पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६०६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

६०१ यहूदी उसका नाम ले कर कहेगा ) इस प्यालेके लिये तुम मेरे सही करेगा। सबके अन्तमें हाजानका हस्ताक्षर होगा। साथ सम्बन्धसूत्र में आवद्ध और परिणति हुई हो । अत- इसके बाद 'हाजान' वरको कर्तव्य पालन करनेके पव इसका यह प्याला पीओ । इस प्यालेकी अंगुठी और लिये तीन वार अङ्गीकार बद्ध कर भगवान के स्तोत्र पाठ मेरे पास जो कुछ है, उसे दे कर उपस्थित साक्षो और करनेके उपरान्त वरका मस्तक स्पर्श कर पहले उसको हाजानके समक्ष मैंने मूसा और इसरायलके धर्मानुसार | पीछे कन्याको आशीर्वाद देगा! वादाम, सुपारी और तुमसे विवाह किया ।' यह कह पर आधी शरावको पो| अन्यान्य द्रष्य हाजानको दक्षिणाखरूप देते हैं। इसके जाता है। फिर आधो शराबको उस नवपरिणीता वधूके बाद कन्याकी माता हाजानको सोनेकी एक अंगुठी देती मुंहमें डाल देता है। अगुठी उससे निकाल कर कन्याके है। पोछे वरकन्याका परस्पर 'गेउजुड़ाव' कर वे बड़े दाहने हाथके पहली उंगलीसें पहना कर कहता है-"मूसा समारोहसे घर लाये जाते हैं । इस समय भोजनोत्सव और इसरायलके धर्मानुसार इस अंगुठो द्वारा मेरी तुम हुआ करता है। भोजनाभोदके बाद कन्याकी सखियां विवाहिता हुई। इसी तरह तीन बार कह कर हाथमे वरकन्याको रात वीताने के लिये एक खतन्त्रघर या 'कोह एक ग्लास मद्य दूसरे एक हाथमें काले पत्थर जड़े हुए | वर में ले जाती हैं। तीसरे दिन ही पान चवानेका एक चन्द्रहार ले कर वधूके गले में पहना देता है। कन्या आमोद होता है। वर और कन्या समीप ही बैठ कर के मुंहसे ग्लास छुभा कर उसे जमीन पर पटक देते हैं। चाभे हुए पानको लेते देते हैं। इस समय बुड्ढे बुढियाँ इसके बाद हाजान 'केतुवा' या लिखित अङ्गीकारपत्र भी इस आमोदमें सहायता देती हैं। इसके बाद कई पढ़ते हैं। अङ्गीकारपतको भावार्थ इस तरह है, स्त्रियां कन्याको माताका चाल गूथने लगती हैं। इस अमुक शुभदिन और शुभ मुहूर्तमें भगवानका नाम | समय भी खूब हंसी मजाक होता है। इस दिन ले कर अमुक स्थानमें अमुकका सुन्दर लडका सुन्दरो-पांच सधवायें वर कन्याको खड़ा कर मट्टी भराने की शिरोभूषा अमुक कन्याको मूसा और इसरायलके | का रकम अदा करती है। फिर वर सभीको शिर धर्मानुसार विवाह करनेकी सम्मति जता कर प्रार्थना की। मुका कर नमस्कार करता है । इस पर उसे एक कमाल थी। जैसे सरायमान सभी अन्नवल और धनसे मिलता है । इसके बाद वरकन्या सिनागग या भजनालय- अपनो स्त्रीका भरणपोषण किया करते हैं, मैं भी भगवान में लाये जाते हैं। यहां 'सफर तोलाय' कुछ सलामी की कृपासे भन्नवस्त्र और धन द्वारा तुमको प्यार करूगा देनी पड़ती है। होजान वरकन्याके शिर पर हाथ देकर और तुम्हारा साथी वन जीवन अतिवाहित करूंगा | आशीर्वाद देता है। ४थे दिन स्नान करने के बाद परस्पर तुम्हारे कौमार्यधर्म मूल्यखरूप तुमको मैंने इतना रुपया | मुखमें जलका छींटा मारनेका आमोद करते हैं। उनका दिया और तुम मेरी पत्नी हुई । मैं तुमको उपढौकनखरूप विश्वास है, कि ऐसा करनेसे उन पर कुहकी कुदृष्टि न इतनी सम्पत्ति तुम्हें प्रदान करता हूं। इस अङ्गीकारको, पड़ेगो । ५वें दिन वरान्वेषणका कौतुक होता है। वर पालन करनेके लिये मैं और मेरे लड़के वाध्य हैं। मेरे । | किसो आत्मीयके यहां जाता है और वहां एक बालकको धनसम्पत्तिसे तुम्हारा भरणपोषण होगा । इत्यादि | साड़ी और कुत्ती पहना कर दोनों नींदका वहाना कर . इत्यादि। यह अङ्गीकारपत्र पढ़ कर सुनानेके बाद सो रहते हैं। कन्या सखियोंके साथ अपने घरको ढढने- साक्षी उस पर अपने अपने हस्ताक्षर करते हैं। इस के लिये बाहर निकलती है । अन्तमें खोजते खोजते वरके समय हाजान कहता है:-'भगवान्की आशा' जो विवाह | पास जाती है और उसकी जगातो तथा पकड़ कर हिलांने करेंगे, वह अपनी पत्नीको अच्छी चीजें खिला पिला लगती है। किन्तु पर आंखें बन्द कर सोये रहता है। कर सुन्दर वस्त्र पहना कर उसे सन्तुष्ट करेंगे। तब घर | पीछे कन्या अपना गहना खोजने लगती है। गहना न कहेगा, 'मैं भी सब प्रकारसे अङ्गीकारको पालन करूंगा। मिलने पर उस स्त्रीवेशधारी वालकको खींचने लगती है। . यह कह कर धर्मसाक्षी दे कर उसके नीचे अपना नाम | उसके पाससे गहना बाहर करती है और उसे चोर कह .