पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६१४

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यहूदी तीन मजनालय स्थापित हुए। सन् १६७५ ई०में स्पेन । किन्तु वे सन् १७४५ ई० में निर्वासित कर दिये गये; और पोत्तुगीज यहूदी एकल हुए । इन्होंने यहां एक कारण-वे साइवेरियाके निर्वासित व्यक्तियोंके साथ सुन्दर और समुच्च भजनालय या गिजे की स्थापना को लिखा-पढ़ी किया करते थे। फिर भी वे उसके अधीनस्थ थी। हालेण्डवासी यहूदियों में भी बहुतरे ग्रन्थकारों पोलण्ड और उकाहन प्रदेशमें ही वास करते थे। पोलंड- और सुपण्डितोंका जन्म हुआ था। उनमें रब्दी मेनासे के हि जगत्के अन्यान्य हिव ओंसे उत्तम कहे जाते वेन-इसरायलका नाम विशेषरूपसे उल्लेखनीय है । इसने | थे। यहां हिब्रु-समाजसे 'सव्वथे' और १७४० ई में हिव उपासना या अनुष्ठानके सम्बन्ध प्रथ भी लिखा | 'जसिदिम' सम्प्रदायोंकी उत्पत्ति हुई। सन् १७६० ईमें है। इस समय उरियल-दा-कोष्टा नामक स्वाधीनचेता| वहाँसे ही तालमूदके विरुद्धवादी एक सम्प्रदायका अभ्यु- यहूदो पण्डितने प्रचार किया था, कि आदिधर्मपुस्तक दय हुआ । जेकव फाङ्क (Jacob Frank) इस सम्प्रदाय- (Old Testament ) और रब्बीनोंकी प्रचारित प्रवाद- के प्रवर्तक थे। वे तालमूदकी प्रामाणिकता अखीकार माला कभी भी दैवशक्तिसम्पन्न यो प्रामाणिक नहीं कर जोहारके काव्वालमतके पक्षपाती हुए थे और उन्हों- मानी जा सकती। वह मृतके पुनरुत्थान और पुनज न्म-1 ने खुष्टानोंको तरह नित्व (Trinity) खोकार कर ली थी। को नहीं मानता था। इसके लिये उसाने दण्ड भोगते। इस पर सिनागगने 'वृष्टान' कह कर इस सम्प्रदायका हुए ३०० फ्लोरिनका जुर्माना दिया था। इस पर भी अपमान किया था। इसो सङ्कटके समय वे आश्रय लाभ. उसने अपने मतका परिवर्तन नहीं किया। फल यह हुआ, को आशासे तुकाराज्यमें भाग गये । किन्तु यहां भी कि वह समाजच्युत कर दिया गया। और तो क्या, उस जनसाधारण उनके विरुद्ध हो गया और उन्हें नाना तरह- 'ने नाना अपमानोंको सहते हुए अपनी जीवनी लिख कर ले अपमानित करने लगा। खुष्टान-धर्मके प्रति फाडकी इहलीला संवरण की। सिवा इसके वेनीतिकृ स्पिनोजा कुछ आस्था थी। उन्होंने समझ लिया था, कि सभी धर्म 'नामक एक व्यक्तिने जड़ और चैतन्यको अनित्यता तथा| और सभी सम्प्रदायके समीकरण करनेके लिये ही वे एकमात्र ईश्वरका नित्यत्व खोकार कर एक बार अद्वैत- भगवान द्वारा भेजे गये हैं। उनके शिष्य-सम्प्रदायके वादका प्रचार किया। वह हि धर्ममतके विरुद्ध होनेसे लोग आज भी पोलएडमें वास करते हैं। वे इस समय क्रमशः उसके आत्मीयस्वजन भी उसके विरुद्ध हो गये। रोमन कैथलिक समाजमें हैं। फिर भी उनमें अब भी अन्तमें वह अमष्टर्डम भाग गया, किन्तु उसने अपना मत प्राचीन युदा-धर्मका निदर्शन विद्यमान है और सिनागग. परिवर्तन नहीं किया। के धर्ममें उनका दृढ़ विश्वास है । सन् १८३०.ई में पोलंड ' अमष्टर्डमके बाद ही हेगके यहूंदी बहुत कुछ समृद्धि में एकाएक विद्रोहानल प्रज्वलित हुआ था, उसमें इसी शाली हो उठे। शहरको अधिकांश सुन्दर अट्टालिकायें सम्प्रदायका विशेष हाथ था । इसी कारणसे वे ही यहूदियोंको हो चुकी थी। यहांका गिर्जा एक दर्शनीय फ्रान्स जा कर आत्मरक्षा करनेको बाध्य हुए थे। वस्तु थी। जर्मन और पोत्तुगीजोंके धर्मगुरु सदा सन् १७८६ ई०में वर्तमान हिव समाजमें नये युगका ही यहाँक गिजोंके परामर्शसे कार्य करते थे। प्रारम्भ हुआ। फ्रान्सीसी विप्लवसे सारा यूरोप विचलित १८वीं शताब्दीमें सारे युरोपमें हि धर्मका अधःपतन हुआ था। इस समय यहूंदो भी अपनी प्राचीन प्रथाको हुआ । फ्रान्सके निकले धर्मविरोधी साहित्य और दर्शनों- परित्याग कर खुधानोंके पड़ोसीरूपसे वास करने में यत्न- ने यहूदियों और जेएटाइलोंका ध्यान आकर्षण किया वान् हुए थे। फ्रान्सके दारुण राजनीतिक सङ्कर्ष अव- था। दार्शनिक बोलता और उसके शिष्य सम्प्रदाय- लोकन कर उन्होंने साम्य, मैत्रो और खाधीनताको रक्षामें ने यहूदियोंको अपने-अपने ग्रन्थों में घोर निन्दा | जल्द गम्भीरखरसे सभ्यसमाजसे आवेदन किया था। को है। सन् १७६१ ई०में उनका आवेदन प्राह्य हुआ। उन्होंने ' पिटर-दी-अटके राजत्वमें यहूदी रूसराज्यमें घुसे ।। फ्रान्सक नागरिकोंका अधिकार लाम किया । महाविकम-