पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/४८६

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यथालन्ध-यथेच्छा अच। १ वर। २ यथायोग्य अक्षर। ३ यथायोग्यः । यथासंप्रत्यय (स अवा०) विश्वासानुरूप, प्रतीतिके रूप। ४ यथायोग्य वर्ण। अनुसार। यथालन्ध (सत्रि०) १ जितना प्राप्त हो उसीके अनु- यथासंस्थ (स अवा० ) यथावस्थित । सार, जो कुछ मिले उसीके मुताविक । २ जैनियोंके यथासहित (स अवा० ) सन्धिके अनुसार, संहिताके अनुसार जो कुछ मिल जाय उसीसे संतुष्ट रहनेको वृत्ति । मुताविक । यथालाभ (सं० वि०) जो कुछ मिले उसीके अनु- यथासख्य (स' अवा) सख्यानुसार, मिलता भावसे । सार, जो प्राप्त हो उसी पर निर्भर। यथासङ्कल्पित (सं० त्रि०) मन ही मन जिस तरहका संकल्प किया गया है। यथावकाश (सं० अव्य० ) अवकाशानुसार, छुट्टीके यथासङ्गत (स अवा) क्षमताके अनुसार । मुताविक । । यथासन्धि ( स० अवा०) उपयुक्त स्थान, ठोक जगह यथावत् (स० अवा० ) पूर्वमत, जैम्पेका तैसा । २ जैसा चाहिये वैसा, अच्छी तरह । | यथासमय । स० अवा०)१ उपयुक्त समय, ठोक समय यथावस्थित (२० अवा० ) १ जैसा था वैसा हो। २ पर। २ समयके अनुसार, जैसा समय हो वैसा। सत्य, ठोक। ३ स्थिर, अचल । यथासमाम्नात ( सं० अवा० ) यथाकथित, कहे मुता- यथाविध ( स० अवा० ) ज्ञानके अनुसार, बुद्धिके मुता. "। विक। विक। यथासम्भव ( सं० अवा०) यथासङ्गत, जहां तक हो यथाविध (स अवा०) जिस प्रकारसे।। । सके। यथाविधि ( स० अव्य०) विधिपूर्णक, विधिके अनुसार। , " यथासाध्य (सं० अवा० ) यथाशक्ति, जहां तक हो सके। यथाविहित (से अवा० ) जैसा विधायन हो वैसा ही, यथास्तुत (स अव्य०) जैसी स्तुति की गई हो, पूजित । विधिके अनुसार। यथास्तोम (स अवा० ) स्तोमके अनुसार। तथाशक्य (स अवा० ) जहां तक हो सके, सामर्थ्यो । यधास्थान (स अवा० ) उचित स्थान पर, ठीक जगह भर। यथाशक्ति (स अवा०) शक्तिमनतिक्रम्य इत्यव्ययीभावः । यथास्थाम (स अवा०) यथास्थान, नियत जगह पर। सामाके अनुसार, जितना हो सके। यथास्थित (सं० अवा०) सत्य । यथाशय ( स० अवा०) अभिप्रायानुसार, इच्छाके मुता- यथास्मृति (स अवा०) स्मृतिके प्रमाणानुसार। विका यथास्व ( सं० अव्य० ) स्वमनतिक्रम्येव्यव्ययीभावः । यथाशास्त्र स० अवा० ) शास्त्रमनतिक्रम्य इति यथा- | यथावाञ्छित, जैसी इच्छा हो। शाखें। शास्त्रानुसार जैसा शास्त्रोंमें वर्णित है वैसा। यथास्वैर (सं० अव्य०) १ धीरतानुसार, धैय॑से । २ यथाश्रय (सं० अवा) आश्रयस्थानानुरूप । स्वेच्छानुरूप, मनके मुताविक । यथाश्रुत (सं०नि०) १ शास्त्रज्ञानानुरूप, जैसा यथाहार (सं० अव्य०) आहारके जैसा, भोजनके मुता- शास्त्र है वैसा। (अवा०)२ शास्त्रज्ञानके अनुसार विक । यथाश्रुति (स' अवा) श्रवणानुरूप, शास्त्र के मुताविक । यथेच्छ (सं० अध्य० ) जितना या जैसा जीमें आवे उतना यथास दिए (स अवा० ) यथोपदिष्ट, जैसा कहा गया | या वैसा, इच्छाके अनुसार। है वैसा हो। यथेच्छक ( सं० त्रि०) इच्छानुसार कार्यकारी, मनमाना यथासंपद (स' अवा० ) साध्यानुसार, शक्तिके मुता- काम करनेवाला । विका । यथेच्छा (सं० स्त्री० ) इच्छानुसार, मनमाना।