पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/५४७

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यवन यूनानियोंको अपने वंशधर या स्वजातिको शाखा नहीं। चित थी। ग्रीक laoves और हिन Javan एक हो मानते। अतएव यह कल्पना सम्पूर्ण रूपसे अमूलक अर्थबोधक शब्द है। हिचू धर्मग्रन्थमें यह यवन शब्द मालूम होती है, कि सारी यूनानीय ( lonian) प्रोक- कमो कभी Jehohanan आदि शब्दके परिवर्तनमे भी जातिने नाम रख लिया था। प्रयुक्त हुआ है। वाबिलौकी समुद्रसे प्रकरित देवी महाकवि होमर भी 'ये की बात जानते थे। उन्होंने Oannesके साथ भी यवन शब्दका विशेष सादृश्य है। हामिसको आगोसहन्ता लिखा है। होराके गुप्तचर सृष्टानधर्मग्रन्थ बाइबिलके प्राचीन विभागके स्थान अर्गोसने बड़ी सावधानीसे 'यो' की गतिविधिका लक्ष्य विशेषमें यवन शब्द व्यक्तिविशेषके नाम, नगर, जाति, इसलिये लिया था, कि गायरूपीयोंने स्त्रीरूप धारण कर देश, साम्राज्य आदिके लिये भी ध्यवहृत हुआ है। (Ge- जिउसके साथ कहीं मिल न जाये। इसी रुकावटके nesis x. 2. 4. Chronicles 1.5,73 Isaiah xvi, लिये उक्त गुप्तचरने ऐसा किया था। इसीलिये हार्जिसने । 19 ; Ezekiel xx. 13 ) ये यवनगण वणिक थे। उसका निधन साधन किया था। हामरको इस विव- Daniel viii, 21,x. 20. xi.2; Zechariax. 18. और Ezekeil xxvi 1. 13 आदि स्थानों में ग्रीक रणसे 'या' का पौराणिक भ्रमण वृत्तान्त उल्लिखित रहने | पर भी केवल एक जगह Jaoves नामक उल्ले खके । साम्राज्यके और फिनिकीय द्वारा यूनानी दास-दासियों- सिवा उन्होंने थानीय या यूनानियों का किसी तरहका । की विक्रीकी बात उल्लिखित रहने पर अनुमान होता । है, कि यह यवन जाति इतिहासयुगसे भो पहले यथार्थ वृत्तान्त नहीं लिखा है। । विद्यमान थी। हिरोदातस (1, 14 ) और पौसनियस् (V1 1234) । डाक्टर स्मिथने बाइबिलके इन वाक्योंको उद्धृत का कहना है, कि आटिकाके प्रवासी ग्रीकजातिकी शाखा-। कर लिखा है, कि यह यवन यूनानी जातिको एकान्त ने योनीय नाम पाया था। वहुतेरे युथासके पुत्र योन प्रतिनिधि माने जा सकते है। हेलेनवंशसम्भूत इस ( Jon ) से पानीय या यूनानियोंकी उत्पत्ति मानते हैं। योनीय शाखाके नामके साथ यवन शब्दका एक अवा- अध्यापक लासेनने लिखा है, कि यूनानियोंमे यह योन न्तर सम्बन्ध है। ७०८ ई०से पहले सर्गणके राज्य- नाम होमरके पीछे और बहुत सम्भव है, कि प्रोकशाखा- । कालमें कोणदार अक्षरमें खोदो हुई लिपिमें साइप्रेस ने एशिया-माइनर और द्वीपों पर अधिकार करने पर। द्वोपके वर्णनकालमें यवन नामका उल्लेख है। यहांके प्राचीनतम प्रीक जनतासे इन प्रवासियोंको पार्थक्य , क्य। आसिरीय पहले यूनानियों के विरुद्ध उठ खड़े हुए थे। दिखलानेके लिये इस नामका निर्देश किया होगा। , । इससे मालूम होता है, कि हिब्रूओंके सिवा उस समयको संस्कृत युवन, जन्द जवान और लैटिन Juvenis ) | और जाति भी युनानियोंको यवन शब्दसे अभिहित शब्द एकार्थबोधक है। अधिक सम्भव है, कि इस करती थी। पीछे फिनिकियों द्वारा यह नाम पश्चिम नध्य सम्प्रदायने युवा अर्थसे हो "योन" की उपाधि पशियाखण्ड में प्रचारित हुआ होगा । ग्रहण की होगी। हमारे प्राचीन संस्कृत प्रन्थोंमें भी ___ उपर्युक्त कोणाकार लिपिमें (Cuneform Inscri. 'जवन' शब्द दिखाई देता है। इससे भी अनुमान होता ptions of the time of Sargon B. C. 708 ) एक है, कि यह जन्द 'जवान' से भी लिया गया होगा। जगहमें इस तरह लिखा है,-"The seven kings of पीछे अधिकतर संस्कृत ढांचे में 'यवन' बना लिया | the Yaha tribes of the country of yavan (or गया होगा। इस जातिको उत्पति या नामके सम्बन्धमें नाना म्बन्धम नाना * Inman's Ancient Faiths in Ancient Names, सिद्धान्तोंकी मीमांसा होने पर भी यह स्पष्ट दिखाई ! 11. 400. देता है, कि यवनजाति बहुत पहलेसे ही जगत्में परि-| Dictionary of the Bible, p. 935-986