- देखनेमें आती है । १म देमिवियसके शासनकालको रेथिसकी मुद्रा पाई जाती है। यह ई०सन् २८० वर्ष मुद्रामें शिल्पका नूतन आदर्श दिखाई देता है । इस पहलेकी मुद्रा है। कापादोकियाके राजा अरेफार्निस- समयके रुपमें टकसाल-घरका नाम है । कोई कोई का मुद्रासौन्दर्य बड़ा हो चित्ताकर्णक है। परवत्ती मुद्रा देमिनियस और उनकी पत्नी लेउदिस पास कालकी मुद्रामें अर्मेणोय राजाओंका नाम पाया | पास (हरगौरी मूर्तिकी तरह ) अङ्कित है । जाता है। वृटिश-म्युजियममें वह अभी भी सुरक्षित है । सिरियादेशकी प्राचीन मुद्रा पीतलकी बनी है। इस इस समयकी किसी किसी मुद्रामे वाविलनके एक देशमें तलेमोवंशके समयको वहुत-सी मुद्रा पाई गई है। विद्रोही राजाका नाम देखा जाता है। उन्होंने अपनेको कुछ मुद्रा मिस्त्री मुद्राकी जैसी है। इन सव मुद्राओं ईश्वरका अवतार वतला कर घोषित किया था। इसके बाद द्वारा ख० पू० ४थीसे १ली शताब्दी तक सिरियाका फिनिकोय आदर्श पर निर्मित द्वितीय देमित्रियस (देव- इतिहास जाना गया है। मुद्राका वजन फिनिकीय है। मित्र ) और छठे अन्तियोकसको मुद्रा पाई जाती है। प्रथम सेल्यु कसने अलेकसन्दरकी मूर्तियुक्त स्वर्णमुद्रा | इसका शिल्पसौन्दर्य दर्शकके मनको मोहता है। इसमें का इस देशमें प्रचार किया। इसके कुछ समय वाद ग्रीकशिल्पका अनुकरण नहीं है। फिर भी इस प्राच्य सिरियाके मुद्राशिल्पमें प्राच्यरोनिका अनुकरण देखा शिल्पकी सौन्दर्यसृष्टि और कलानैपुण्य अवलोकन करने- जाता है। इस युगको मुद्रा में शृङ्गयुक्त राषका मस्तक से शिल्पीको शत कण्ठसे धन्यवाद दिया जा सकता है। तथा दूसरे भागमें शृङ्गयुक्त अश्वमुण्ड है । किसीमें। शिल्पी मुद्रातलमें अपनी प्रतिमूर्ति अङ्कित करनेसे वाज सिंहचर्मावृत वृषङ्ग शोभित अलेकसन्दरको मूर्ति | नहीं आया। इस सुप्रसिद्ध शिल्पीने मुद्रातलमें अत्या- चित्रित है। उस समय वृप और सिंह देवताका वाहन चारी राजा द्राइफनका जो मनमोहन स्वाभाविक चित्र समझा जाता था। किसी मुद्रामें जियासका मस्तक अङ्कित किया है वह शिल्प सौन्दर्यका अनुपम आदर्श तथा दूसरे पार्श्वमें वृपशृङ्गयुक्त चार घोड़ोंके रथ पर है। राजाके मुकुटशीर्णमें छागङ्ग विराजित हैं, नीचे सवार हो आथेनादेवी युद्ध कर रही है। किसी मुद्रा राजाका नाम और उनकी उपाधि 'अटोकेट' सन्निवेशित . वे दो हाथोके रथ पर सवार हो असुरका संहार करना है।श्य देमिद्रियसको मुद्रा द्वारा एशियाखण्डके इतिहासके चाहती हैं। इन सब मुद्राओं में सेल्यू फस और उनके | अनेक अन्धकाराच्छन्न पत्र आलोचित हुए हैं। जिस लड़के अन्तियोकसका नाम पाया जाता है। किसी समय देमिनियस पार्थिय राजा द्वारा वन्दो हो कर किसीमें हिराक्लिस और आपलोकी मूर्ति चित्रित है। कारागृहकी अधेरी कोठरीमें कालयापन करते थे, उस इसके बाद श्य सेल्यु कस, २य अन्तियोकस तथा समय उनके राज्यस्थ कर्मचारियन्द मुद्रातल में लंबी लंबी ३य सेल्यू कस और ३य अन्तियोकसकी मीमांसा हुई है। दाढ़ी मूंछोंसे युक्त उनका मुरूमण्डल अडित करते थे- ३य अन्तियोकसका वीरत्वव्यञ्जक वदनमण्डल राजोचित इस मुद्रामें शोकसूचक चिह्नका परिचय पाया जाता है। औदार्य कौर गाम्भीयसे परिपूर्ण है। इनकी मोहर उनकी कारामुक्ति होनेके बाद जब उनको दाढ़ी मूंछ तलेमीकी मोहरसे किसी किसी अंशमें उत्कृष्ट है। इस मूड़ी गई तब मुद्रा भी उस तरह अंकित होने लगी।. मोहरके पश्चाद्भागमें वंशीवादनानरत आपलो अथवा ; उनकी विधवा पत्नी क्लियोपेट्राने वहुत दिन तक प्रवल-