पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/५२९

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५२६ यमवाहन-- यथानिकादिचूर्ण यमवाहन ( स० पु० ) यमस्य वाहनः। यमका वाहन, यमहासेश्वरतीर्थ ( स० क्लो) पुराणानुसार एक तीर्थका भैंसा । नाम। यमवृक्ष ( स० पु०) शाल्मलि वृक्ष, सेमरका पेड़। यमातिरात्र (स'० पु०) ४६ दिनों में होनेवाला एक प्रकार यमवैवस्वत-सूर्यके पुत्र यम । का यज्ञ। यमव्रत (स'० क्ली०) यमस्य धर्मराजस्येव व्रत। राजाका | यमादर्शनत्रयोदशी ( स० स्त्री० ) शक्ला त्रयोदशीभेद धर्म। निरपेक्ष हो कर सवों के प्रति समान विचार | भविष्यपुराणमें इस दिन व्रत करनेको विधि है। इस करनेका नाम यमव्रत है । यम सवों के पाप और पुण्यके | दिन जो व्रत करते हैं उनको यमका दर्शन नहीं होता। अनुसार समान भावसे विचार करते हैं। इसीसे वे | यमादित्य ( स० पु० ) सूर्यका एक रूप।। यमव्रत कहे जाते हैं। (मनु० ६।३०७) यमानिका ( स० स्त्रो० ) यमानो खार्थे कन् । स्वनाम- यमशिख (स० पु०) वेतालभेद। ख्यात पण्य द्रष्यविशेष। अजवायन। इसे महाराष्ट्र में (कथासरि० सा० १२१२२६) उम्बा, कलिङमें डंडू, तैलङ्गमें ओममी और तामिलमें यमश्रेष्ठ (स.नि.) गम जिनके पितरोंसे श्रेष्ठ हों।। अमन कहते हैं। संस्कृत पर्याय-अजमोदा, उपगन्धा, यमश्वन ( स० पु.) यमालयके द्वाररक्षक कुक्कुरभेद, | ब्रह्मचर्या । ( अमर ) साधारणतः अजवायन चार प्रका- कुचर। . रको है, यमानी, वनयमानी, पारसिक और खोरासानी । यमसदन ( स० क्ली । यमस्य सदनं। यमलोक, यम- इनमें फिर यमानीके भो दो भेद हैं, क्षेत्रयमानी और पुर। यमानी। क्षेत्रयमानीको अजमोदी कहते हैं। इसका यमसम (स' क्ली०) यमका विचारमण्डप। | सेवन करनेसे अग्निमान्य नष्ट होता है, इसीसे इसको यमसात् (सं० अध्य० ) यमस्य अधीनं इत्यर्थे चसात । ।। यमानी कहते हैं। यमके अधीन करना, यमके घर भेजना। इसका गुण-कुष्ठ और शूलनाशक, हृद्य, पित्ताग्नि- यमसादन ( स० क्ली० ) यमस्य सादनं । यमपुर, यम कारक और वायु, कफ और कृमिनाशक है। ( राजनि०) गृह । भावप्रकाशके मतसे पर्याय-यमानी, उपगन्धा, यमसान ( स० त्रि०) मुहसे तृणदान करनेवाला। ब्रह्मदर्भा, अजमोदिका, दिप्यका, दिप्या और यमाया। यमसू ( स० त्रि०) १ यमजप्रसविनी, जिसके एक ही गुणपाचक, रुचिकर, तीक्ष्ण, उष्णवीय, कटुतिकरंस, गर्भ से एक साथ दो सन्ताने हों। (पु.)२ सूर्य ।। मधु, अग्निप्रदीपक, पित्तवर्द्धक, शुक्रघ्न तथा शूल, वायु कफ, उदर, आनहि, गुल्म, प्लोहा और कृमिनाशक ।' यमसूक्त (सं० क्ली० ) यमका स्तोत्र, ऋग्वेदका १०१. • अजमोदा देखो। सूक्त। पारसिक यमानी-यमानीपाचक, रुचिजनक, धारक- यमसूर्य (सं० लो०) पश्चिम और उत्तरमें शालायुक्त | अट्टालिका, ऐसा घर जिसके पश्चिम उत्तर शाला हो। कर्णणकारक और गुरु। इसके शाकका गुण- यमस्तोम ( स० पु०) एकाहभेद, एक दिनमें होनेवाला कटु, तिक, उष्ण, वायुकर, अर्श, श्लेष्मा, शूल, आध्मान, कृमि और छर्दिनाशक तथा दीपक । ( भावप०) एक प्रकारका यज्ञ। यमस्त्रसृ (स. स्त्री०) यमस्य स्वसा भगिनी ।१ यमुना। यमानिकादिचूर्ण (सं० क्लो०) औषधविशेष। प्रस्तुत- २ दुर्गा। प्रणाली-अजवायन, चितामूल, पीपल, यवक्षार, वच, यमहन्ता (संपु०) कालका नाश करनेवाला। दन्तीमूल प्रत्येकको वरावर वरावर भाग ले कर चूर्ण करे । यमहार्दिका (स० स्त्री० ) देवीको एक अनुचरीका | मात्राआधा तोला और अनुपान उष्ण जल, दहीका पानी नाम। अजवायन देखो।