पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/५७९

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५७ यशोवन्तराव किया। इधर उनके आदेशसे जनरल जोन्स और कर्नल खराव हो गया। धीरे धीरे उन्मादरोगने उन्हें धेरै वेलने दोनों ओरसे आ कर यशोवन्तको घेर लिया। दवाया। उनका रोग बढ़ता देख १८०८ ई०में उन्हें सिखोंसे जव सहायता न मिली, तब ये किंकर्तव्यविमूढ़ | गृङ्खलावद्ध कर रखा गया । आखिर ३ वर्ष यतणाभाग- हो गये और उनकी अंगरेजशक्तिको प्रतिद्वन्द्विताको के वाद १८११ ई०को २०नों अफ्तृवरको इनकी मृत्यु आशो चूर हो गई । अब कोई उपाय न देख इन्होंने अंग- रेजोंसे मेल करना चाहा। अगरेज भी निरपेक्ष रह कर | ____ उनका चरित्र अनुशीलन करनेसे मालूम होता है, कि मध्यस्थरूपमें महाराष्ट्र-विप्लवकी मीमांसा कर देनेको चे असाधारण शक्तिशालो वोर और साहसी पुरुष थे। राजो हुए। सहिष्णुताके कारण उनके उद्यमपूर्ण जीवनमें कभी भी सन्धिका प्रस्ताव ले कर यशोवन्तरावका एजेण्ट सामर्थ्यका अभाव न रहा। वहुतसे युद्धोंमें इन्होंने विपाशा नदीतीरस्थ लार्ड लेकके शिविर में पहुंचे । १८०५ / जयलाभ किया था, पराजयसे भी वे कभी क्षुब्ध नही' ई०को २४वौं दिसम्बरको दोनों पक्षमें सन्धि हो गई। हुए। महाराष्ट्र और फारसी-भापामें वे सुपण्डित वसई, बड़ोदा और सलवाईकी सन्धिके बाद महा- थे । उनके सरल अंत:करण, सदय व्यवहार राष्ट्रशक्ति अंगरेजोंके मन्त्रणाचकजालमें एकदम आवद्ध । और सामरिक तीक्ष्ण बुद्धिने उन्हें तमाम समाद्त वना हो गई। उन्हें फिर शिर उठानेका मौका न दिया गया। दिया था। रघुजी भोसले, सिदे और होलकर अपनी अपनी संपत्ति- यशोवन्तराव-महाराष्ट्र के एक परोपकारी साधु गृहस्थ । का अधिकारी हो गये । किन्तु जिससे वे आपसमें लड़ाई . इनका दूसरा नाम था यशोवंत महादेव भासेकर वा देव झगड़ा न करने पावें इस ओर अगरेज गवर्मेण्टने कड़ी' मामलेदार । १७३७ शकके भाद्रमास (१८१५ ई०)में पूना निगाह रखी। नगरमें मामाके घर इनका जन्म हुआ। इनके पिताको नाम यशोवन्त राव होलकरने हिन्दुस्तानसे लौट कर अपने महादेव ढण्डो और माताका नाम हरिवाई था । शोलापुर दाक्षिणात्यवासी घुड़सवार सेनादलमेंसे २० हजार सेना जिलेके पण्ढरपुर तालुकके अंतर्गत भासे ग्राममें महादेव को अपना घर जानेको कहा। पहलेका वेतन परिशोध रहते थे। बचपनसे ही यशवंतका हृदय करुणारससे न होनेके कारण वे सबके सब वागी हो गये। इस पर भर गया था। जब इनको उमर सात वर्षकी हुई, तव यशोवन्तने अपने भतीजे खण्डेरावको जोमीनस्वरूप उन प्रतिदिन वे स्नान करके पूजाके घर में बैठते थे तथा उन- के हाथ सौंपा। उस उन्मत्त सेनादलने खण्डेरावको | के पिता और माता किस प्रकार पूजा करती हैं उसे होलकरवंशका प्रकृत उत्तराधिकारी बतलाते हुए तमाम | ध्यान लगा कर देखते थे। भोजन के बाद जब ये अपने घोपित कर दिया। पदातिक सेनादलका भीषणभाव | साथियों के साथ खेलने बाहर निकलते तव शिलाके उपर देख कर यशोयन्तने जयपुरराजको कुछ रुपये देनेको वाध्य फूल और जल चढ़ाते थे। अन्यान्य बालकोंको ले कर उस किया और उसी रुपयेसे उन लोगोंका वाकी वेतन शिलाके सामने "विट्ठल विठ्ठल" कह कर ताली बजाते चुकाया। इस प्रकार विद्रोह शान्त हुआ। निर्दोष और बड़े भानन्दसे नाचते थे। माठ वर्षकी उमरमें खण्डेरावको विद्रोही दलका उत्तेजनाकारी समझ कर इन्होंने लिखना पढ़ना शुरू कर दिया। साथियों को यह दुवृत्त यशोवन्तने छिपके उसका काम तमाम किया.|| बहुत चाहते थे। जब कभी किसीको किसी चीजकी इतने पर भी उनकी क्रोधवह्नि न बुझी। अपने भाई | जरूरत पड़ती थी, तब ये यथासाध्य उसकी सहायता काशीरावकी गुप्त हत्या कर इन्होंने हृदयको ज्वाला करते थे। पिताके पूछने पर यशोवंत कहा करते, कि वुझाई। वे लाग बहुत कष्ट पाते हैं, इसलिये वीच बीचमें उन्हें इस प्रकार भाई और भतीजेकी हत्या कर यशोचंत- मदद पहुंचाया करता हूं। जब कोई साथी इन्हें गालो पापपङ्कमें निमजित हुए। दुश्चिन्ताके मारे उनका दिमाग | गलौज देता, तब ये वदला चुकानेके लिये उसे प्यार करते