पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६०३

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यहूदी या इसरायलके पुत्र कहलाते हैं। वे 'यहूदी' कहने पर बेने-इसरायल भी कहते हैं, कि उनके पूर्वजोंने प्रायः अपना अपमान समझते हैं। पूना, कोलावा और ठाना, चौदह सौ वर्ष पहले यहां आ कर वास किया था। जिलोंमें तथा जजोरेमे वे रहते हैं। उनकी आकृति-प्रकृति और भाषायें भी पारसियोंसे बहुत यह ठीक कहा जा नहीं सकता, कि वे कब और किस कुछ मिलती जुलती है । उन लोगोंमें यह दन्तकथा तरह इस देशमें आ कर बस गये। कोई अदनसे, कोई प्रसिद्ध है, कि बम्बई भाते समय वन्दरके दक्षिण प्रवेश- पारस्यके उपसागरसे इस देशमें उनका आना स्वीकार पथमें थलसे कुछ दूरी पर नौगांवके समीप जहाज फट करते हैं। यदि वे अदनले हो आये हों, तो उनको मिस्र के गया। इस काण्डमें बहुतेरे यहूदी डूब गये। इसमें कैदी 'यू' के वंशधर कहा जा सकता है। सन् ५२१- बड़ी कठिनतासे ७ पुरुष और सात स्त्रियां बच गई। ४८५ ईसासे पूर्व दरायुसने उनको कैद कर भरवके वेने-इसरायल उन्हीं चौदहोंके वंशधर है। . . हेजाजमें भेज दिया। ईसाके १ शताब्दी पहले दिनके इस देशके वे आदि यहूदी वंशपरम्परा हिन्दू समाज- तुव्ध या हेमारिवंशीय एक राजाने यहूदा : Juda ) धर्म-1 में रह कर हिन्दू नीति तथा रीतिका अनुसरण करने लगे। में दोक्षित हो कर दक्षिण अरवमें हिव्र धर्ममतका प्रचार जव मुसलमानोंका भारत पर दबदवा हुआ तो यहूदियों- किया। इस समयसे यहां यहूदियों का प्रसार अधिक हो में मुसलमानोंका आदव कायदा आ गया। अन्तमें प्रायः गया। तितस् (सन् ७६-८१ ई०में) और हद्रियान (सन् | दो सौ वर्ष हुमा, कि एक यहूदी धर्मयाजक अरवसे इस ११७-१३८ ई० ) द्वारा पेलेटाइनसे भगाये जाने पर तथा देशमें आये। उसने यहां यहूदियोंको देख उनमें हित, अरोलियन (सन् २७०-२७५ ई०) द्वारा जेनोवियाक मतका प्रचार किया। इस समयसे वहुतेरे हिन्दुओंकी पराजित होने पर दलके दल यहूदी आ कर दक्षिण अरवमें रीति नोतिको छोड़ यहूदियोंने 'तालमूद'के अनुसार अपनी वसने लगे। सन् ५२५ ई० तक हि मतावलम्वी हेमारि- रीति नीति कायम की। इसी समय वेने-इसरायलों में हिनु राजे वहां बहुत प्रबल थे। इस वशके धू-नवास नेज भाषाका प्रचार हुआ। उनके 'सिनागग! या भजन- रानक ईसाइयोंके प्रति अत्यन्त अत्याचार करनेसे मन्दिर प्रतिष्ठित और तालमूद या धर्मग्रन्थ भी प्रचलित यूथिओपीयराज पलेस वयानने अरव पर आक्रमण किया' हुआ। सिनागगके कार्यनिर्वाहार्थ ६ आदमी मानकारी और धूनवासको पराजित कर यहूदियोंको खूब सताया।। या कर्मचारी नियुक्त हुए। उनमें एक मुकादम या सम्भवतः इसो समय अथवा महम्मदके अभ्युदयके समय | प्रधान, २रा चौघुल या उसको सहकारी, ३रा गवाई या उत्पीड़ित हो यहूदियों ने अदन छोड़ कर पश्चिम-भारत-। कोषाध्यक्ष, ४था 'हाजान' या मन्त्रपाठकारी आचार्य, में आ कर उपनिवेश स्थापित किया होगा। ५वां काजी या विचारक (जज ) और ६ठा सम्माप या सन् ७७० ई० में पाल (Paul) जिन यहूदियोंको पेले- चौकीदार। इस समयसे धर्मग्रन्थानुसार सभी वार, टाइनसे उत्तर मेसेपोटामियामें ले आये थे, वाविलन व्रत, उपवास आदिका पालन करने लगे। अगरेज- वासी यहूदी उन्हीं के वंशधर हैं। तीसरी शताब्दीमें अभ्युदय कालमें उनके रणकौशलसे अङ्गरेज कम्पनीको उनके दलपति राजकुमार ( Prince of the Capti वड़ा लाभ हुआ था। vity) के समयमें और सन् ४२७ ई०में उनके प्रधान ___ वर्तमान समयमें दो श्रेणियां दिखाई देती हैं, १ली धर्मपुस्तक 'तालमूद' संगृहीत करनेके समयमें भी उनका गोरे या श्वेताङ्ग, श्री काले या कृष्णाङ्ग । दो प्रभाव अक्षण्ण था । ६ठीं शताब्दीमें रख्वीमीके | श्रेणियोंमें खान पान या लेना देना प्रचलित नहीं है। विद्रोही होने पर पारस्यके राजा कवाद (Cabade) | गोरे अपनेको विशुद्ध हिव कहते हैं। 'काले अपनेको अत्यन्त ऋध हो यहूदियोंका दमन करने लगे। इसी यहांको त्रियोंसे उत्पन्न बतलाते हैं। पहले ये अपनी समय कितने ही यहूदी प्राण भयसे पारस्य उपसागरको पुत्र पुत्रियों के नाम हिन्दू नामानुसार रखते थे। किन्तु पार कर भारतमें चले आये। . थोड़े ही दिनोंसे ये अपने हिब्रु नाम हा रखने लगे हैं।