पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/५३५

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यमुना-यमुनाचाय किया था, यमुनाने उसको सन्तुष्ट किया था। तृत्सुः । सन् १८१७ ई०में अङ्ग्रेज सरकारने दिल्लीकी शाखा महर गणने उसको सन्तुष्ट किया था। अज, शिग्रु, चक्ष, इन खुदवानेका भार लिया। सन् १८२० में दिल्लीकी यह तीन नगरोंने इन्द्रके उद्देश्यसे अश्व-मस्तक उपहार दिया नहर तय्यार हो गई और जल आने लगा । सन् १८२३- था।" और १०७५५ मन्त्रमें, हे गङ्गा! हे यमुना ! २४में हिसारको नहर फिरसे खुदवाई गई। इस तरह हे सरस्वति ! हे शतद्रु ! हे परिण! मेरे इन स्तवों में क्रमसं कोई ३३ मोल नहर फिरसे खुदवाई गई, जिससे तुम लोग बांट लो। हे असिनी संगत मरुद,धा नदी! २५६ मोलमें जलकर सिचाई का काम होने लगा। हे वितस्ता और सुसोमासंगत आर्जिकिया नदी ! तुम- पूर्वकी नहर सन् १८२३ ई०से खुदवाई जाने लगो लोग सुनो।' इससे स्पष्ट ही यमुना किनारे आर्यों के तथा सन् १८७० ई०में तय्यार हुई। महामति लाई उपनिवेशकी वांत और यमुनाका माहात्म्य प्रगट होता , डलहौसीके शासनकालमे दो एक नहरें और खुदवा है। सिवा इसके ऐतरेय ब्राह्मण ८।२३, शतपथ ब्राह्मण देनेसे पश्चिमोत्तरके अधिवासियोको विशेष सुविधा १३।५।११, पञ्चविंशवा० ६।४।११, शाळायननौ० १३।२६२५ हो गई। कात्यायनश्रौ० २४।६।१०, शांख्यायन० १०१६६, यमुना-इच्छामती नदीकी एक शाखा । नदिया आश्वलायनश्री० २४११०१ आदि स्थानों मे यमुनाका जिले होतो हुई वालियानीके निकट २४ परगनेमे आई उल्लेख रहनेसे अनुमान होता है, कि आयेंगण यमुना है। यहासे फिर दक्षिणपूर्वको ओर वक्रगतिसे सुन्दर- किनारे रह कर अभीष्ट यज्ञादि सम्पन्न करते थे। वनमें घुसकर रायमङ्गछ नदोमें मिली है। कलकत्तेसे जो अपरम कह आये हैं, कि यमुनाके पूर्व और पश्चिम जो नहरें पूर्व की ओर गई हैं, वह हासानावादके समीप ओर सिंचाई के लिये दो नहरें निकाली गई। अम्वाल, इस नदीमें आ कर गिरी हैं। . कर्नाल, दिल्ली, रोहतक, और हिसार जिलों में यह नहरें यमुना-आसाममे प्रवाहित एक नदी। यह नागा पहाड़- पानो देतो है, पहले हाथनो कुण्डमें बांध बांध कर यमुना- के उत्तरसे निकल कर रेङ्गमा पहाड़ हाता हुई 'नोगांव का जल बुढ़ी यमुना और पानाला धारसे लाया गया जिलेमें ब्रह्मपुत्रको कापला शाखामामला है। दिखक, है। पात्राला और शम्भुनदके सङ्गमके समीप दाऊद- स्वत आर पारादशो नामक तान नदा इसको शाखा पुर प्राममें बांध द्वारा यह मिली हुई जल-राशि पश्चिम है। नदीमें लाई गई। यमुना-उत्तर वनसें प्रवाहित एक नदो। यह शायद इतिहास पढ़नेसे मालूम होता है, कि पठान-सम्राट तिस्ता नदीको प्राचीन शाखा होगी। दिनाजपुर जिलेसे फिरोज शाह तुगलकने हिसार नगरमें जल लानेके लिये निकल कर बगुड़ा सीमान्त होता हुई गङ्गाका आन यो १४वीं शताब्दीमें यह नहरें खुदवाई थो, किन्तु काल शाखामें मिलता है। इस नदाफ किनारे दिनाजपुर क्रासे यह नहर भर गई। इससे जल आने में असुविधा जिलेमे फुलवाड़ा और विरामपुर तथा बगुड़ा जिले में होने लगो। सन् १५६८ ई०में सम्राट अकबरने फिर हिला नामक स्थान चावल तथा और कितने प्रकार के इस नहरको साफ करवाया था। पोछे सन् १६२८ ईमें। अनाजका वाणिज्य केन्द्र समझा जाता है। . सम्राट शाहजहान के प्रसिद्ध कारीगरगण अलोचदों खांन । यमना-विन्ध्य पहाडके नाचे अवस्थित एक प्राम। २ बहुत द्रव्य खर्च कर और बड़ी कारोगरीके साथ रोहतक चम्पारण जिलेकी गण्डको नदाक किनारे बसा हुआ एक और दिल्लीको नहरे खुदवाई थी। ग्राम । (ब्रह्मखयड) मोगल शासनके अन्त और शिखशक्तिके अभ्युद्यके यमुनाचार्य-दाक्षिणात्यबासी एक आचार्य । . येवैष्णव धमके प्रवर्तक थे। इन्होंने चोलराजपण्डित काला; समय नहरकी दशा दिनों दिन खराद होतो ग३ । १८वो हलकधिको तर्षा में पराजित कर उन्हें वैष्णव धर्ममें सदीके मध्य भागमें यह नहरें विलकुल खराब हो गई।