पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/४८७

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४८४ यथेच्छाचार-यदात्मक यथेच्छाचार (सं० पु०) जो जीमें आवे वही करना और यथोत्तर (स' नि०) १ उचित उत्तर। (अवा० )२ उचित अनुचितका ध्यान न करना, स्वेच्छाचार । उत्तरानुरूप, जवावके मुताविक । यशेजाचारी (सं०नि०) १ यथेच्छाचार करनेवाला, मन | यथोत्साह (सं० अ०) उत्साहमनतिकाय इति। १ माना आचार करनेवाला। २जो कुछ जोमें आवे वही- , उत्साहसे। २ यथासामर्थ्य, सामथ्य के मुताविक । करनेवाला, मनमौजी। यथोदय ( त्रि०) यथाप्रकाश, जैसा उदय । यथेच्छित (सं० त्रि०) इच्छानुसार, मनमाना। यथोदित (स' त्रि०) १ यथाकथित, कहनेके मुताविक । यथेसत् (सं० अव्य० ) यथारित, यथागत । (मनु ३३१८७) (अवा०)२ उदितं कथितमनतिक्रम्येति यथेरसा ( स. स्त्री०) १ यथाभिलाषी, मनमाना। अव्ययीभावः। ३ उक्तानुरूप, कथितानुसार । यथेप्सित ( स० अन्य ) ईप्सितमनतिक्रम्येति । यथा- | यथोद्गत (स' लि०) जिस प्रकार वहिर्गत, अकुरित या काञ्छित, जैसी इच्छा। उत्पन्न। यथेष्ट ( स० अव्य० ) इष्टमगतिकम्येति । यथेप्सित, यथोहिष्ट (स० वि० ) यथाकीर्तित, जैसा कहा गया हो । जितना चाहिये उतना। यथोद्देश ( स० अवा०) उद्देशानुसार, अभिप्रायके मुता- यथेष्टचारिन् (स० पु० ) यथेष्ट चरतीति चर-णिनि । १ | विक। पक्षी। (नि० ) यथाभिमत स्थानविवरणकारी, अपने यथोद्भव ( स० अवा० ) उद्भवानुरूप । मनके अनुसार घूमनेवाला। यथोपजोष (स अवा० ) जैसा सुख । यथेएतस् (सं० अध्य०) यथेष्ट-तसिल । इच्छानुसार ' यथोपदिष्ट ( स० वि०) जैसा उपदेश दिया गया है। मनके मुताविक । यथोपदेश (सं० अवा० ) उपदेशानुसार । यथेष्ठाचरण (सं० वि० ) यथेष्ट आचरणं यस्य । यथे- यथोपयत्ति ( स० अ०) उपपत्तिके अनुसार। पाचारी, मनमाना काम करनेवाला । जो शास्त्र के नियम यथोपपन्न ( स० त्रि.) जिस प्रकार प्राप्त हुआ है। पर न चल कर अपनी इच्छानुसार काम करता है उसीको यथोपपाद (स' अवा० ) यथासम्भव । यथेष्टाचारी कहते हैं। यथोपयोग (सं० अवा० ) उपयुक्त प्रयोग । यथेष्टाचारिन् (सं० त्रि०) यथेष्टमाचरितु शीलमस्य यथोपस्मार (२० मा० ) अपस्मारके अनुसार। इति इनि। स्वेच्छाचारी, अपने मनके अनुसार व्यवहार यथोपाधि (स.अवा०) उपाधिके समान । करनेवाला। | यथाप्त ( स० वि० ) जिस प्रकार मुण्डन किया यथोक्त ( स० त्रि०) १ यथाकथित, जैसा कहा गया हो। गया है। उक्तमनतिक्रम्य इत्यध्ययीभावः। (अवा० ) २ उक्तानु- यथौचित्य (स अवा० ) औचित्यानुसार। सार, कहे हुएके मुताविक। यद् (सं०नि०) यजति सर्वैः यदाथैः सह सङ्गती भव- यथोक्तकारिन (सं० वि०) यथोक्त करोति कृ.णिनि । तीति यज (त्यजितनियजिभ्योडित् । उण १११३१) इति यथोक्तरूप अनुष्ठानकारी, शास्त्रोंमे जो कुछ कहा गया हो अदि, डित्। नैयायिकके मतसे बुद्धिस्थत्वोपलक्षित धर्मावछिन्न। वही करनेवाला। २ आज्ञाकारी। यथोक्तवादिन (सपु०) यथोक' वदति बद-णिनि। यदर्थ ( स० त्रि०) जिस कारण, जिस लिये। यदा (स० अवा०) यस्मिन् काले यद (सकान्यकियत्तदः । १ दूत । (त्रि०) २ वह जो उचित वोलते हैं। यथोचित (स अवा० ) उचितमनतिक्रम्येति । १ यथा- काले दा। पा ५॥३१५) इति दी । १ जिस समय, जिस योग्य, जैसा चाहिये वैसा । २ यथाप्राप्त, जो मिले वही। वक्त, जब । २ जहां । (नि०, यथोचितमस्यास्तीति अर्शआद्यच । यथाह', | यदाकदा ( स० अवा० ) जब तब, कभी कभी। ' यदात्मक (संत्रि०) जिसके समान। ठीका