पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/४४२

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यक्ष्मा कर सुननेसे श्वास-प्रश्वासका शब्द ब्लोयि, ट्युन्युलर, अंगुलिके अग्रभागमें स्थलता, काश, स्वरभङ्ग इत्यादि कैमर्नस अथवा एम्फरिक मालूम होता है। निश्वास लक्षण और भौतिक परीक्षा द्वारा आसानीसे रोगका . छोड़ते समय चूसने और सिसकनेके जैसा शब्द सुनाई ' पता लगाया जाता है। देता है। अखाभाविक शब्दके मध्य एपेक्सके ऊपरी पीड़ा ट्युवालघटित अथवा कौलिक होने अथवा भाग पर वृहत् मायेष्ट रालस और रिङ्गि रालस तथा रोगी अल्पवयस्क वा स्वभावतः दुर्वल रहनेसे रोग बहुत कभी कभोगाग्लिङ्गवा मेटालिक टि-क्लिं पाया जाता, जल्द कठिन हो जाता है। चिकित्सा द्वारा रोग- है। वाध्वनि वढ़तो और खन खन् आवाज होतो है। यन्त्रणा दूर होती तथा रोगी कुछ समय तक जीवित पेक्टरिलोकी और हिस्पारि पेक्टरिलो हमेशा सुना जाता रह सकता है। कहीं कहीं एकदम भारोग्य हुआ भी है। टोसिव रेजोनेन्स भी सुनने में आता है। हतपिण्ड- ' देखा गया है। अत्यन्त श्वासकृच्छ, सर्वदा रक्तोत्काश, का शब्द बड़े जोरसे सुनाई देता है। कभी कभी इसका प्रचुर पांशुवर्ण और दुर्गन्धमय श्लेष्मोद्गम, रात्रिकालमें धक्का लगनेसे गह्वरमें विशेष रङ्काई उत्पन्न होता हैं। वहुत पसीना, ब्राइटस-डिजिज, न्युमेथोरक्स, अन्न- स्थलविशेषमें गहरके ऊपर पनिउरिजम मर शब्द सुना : विदारण, अत्यन्त ज्वर, दुर्वलता, शीर्णता और अरुचि जाता है। मालूम होता है, मानो वह फुस्फुसको सभी ' आदि उपसर्ग तथा लक्षण गुरुतर समझे जाते हैं। यह धमनियोंको शाखासे उत्पन्न होता हो। बड़े गह्वरमें रोग भी भिन्न भिन्न प्रकारका हुआ करता है। फ्लकचुमेशन पाया जाता है। । १ फुस्फुसके ऊपर ट्युवाल जमने के कारण यदि . ____रिद्रोग्रेसिव धाइसिस-अर्थात् यामरोग जव । यक्ष्मा हो, तो उसे युवार्किउलर कहते हैं। २ लेरिस, आरोग्य होने पर होता है, तब कुछ विशष भौतिक चिह्व, द्रकिया और बङ्काईके मध्य ट्युवालजनित क्षत होने- दिखाई देते हैं, जैसे दूसरी अवस्थाके वाद आरोग्य मे उसे लैरिञ्जिवेल वा कियेल थाइसिस कहते हैं। ३ होनेसे सरस शब्द के बदले दिनों दिन सूखी और लिकि ' क्रु पस बा कैटेरल न्युमोनिया पोड़ामें फुसफुसके कठिन आवाज पाई जाती है। कोरर उपस्थित होनेके वाद भाग पर ट्युवाल वा गह्वर उत्पन्न होनेसे वह न्युमो- आरोग्य होनेसे कैभर्नस रसके बदलेमें सोनारस रस निक थाइसिस कहलाता है। ४ मिकैनिकस वा वा शुष्क व्रतियेल मर्मर शब्द सुनाई देता है तथा कभी माइनर्स ( miners ) थाइसिस । यह कभी कभी कभो नाना प्रकारका फ्रिकशन वा घर्षण शब्द उठता है। नाइफ ग्राइण्डर्स ( Knile grinders ) थाइसिस भी किन्तु केवल उक्त चिह्नोंके ऊपर निर्भर नहीं किया जा कहलाता हैं। फुसफुसके मध्य लोहे वा पत्थरके चूर्ण सकता ; इनके साथ साथ ज्वरादि लक्षणोंका लाघव आदि घुसनेसे यह रोग उत्पन्न होता देखा जाता है। होनेसे वे सहकारी हो जाते हैं। ५ पुराने प्लुरिशो और पुराने न्युमोनिया रोगसे फाइ- लेरिसमें क्षत, ब्रड्ढाइटिस, न्युमोनिया, प्लरिशी,बयेड थाइसिस उत्पन्न होता है। ६ फुसफुसके गोमेटाके न्युओ थोरक्स, ट्युवार्किउलर पेरिटोनाइटिस; अन्स, गलनेसे जव गर्त हो जाता है, तव उसे सिफिलिटिक विशेषतः इलियममें क्षत, फिश्विउला इन-एनो, डाये थाइसिस कहते हैं। फुस्फुसके मध्य निःसृत और विटिस, ट्युवार्किउलर मेनिक्षाइटिस और एमिलयेड संयुक्त रक्तके क्रमशः विगलित होनेसे वह हेमरेजिक थाइ- लीभर आदिसे यह रोग उपसर्गाकारमें आता दिखाई सिस कहलाता है। ८ रक्तनालांके मध्य पम्बलिजम देता है। होनेसे तत्पाश्ववत्तीं विधान ध्वंस हो जाता जिससे ‘भोगकालका कोई निश्चित समय नहीं है। रोगी धीरे एम्बलिक थाइसिस उत्पन्न होता है। धीरे दुर्बलता; हेरिक ज्वर और उपरोक्त उपसर्गसे | ___ सूखे और साफ सुथरे स्थानमें रहना, वायु परिवर्तन मृत्युमुखमें पतित होता है। करना, गरम कपड़ा पहनना और अमिताचारका परिहार रोगके आमूल इतिहास, रक्तोत्काश, शीर्णता,जर, | करना उचित है। प्रति दिन घोड़े पर चढ़ कर वा पैदल