४५४ यज्ञरस-यज्ञप्रष्ठा यशरस (सं० पु०) सोम। । यज्ञविद् (संवि०) यज्ञ वेत्ति विद्-क्विप । यज्ञवेत्ता, यज्ञराज (सं० पु०) चन्द्रमा । यज्ञ जाननेवाला । यज्ञरुचि (सं० पु०) दानवभेद, एक दानवका नाम । यज्ञविद्या (स' स्त्रो०) यज्ञ विषय, सम्यक अभिज्ञान । यज्ञरेतस् (सं० क्लो०) सोम। थज्ञवीर्य (संपु०) विष्णु । यशर्त ( सं० त्रि०) यज्ञके लिये निर्दिष्ट या रक्षित । यज्ञवृक्ष (सं० पु० ) यज्ञस्य वृक्षः । १ वटवृक्ष, बड़का यज्ञलिङ्ग (सं० पु०) श्रीकृष्णको एक नाम । पेड़। २ विकतवृक्ष, केटकोका पेड़। जिस वृक्षकी यशवचस् ( स० क्लो०) १ यज्ञमन्त्र । (पु०)२ आचार्य लकड़ीसे यज्ञीय होम होता है उसको यज्ञवृक्ष कहते हैं। भेद, राजस्तन्वायनका गोलापत्य . | यज्ञवृध्र ( स० वि० ) यक्षसे परितुष्ट। . यज्ञवत् (सं०नि०) यज्ञः विद्यतेऽस्य मतुप मस्य व । यज्ञवेदी (सं० स्त्री० ) यइके लिये बनाई गई ऊंची दी। यज्ञविशिष्ट, यज्ञ करनेवाला। . | यज्ञवैशस (सक्की०) यज्ञको नाश या अपवित करना। यशवनस् (संत्रि०) संभक्त यज्ञ, परस्पर विभक्त यज्ञ। यज्ञबत (सं० त्रि०) यज्ञकारो, यज्ञ करनेवाला । यज्ञवराह ( स० पु०) विष्णु । कहते हैं, कि विष्णुने वराह यज्ञशत्रु (सं० पु० ) यज्ञस्य शत्रुः । १ राक्षस । २ खर रूप धारण करनेके उपरान्त जव अपना शरीर छोड़ा तव राक्षसका एक सेनापति जिसे रामचन्द्रने मारा था। उनके भिन्न भिन्न अंगोंसे यज्ञको सामग्री बन गई। यशशरण ( स० क्ली०) यज्ञवेदीके ऊपर निर्मित सामयिक इसोसे उनका यह नाम पड़ा। कालिकापुराणके २६, | आच्छादन । . ३० और ३१वें अध्यायमें विशेष विवरण वर्णित है। यज्ञशाला ( स० स्त्री० ) यज्ञस्य शाला । — यशगृह, यज्ञ. यज्ञ शब्द देखो | करनेका स्थान । यज्ञवद्धन (स लि०) यज्ञको बढ़ानेवाला। यज्ञशास्त्र (संकी ) यज्ञविषयक' शास्त्र यज्ञ विष- यज्ञवर्मा-एक प्राचीन राजाका नाम। यक शास्त्र, वह शास्त्र जिसमें यज्ञों और उनके कृत्यों यज्ञवल्क (सपु०) १प्राचीन ऋपि, याज्ञवल्क्यके पिता। आदिका विवेचन हो। ये यज्ञके लिये उपदेश देते थे इसोसे इनका यह नाम | यज्ञशील ( स० वि० ) यज्ञशील स्वभावो यस्य। १ पड़ा है। २ मिताक्षराके रचयिता। . यज्ञानुष्ठानकारी, यज्ञ करनेवाला। ... "वर्द्धन' यज्ञशीलानां देवस्व तद् विदुर्बुधाः॥" यज्ञवल्ली (सस्त्री० ) यज्ञस्य वल्ली। सोमवल्ली, सोम- (मनु० ११।२२) लता। यज्ञशील व्यक्तिका जो धन है वह देवस्व है। देव- यज्ञवाट (सबु०) यज्ञस्य वाटो गृह। यज्ञस्थान, सेवामें ही यह धन लगाना उचित है। (पु०) २ यज्ञशाला। ब्राह्मण । यज्ञवास्तु (सं० क्ली०) यज्ञस्थान । यज्ञशकर (स० पु.) यशवराह देखो। . . यज्ञवाह ( स० वि०) १ याजक, यज्ञ करनेवाला। २ यज्ञशेष (सं० पु० ) यज्ञस्य शेषः। यज्ञावशिष्ट, यज्ञका कार्तिकेयके एक अनुचरका नाम । यज्ञवाहन (सं० त्रि०) १ यज्ञवहनकारी, यज्ञ करनेवाला। यज्ञश्री (स. स्त्री० ) यज्ञस्य श्रीः । १ यक्षका धन । २ २ ब्राह्मण । ३ विष्ण। ४ शिव। पुराणानुसार एक रोजाका नाम। यज्ञवाहस (स० त्रि०) १ यज्ञनिर्वाहक, यज्ञ करनेवाला । | यज्ञश्रीसातकणी-दाक्षिणात्यके सातवाहनवंशीय एक २ यज्ञका प्रापणीय मंश। राजा। सातवाहनव श देखो। यज्ञवाहिन् (स० वि०) यज्ञ वह-णिनि । यशवहनकारी, यज्ञश्रेष्ठा ( स० स्त्री० ) या श्रेष्ठा। सोमवल्ली, सोम- यसका सब काम करनेवाला। शेष।