पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६०७

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६०४ यहूदी कर पकड़ती है। इस पर वह लड़का बोल उठता है, कि | खजुर और चावल देते हैं। मूलोंसे उसको वेणी वांधती "मैं चोर नहीं हूं। मैं इस आदमोकी रक्षिता या रखनी स्त्री है। पांच सधवायें उसकी घूघट काट कर दम्पतिक हूं। इसने मुझे यह गहना दिया है । इसका मूल्य चुकाने मुखमें चीनी दे दे कर नाना कौतुक किया करती हैं। पर मैं इसे दे सकती हूं।" कन्या रुपया देनेको स्वीकार पतिके चले जाने पर कन्याके साथ चे एक घण्टे भर करतो है। इसी पर वह आमोद खतम हो जाता है । इस बाजा बजा कर कई तरहके मराठी और हिन्दुस्तानी गाने के बाद वहां भोजन आदि कर सभी चले आते हैं। घर गाती हैं। अतएव पान और सुपारी ले ले कर अपने अपने • पहुंचने पर कन्याकी बहन दरवाजे पर खड़ी रहती है और घर बिदा लेती हैं। अवस्थाके अनुसार भोजको व्यवस्था वरको पकड़ कर रोक लेती है। यह कहती है, कि तुम्हें होती है। दो एक दिन पतिके घर रख कन्याको फिर यदि ईश्वर पुती देंगे. तो मेरे पुत्र के साथ ध्याह कर देना उसके पिता अपने घर ले आते हैं। होगा। यह बात तुम स्वीकार करो, तो मैं छोड़ दूंगी। रजस्वला-उत्सव-कन्याके पहली वार ऋतुमती होने पहले वर राजी नहीं होता, पोछे स्वीकार करने पर वह पर उसकी माता बेहान'को खबर देती है। वरकी मां आ उसे छोड़ देती है। कर पुष्पोत्सवका आयोजन करती है। कन्याके मां बाप-

छठे दिन कन्याको जल लाना और बरा तैयार करना | की अवस्था अच्छी न होनेसे यह उत्सव प्रायः ही वरके

होता है । सधवायें वरका शेहरा उतारती और उसे जलमें | घर हुआ करता है। ऋतुके आठवें दिन घरको मां .बहा देती हैं । ७ दिन कन्याकी माता वरके घरके सभी कन्याकी मांके संग डफ ले कर अन्यान्य आत्मीयोंको लोगोंको आमन्त्रित कर आती है। वर कन्या सभी वहां निमन्त्रण देने जाती है। दोपहरको सभी आ कर सम्मि- आ कर भोजन करते हैं । इस दिन वरको कन्याको माता | लित होती हैं। सभी मिल कर कन्याको गर्म जलसे सोनेकी अंगुठी और रेशमी रूमाल उपहार देती है। स्नान कराती हैं। इसके बाद मूल्यवान कपड़ा पहना कर उसके दूसरे दिन वरकन्याको ले कर घर आता है। पूर्व मुख हो कर कन्याको बैठाते हैं। इसी समय पर भी माठवें दिन जो कुटुम्ब विवाहके दिन किसी कारणवश सुन्दर कपड़ा पहन कर पत्नीके सामने आ कर बैठ जाता उपस्थित नहीं हुए हैं, उनके घर जा कर वर-कन्याको है। इसके बाद पांच सधवाये उन्हें घेर लेती हैं और दर्शन देना होता है । इसके बाद एक महीनेके भीतर कोई कन्याको वेणी बांधने लगती है, कोई वेणीमें फूलों- सुविधाके अनुसार वरकर्ता "सामजीवन" और कन्या का शृङ्गार करने लगती या कोई वरके गले में फूलको कर्ता 'व्याहिजीवन' थे दो भोजोत्सव करते हैं। ये ही | माला पहनाने तथा वरके हाथमें इन देती हैं। एक सधवा विवाहका अन्तिम उत्सव होता है। वरकन्याके अञ्चलमें बादाम तथा सोपारी देती है। पांच बेन-इसरायलोंके लिये पत्नी ही धर्मसंगत है। फिर सधवाये दोनों हाथों में चावल ले कर कन्याका मस्तक, पहली पत्नी बन्ध्या हो, या मृत्वत्सा हो, या केवल स्कन्ध और घुटनेसे छुआती हैं। इसे हमारे यहां चुम्बन- कन्याप्रसविनी, चाहे पतिको अप्रियकारिणी हो, या की प्रथा कहते हैं। इस समय दम्पतिको घरका परस्पर कन्याके पिता अपनी पुत्रीको पतिके घर भेजने आना नाम पुकारना पड़ता है। इसके बाद वहांसे चला जाता कानी करे या पत्नी पतिको त्याग कर चली जाय, तो | हैं। इसके बाद आमन्त्रित व्यक्तियोंको चीनी देनी पड़ती पति दूसरा वियाह कर सकता है। है। वे प्रायः दो घण्टे तक गाती बजाती हैं। पीछे प्रत्येक

नववस्त्र-परिधान-यदि बालिकाका विवाह बारह | एक गुच्छा पान और सुपारो ले कर विदा हो जाती

वर्णसे पहले हो हो गया हो, तो जब बारहवां वर्ष उप हैं। सोते समय वरको मां वधूको वरके पास घरमें स्थित हो, तो उसको नया शुभवस्त्र पहनानेकी प्रथा है ।। पहुंचा देती है। इस उत्सव में भो वरकन्याको एक चौकी पर बैठा कर | साधभक्षण-स्त्रीके प्रथम बार गर्भवती होनेसे सात स्नान कर सधवायें कन्याके अञ्चलमें सुपारी, बादाम, | मासके बाद एक दिन शुभ दिनको मिन और आत्मीय-