पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६११

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प्रचार करते हैं। उनके हिन्धर्मका मूलमन्त्र यही | या मलमास लगता है। इस मलमासका नाम थे. है, कि "वे प्रभु हमारे ईश्वर हैं, वे हा हमारे एक- आदर है। . 'मात्र प्रभु हैं।" उनके मुहमें सदा यही मूलमन्त्र रहता उनके उपवास या प दिन। है। इस मन्त्रको उच्चारण करते समय दाहिने हाथके तीसरो मासकी पहली तारीख, १, रोषहोसाना या अंगूठेसे दाहिनो आंख छूनी पड़ती है । ऐकेश्वरवाद- नव वर्षारम्भ, २ सोमगदल्य या नववर्षका उपवास, उकि- को छोड़ उनमें १३ विषय स्वीकार्य हैं । १, ईश्वर ! प्युर या क्षमाप्रार्थनाका दिन। ४, सुकोथ या पवित्र- सृष्टिकर्ता और जगत्का शासक है । २. वे ही उनके भोज । रोषहोजाना या नवरोज उत्सव ही सर्वप्रधान है।

एकमात्र ईश्वर हैं और रहेंगे। ३, वे निराकार, अव्यय | इसी उत्सवके प्रायः एक सप्ताह पूर्व प्रत्येक घरमें चुण-

'और अक्षय हैं। ४, वे हो सब पदार्थोके आदि और काम करना होता है। अवस्थाके अनुसार सभी नया- अन्त हैं। ५ वे ही उनके एकमात्र पूज्य हैं। ६, वाइ- वस्त्र धारण करते हैं। इस समय सभी प्रसन्न दिखाई 'बिलका पहला भाग हो (Old Testament ) ही धर्म- देते हैं। इस दिन सभी सुन्दर वस्त्र पहन कर सिना- शास्त्र है। ७, मूसा ही सव भविष्यवक्ताओंमें श्रेष्ठ और गग या भजनालयमें जाते हैं। 'उपासनाके अन्त होने पर उनके कानून ही शिरोधार्य है। ८, ईश्वरने मूसाको जो उपस्थित सभी दो दलोंमें विभक्त हो जाते हैं। एक उपदेश दिया है, वे हो नियम उन लोगोंको मिला है। ६ । दल खड़ा हो अपराध-भञ्जन-स्तोत्र पाठ करता है। दूसरा ये नियम कभी वदले न जायंगे । १०, ईश्वर सभी मनुष्यों- दल खड़ा हो उसके उत्तरमें कहते हैं, कि हमने जैसे तुम को ही जानते हैं और उनके कार्योको समझते हैं। १९, लोगोंको क्षमा को, परमेश्वर भी वैसे ही तुमको क्षमा ईश्वर न्यायवानको पारितोषिक और अन्यायकारीको दण्ड करें। इसी तरह एकके बाद दूसरा दल अपने-अपने दिया करते हैं। १२ अब भी मेसाया या भगवदव वाक्योंकी अदलावदलो किया करते हैं। इसके बाद तार नहीं हुआ, समय आने पर होगा। १३, फिर कबसे सभी आपसमें हाथ चूमते और अपने घर आकर स्त्रियों- उठ कर मुर्दे ईश्वरका गुणगान करेंगे। का कर चूमन किया करते हैं। प्रत्येक घरमें उत्तम " ने इसरायों में दो तरहके वर्ष प्रचलित है। एक | भोजकी व्यवस्था होती है। किस्लेव या मार्गशीर्ष २५ ३ . गाहस्थ्य वर्ष और दूसरा धर्मवर्ष । गार्हस्थ्य या साधा दिवस हुनुकाका उत्सव होता है। इस दिन प्रतिघरमें रण वर्ष 'तीसरी' आश्विनसे शुरू होता है । इसी 'तीसरी । और भजनालयमें दीपावली होती है। देवेत या पौष मासकी श्लोसे हो 'जगत्को सृष्टि मानते हैं । निशान मासकी १०वीं तारीखको उपवास, आदारमासकी १३वीं (चैत्र) मास धर्मवर्ष आरम्भ होता है। इसरायलोंके | · को उपवास और १४वी महाभोजको ( इस दिन भेजना- 'छोड़ देनेके वादसे इस वर्षकी गणना चलती है। 'योम' | लयमें जा कर सभी 'मेगीला' या भाग्यकहानी सुनते या दिनका नाम-रिशोन (रवि), शनि (सोम), शलिषी हैं)। निसानमासके १४ से यात्रोत्सव आरम्भ, प्रथम (मङ्गल), रेवियि (बुध), हमिषी (वृहस्पति ), शिशि | दो दिन रोटो और शाकान, पिछले ६ दिनों तक केवल (शुक्र) और शवियि-शव्वर्ण (शनिवार)। वे चान्द- भात रोटी चलती है। पहले दिन भजनके समय सभी मास गिनते हैं । वर्णमे १२ मास होते हैं । २६ या ३०, खूब शराब पीते हैं । इस मासकी ३०वी तारीख 'जिंवग' दिनका मास गिना जाता है। बारह मासोंके नाम इस) या आमोदका दिन है। सिवान मासमें ६ठी तारीख ही तरह है :-तीसरी ( आश्विन ), देशवान ( कार्तिक ), | मूसाका स्मरण दिन है। वेने-इसरायलका विश्वास है, किसलेव ( अंगहण ), वेवेत (पौष ), शेवाथ (माध), . कि इस दिन मूसा भगवान्के निकट धर्मशास्त्र लाभ किया आदार (फाल्गुन); निशान (चैत्र ), इयार (वैशाख), था। तम्बूजमासके उपासनाका दिन है, १७वी को इस दिन सिवान (ज्येष्ठ ), तम्मूज ( आषाढ़), आव (श्रावण), मूसाने प्रचलित विधिका परिवर्तन किया था, उसीके और एलूल (भाद्र ) । प्रति तीसरे वर्ष भधिमास - स्मरणके लिये उपवास किया जाता है। आव मासकी