पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६१०

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यहूदी शव का शिर और एक आदमी पैर पकड़ते हैं ! तीसरा । पांच और दाहनी वगल में छः पत्थर रखते हैं। गड्ढे में व्यक्ति कमर पकड़ कर कपड़े लपेट देत और इस तरह / मट्टी डाल दो जाती है । इसके बाद प्रधान शोकाकुल उसे रखते हैं, जिससे उसका शिर पूर्वको ओर हो। व्यक्ति उस ठण्डे जलको शिरसे आरम्भ कर चारों ओर शव को कबमें डाल देने पर उपस्थित सभी आदमी मृत जल गिरा देते हैं। जल गिरात गिराते जव जल पैरके शरीरक शिरके नीचे एक एक मुट्ठो मट्टो रख देते हैं। निकट आ जाता है, तब उस पात्रको पटक कर तोड़ इसो समय कोई मन्त्र पढ़ते हैं। तथा कोई मट्टी डालने फोड़ डालते हैं । पीछे कुछ घास उखाड़ उखाड़ कर फिर उसकी ओर न देख जल्दी जल्दी घर आते हैं। शिरहानेके पत्थरके पास रोप देते हैं। कितने ही नारि- TH वाट व खोदनेवाले उसे भर देते हैं। मृतक । यलका गुदा कत्र पर छोटते हैं। इसके बाद शोकसन्तप्त आत्मीय कनकी वगलमें जा पश्चिममें मुख कर मन्त्रपाठ परिवारके लोग कत्रके पोछे खड़े हो कर मन्त्र पाठ करते रहते हैं। आते समय प्रत्येक घास उखाड़ कर करते, नारियलका गुदा मुंहमें देते, सवजीको सूंघते और पीछे फेंक कर चले आते है। कफिन ला कर भजना- धूमपान कर घर लौट आते हैं। यहां 'जारत्' पाठ होता लयमें रख दिया जाता है। मृतपुरुषके घर आ कर सभी । है और सन्ध्याको आत्मीय कुटुम्व वन्धुवान्धवोंको हाथ मुख धोते हैं, तम्बाकू या कुछ कुछ सुरापान कर आमन्त्रित कर खुलाते और मांस तथा मिष्ठान्नका भोज अपने अपने घर चले जाते हैं। जहां मृत्यु होती है, वहां देत है। एक घटाई विछा कर उसके पास एक जलता हुआ चिराग' इसके बाद शोकाकुल व्यक्ति सिनागगमें हाजानका और एक पात्रमें शीतल जल रख देते हैं। वहां सात दिनों शान्तिमन्त्र पाठ सुन आते हैं। मृतके लिये सिनागग १ तक गृहस्थके निकट आत्मीय उस विछाई हुई चटाई या आसेर तेल भेज देना होता है । इसके बाद सभी आ पर सोते, वैठते और भोजन करते हैं। इसका विशेष कर वरामदेमें बैठते है। प्रधान शोकात व्यक्तिको छोड लक्ष्य रखा जाता है, कि चिराग बुझने न पाये। । और सभोके पैसेसे शराव आती है। यहां मद्यपान हो ये सात दिन ही उनके लिये शोकका समय है। ये जाने पर प्रधान शोकात व्यक्ति उन्हें .पना घर ले जाते कई दिन उस घरके लोग कुसी पर नहीं बैठते, स्नान और उन्हें शराव और तम्बाकू पिलाते हैं। प्रधान नहीं करते, कोई अच्छी खाद्यवस्तु नहीं खाते. मद्य- शोकारी व्यक्तिको जाति कुटुम्बको एक महीने, पर और पान नहीं करतं और घरसे बाहर नहीं जा सकते है। तीन महीने पर भोज देना होता है। पाणमासिक और पुरुष शिरमें टोपी भी नहीं पहनते और किसीको सलाम | वार्षिकके समय भेड़ोंका मांस ला कर एक बड़ा भोजका नहीं करते। प्रति दिन सवेरे दश सच्चरित्र आदमी आ आयोजन किया जाता है। उसमें 'जार' और 'जिस्विर' कर धर्मग्रन्थ पढ़ते हैं । इन सातो दिनों में तीसरे और मन्त्र पाठ होता तथा इसमें बहुनरे व्यक्ति एकत्र होते ठे दिन हाजान आ कर मन्त्र पाठ करते हैं। सातवें हैं। इस दिन भजनालयमै शरावका दाम भेजना होता दिन आत्मीय और कुटुम्बिनी नारियल हाथमें ले मृतक है। यदि भजनालय निकट नहीं होता, तो उसी दामकी की स्त्रीको नारियल के तेल लगवा कर स्नान कराती शरीव मंगा कर आत्मीय कुटुम्ब पी डालते हैं। और अपने स्नान कर सभी अपने अपने घर जाती धर्म । -बेने इसरायल एकेश्वरवादी हैं। उनके हैं। इसके बाद हाजान दश भादमियोंके साथ वहां आते | भजनालयमें हस्तलिखित हिव वाइविल (Old Testa- हैं। मृतके घरमै मरनेको जगह ठंढे जलका जो पात्र रखा | ment ) रहती है और यह भगवान्की आज्ञा है. यह गया था, उसको ले कर हाजान और शोकाकुल आत्मीय- सब किसीको विश्वास है *। स्वजातिमें ही वे धर्मका खजन कनके पास माते हैं। कत्र पर छः इञ्चका एक गड्ढा खोदा जाता है। मृतके शिरकी ओर एक बड़ा * यह पोथी पुरानी हो जाने पर जलमें डाल दी जाती है। पत्थर पैरके निकट एक छोटा पत्थर तथा बाई वगलमें | इस कारण मनुष्य मृत्युकी तरह शोक किया करते हैं।