पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/४५६

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यज्ञपद-यज्ञयोग्य ४५३ यक्षपद (सं० स्त्री० ) यज्ञकामो, वह जो यज्ञके लिये विच- यज्ञभुज (स० वि०) यज्ञ डफ्ते भुज-क्विप् । यज्ञ- रण करता हो। भोक्ता विन। यज्ञपरिभाषा-आपस्तम्बकृत सूत्रभेद । यज्ञभूमि (स स्त्री० ) यज्ञस्य भूमिः। यज्ञस्थान, वह यज्ञपरुस् ( स० क्ली० ) यज्ञांश । स्थान जहां यज्ञ होता है। यज्ञपर्वत-पुराणानुसार एक पर्वतका नाम जो नर्मदाके | यज्ञभूपण (स.पु.) कुश । उत्तर-पश्चिममें है। | यज्ञभृत् ( स० पु०) यज्ञविभर्ति भृ-क्विप्। यिष्णु। यज्ञपशु (सपु० ) यज्ञाथ पशुः। १ वह पशु जिसका यज्ञभैरव-सूतगीतटीकाके प्रणेता। यज्ञमें वलिदान किया जाय ।२ घोटक, घोड़ा । ३ वकरा। यज्ञभोक्त, (सं० वि०) यज्ञस्य भोक्ता। विष्ण। यक्षकर्ममे जिन सब पशुभोंका प्रयोजन होता है उन्हें यज्ञ-] यज्ञमण्डप ( स० पु० क्ली० ) यज्ञवेदी, यज्ञ करनेके लिये पशु कहते है। वासुदेवभट्टकृत यज्ञपशुमीमांसामें इनकी बनाया हुआ मण्डप। विस्तृत आलोचना है। यज्ञमण्डल ( स० क्ली० ) यज्ञस्थल, वह स्थान जो यज्ञ यक्षपान ( स० क्ली०) यज्ञस्य पात्रं । यज्ञमे काम आनेवाले | करनेके लिये घेरा गया हो। काठके बने हुए वरतन। | यज्ञमन्दिर (सं०१०) यज्ञशाला । यशपातीय (स नि०) यज्ञपात्रसम्बन्धीय । यज्ञमनस् (सं० वि० ) यज्ञादिमे न्यस्तचित्त । यज्ञपादप (सं० पु०) विकङ्कन वृक्ष, क्टकोका पेड़। | यज्ञमन्मन् (सं० लि०) यज्ञकार्यमें मतिमान, विधिपूर्वक यशपाल (संपु०) एक प्राचीन ऋषिका नाम । इनका यज्ञ करनेवाला। उल्लेख पराशर स्मृतिम है। | यज्ञमय (सं० त्रि०) यज्ञ-स्वरूपे मयट्। यज्ञस्वरूप, यशपाल (संपु०) यज्ञका संरक्षक, यज्ञकी रक्षा करने- | विष्णु। वाला। . यज्ञमहोत्सव ( स० पु० ) यज्ञ एव महोत्सवः। यज्ञरूप यज्ञपुच्छ (सं० क्ली०) यशका शेषभाग। महोत्सव, यज्ञके लिये भारी उत्सव । यज्ञपुमस (स० पु०) यज्ञरूपी पुमोन् । यज्ञपुरुष, विष्णु । यज्ञमालि-वृहन्नारदीय पुराण-वर्णित एक ब्राह्मण, वेद- यज्ञपुरुष (सपु०) यज्ञरूपी पुरुषः। विष्णु। | मालिके पुत्र । यशनी ( स० लि.) यज्ञ हविनिः प्रीणयति प्री विप् । | यज्ञमिन-एक प्रसिद्ध जैन-साधु । यज्ञीय हविः आदि द्वारा देवताओंका प्रोति उत्पादक। । यशमिश्र-रत्नपञ्चक नामक ज्योतिन्थके प्रणेता। यज्ञफलद (सं० वि०) यज्ञफलं ददातीति दा-क । यज्ञका यज्ञमुख (सं० क्लो०) यज्ञका आरम्भ या मुखपात । फल देनेवाले, विष्णु। | यज्ञमुप (स० पु०) यज्ञापहरणकारी राक्षस। यशवन्धु (स० पु०) यज्ञकर्मके सहकारी। यज्ञमुह ( सं० पु० ) यज्ञमोहकारी राक्षस । यज्ञवाहु (स० पु० ) १ अग्निका एक नाम । २ पुराणानु- यज्ञमूर्ति-असिद्धिनिरूपण व्याख्यानके प्रणेता, काशीनाथ सार शाल्मलिद्वीपके एक राजाका नाम । के पूर्वपुरुष। ये एक सुपण्डित थे। यभाग ( स० पु०) यज्ञस्य सागः। १ यज्ञका अंश जो यज्ञमूत्ति काशीनाथ-तत्त्वचिन्तामणिके एक टीकाकार । देवताओंको दिया जाता है। २ देवताभेद, वे देवता यज्ञमनि (सं० क्लो०) आयुधविशेष, एक प्रकारका अन। जिन्हें यज्ञका भाग मिलता है। यज्ञयशस् (सं० क्लो०) यज्ञकी गरिमा। यशभाजन (सं० क्ली० ) यज्ञस्य भाजनं । यज्ञपात्र। यज्ञयूप (सं० पु०) यूपकाष्ठ, वह खम्भा जिसमे यक्षका यज्ञभाएड (सं० क्लो०) यज्ञस्य भाण्ड। यज्ञका भाण्ड, बलि-पशु वांधा जाता था। - यज्ञपात। यशयोग्य (सं० पु० ) यज्ञ योग्य उचितः । १ उडु स्वरपृक्ष, यक्षमावन (सं० वि०) विष्णु। गूलरका पेड़। २ यागाह, यज्ञके योग्य । Val, xVIII, 114