पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/४५

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'मुद्रातत्व ( पाश्चास) - सिउन नगरकी मुद्रा अलेकसन्दरके समयको तथा ! पल्टन ( Tenth legion ) का चित्र और दूसरे भागः . उसके पहलेकी है। मोहरादिमें २य तलेमी, श्य सूअरके बच्चोंकी प्रतिमूर्ति अङ्कित है । किसीम अलेतिला आसिनो, ३य तलेमी, ४ तलेमी, ४र्थ अन्तियोकस तलेमीकी अलौकिक लावण्यवती कन्या क्लियोपेद्रा तथा और सलोकीय राजाओं के नाम देखे जाते हैं। स्वर्णमुदा| उसके भाई खामीका चित्र युगपत् अङ्कित है । नगराधिष्ठात्री देवीका मस्तक तथा नौकाकी पतवार पर यही। बैठे ईगल पक्षीकी मूर्ति है-उसके पास ही ताड़के पेड़ म अन्तियोफसके शासनकाल में यहूदियोंने स्वतन्त को प्रतिकृति है । पीतलकी मुद्रा पर वृषभारूढ़ा युरोपा भावसे मोहर बनाना आरम्भ कर दिया। इन सब मुद्राओं- देवी है। नीचे फिनिकलिपि उत्कीर्ण है। कुछ मुद्रा का नाम 'सेकेल' ( Shekel ) है। सभी फिनिक-आदर्श एक चक्रके ऊपर बना हुआ एक मन्दिर है । किसी पर चित्रित है। प्रत्येक मुद्रामें इसराइलके सेकेल और भष्टार्टी और आमोदितिको प्रतिमूर्ति है। इन सब उसकी मिती लिखी है। दूसरे भागमें जेरुसलेमका मुद्राओंमें जो पूजा-प्रथा अङ्कित देखी जाती है, वह हिन्दू नाम उत्कोणं है। अन्यान्य मुद्रामें मिलते हुए कमल- देवीकी पूजा जैसी है। ये सब प्राचीन मुद्रा जुलियस | पुष्पका चित्र देखा जाता है। उसके बाद महानुभव सीजरके शासनकाल में प्रचलित हुई थी। इन सब मुह- हिरोड और श्य हिरोडको मुद्रा पाई गई है। इस्राइलके रादिका यथार्थ रहस्य आज भो अन्धकारसे ढका है। अधिपति साइमनकी रौप्य मुद्रा अधिक संख्यामें टायर नगरकी मुद्रा सिउनकी तरह आश्चर्यजनक है। मिलती है। इसके एक भागमें एक सिंहधार अड्सि है। सायरके स्वाधीनता लाभ करनेके पहले सलौकीय __ अरब, आसिरिया, वाविलन । राजाभोंने इसी स्थानमें मुद्रा प्रस्तुत की थी। प्राथमिक | अरवदेशके मेसोपोटामिया और ओडेला नगरमें मुद्रा में हिराक्लिसकी मूर्ति तथा दूसरे भागमें नावके कर्ण- रोमक वादशाहोंकी मुद्रा पाई जाती है। उस समय ये धाररूपमें ईगल पक्षी बैठा हुआ है। परवी मुद्रामें सब देश रोमक राज्यके उपनिवेश-स्वरूप थे। आसुरीय एक कुण्डलीकृत अजगर सांप खजूर-वृक्षके नीचे अंडेके राज्यके निसिविथ और रेसेनानगर , रोमकमुद्रा पाई गई ऊपर फण फैलाए हुए है और तीक्ष्ण दृष्टिसे चारों ओर है। निनेभा नगरमें इस राज्यको प्राचीनतम मुद्रा मिली ताक रहा है। फिनिक देशमें उस समय खजूरके पेड़- है। किन्तु उनका यथार्थ तत्त्व आज भी अज्ञात है। की पूजा होती थी। तत्परवत्ती मुद्रामें वृक्षके नीचे | उनमें ग्रीस शिल्पका कोई अनुकरण नहीं देखा जाता। हरिणका पञ्चा तथा एक खिलते हुए फूलके ऊपर गान शिल्पके आदर्श पर अनेक प्रकारको देवदेवीको मूर्ति करनेवाला भौंरा बैठा हुआ है। किसीमें नाइसदेवो । देखने में आती है। किसो मुद्राके एक भागमें एक सुन्दर ताड़के पंखेसे नैदाघ तापको दूर कर रही है। वालकको आकृति है और उसके ऊपर एक सौप अपना पालेस्विन । फण काढे हुए है। दूसरे भागमें एक मन्दिर है जिसमें पालेस्तिनके गालिलि-प्रदेशमें तलेमी वंशके राज्य देवपूजाका निदर्शन है । सङ्कल्पके घटके जैसा देवीप्रतिमा- कालकी मुद्रा देखी जाती है। किसी किसीमें प्राचीन के सामने एक जलपात्र अङ्कित है। वाविलोनियामें सोलन वादशाहोंका कुछ परिचय दिया गया है। गदारा नगर 'ओतिमास्के समयकी बहुत-सो मुद्रा पाई गई है। मिल। में बादशाहके नामकी एक प्रकारकी मुद्रा पाई गई है। इसके एक भागमे गरिजिन-पर्वतका चित्र और दूसरे एशिया और यूरोपको तुलनामें अफ्रिकाको मुद्रा- भागमें पर्वतके चारों ओर ऊचे शिखरके बहुतसे मन्दिर संख्या बहुत थोड़ी है। मिस्त्री मुद्राएं भौगोलिक नामानु- शोभा दे रहे हैं। म अन्तियोकसाकी जो मुद्रा पाई गई सार सजाई गई हैं। कोई कोई कहते हैं, कि प्राचीन है उसमें उद्भिद्यमान पङ्कजकोरधारिणो एक भुवनमोहिनी } कालमे ई सन्के १०००० वर्ष पहले मिस्रदेशमें पत्थरकी मूर्ति है । रोमक बादशाहोंकी मुद्राके एक भागमे १०म मुद्राका प्रचार था। फिन्तु अभी उसका नामोनिशान नहीं