पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६१५

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६१२ यहूदी-याकलर शाली नेपोलियन बोनापार्टने भो यहूदियोंको प्रेमकी , यहूयहू ( सं० पु०) कबूतरकी एक जाति । दृष्टि से देखा था और फ्रान्सीसी विप्लवक समय उन्होंने यह (सं० पु० ) यजतीति यज-(शेवाषहवजिह्वाग्रीवाप्वामीवाः । जो अधिकार पाया था, उसका सम्पूर्णरूपसे अनुमोदन उण् १११५४) इति वन् प्रत्ययेन निपातितः। १ यज- किया। फ्रान्सराज प्रथम नेपोलिनने यहूदियोंके हित मान। २ महत्, बड़ा। कामी बन कर सन् १८०६ ई०में एक महासभा बैठाई । यह्वत (सं० वि० ) महत्, बड़ा इस सभामें फ्रान्सीसी सम्राट्ने नाना स्थानोंसे यांचना (हिं० स्त्री० ) याचना देखो। हिब्र ओंके प्रधानोंको बुला कर एक प्रश्न पूछा था। इसके या (फा० अध्य० ) १ विकल्पसूचक शब्द, अथवा। उत्तरमें उन्होंने कहा था, कि उनके धर्मशास्त्रों में बड्डु | ( स० वि०) 'यह' का वह रूप जो उसे ब्रजभाषामें पत्नी ग्रहण करनेकी प्रथा रहने भी पर सन् १०३० ई०क कारक चिह्न लगानेके पहले प्राप्त होता है। संघके मतानुसार वे एक पत्नीवतका पालन करनेको या.(सं० स्त्री० ) १ योनि । २ गति, चाल । ३ रथ, बाध्य हैं। स्त्री या पति त्याग एक समयमें ही निषिद्ध गाड़ो । ४ अवरोध, रोक । ५ ध्यान । ६ प्राप्ति, लाम । हुआ था। उनके धर्ममत भिन्न होने पर भी दूसारे सव | याक (हिं. पु०) हिमालय पर होनेवाला जंगली वैल देशी लोगोंको भी एक जातीय समझते हैं। उनके जिसकी पूंछका चंचर बनता है। . शास्त्रमे ऋण दे कर सूद लेना पाप है । केवल वाणिज्य- याकलर-बीजापुरमें रहनेवाली एक नीच जाति । इनमें व्यवसायमें न्यायतः सूद लेना दोष नहीं। इस समका कोई खास कर श्रेणीधिभाग तो नहीं है पर घेरमलार, मत अनुमोदन करनेके लिये उन्होंने सन् १८०७ ई०. जल्लारवर, मल्लारवरु और पोतगुलियावरु आदि नामक में एक सभाका आयोजन किया। इस सभामें हालेण्डसे कितने वंशोका उल्लेख मिलता है | हनुमन्तदेव या भी बहुतेरे धर्मगुरु उपस्थित हुए थे। इस सभामे सभीने मारुति तथा कोटेगिरिकी कांचिनवाई इनके प्रधान पूर्व प्रस्तावका अनुमादन किया ; किन्तु हालेण्ड उपास्य हैं । कुलदेवताको पूजामें ये लोग ब्राह्मण नियुक्त और जर्मनीके यहूदियोंके मनमें न बैठा। जो हो, राजाका नहीं करते। नये वर्ष, दीवाली और नागपंचमी के दिन प्रश्रय पा कर यहां ही बहुतेरे सम्भ्रान्प्र यहूदी आ कर ये उपवास करते तथा कही कही थोड़ा गुड़ और रोटो रहने लगे। थोड़े दिनोंमें ही यहाँ अस्सी हजार यहूदियों । खो कर रहते हैं । ..का वस्ती हो गई थी। गत शताब्दीमें यहूदी वैदेशिक | ___ तीर्थक्षेत्रके पुजारियोंके सिवा दूसरे सभी मद्य, साम्यनीतिके गुणसे नाना स्थानोंमें तितर बितर हो गये। गांजा, भांग आदि मादक द्रष्य तथा मांस खाते है । हिंदूके इसके साथ साथ रची मतका प्रचार हुआ। दो एक निदर्शनस्वरूप सभी चोटी रखते हैं। प्रति सोमवार स्थानों में 'कराइत' नामक एक छोटा सम्प्रदाय दिखाई | और जेठी पूर्णिमामें ये कोई काम नहीं करते। विवाह आदि काममें ब्राह्मण ही इनकी पुरोहिताई वर्तमान यहूदियों में आचार्य नहीं है; यज्ञोय वेदी नहीं | करते हैं। दूसरे दूसरे कामोंमे धर्मगुरु ही सव काम उनके यज्ञ सभी विलुप्तप्राय हो गये हैं। उनका कहना है, कराते हैं। इनमें वाल्य-विवाह, बहु विवाह और कि मूसाकी विधिके अनुसार चल कर सरल चित्तसे | विधवा विवाह प्रचलित है। अनुताप करनेसे हो प्रायश्चित्त होगा। उनका विश्वास जन्म होनेके तेरहवें दिन वालकका नामकरण और है, कि वार्षिक अपराधभञ्जनके लिये जो अनुष्ठान होता सातवें महीने में अन्तप्रासन होता है। है, उसके पिछले वर्णका पाप दूर हो जाता है। वे विवाहके निर्धारित शुभ दिनमें कन्याका घर गोवरसे जीवात्लाका देहान्तर ग्रहण स्वीकार करते हैं, सिवा इसके लीपा पोता जाता है। तदनन्तर कन्यापक्षीय स्त्रियां कन्या सभीका विश्वास है, कि पुण्यशील व्यक्ति सुन्दर लोकमें | को वरके घर लेजातो हैं वहां वर और कन्याको एक साथ जाते और पापात्मा व्यक्ति कत्रमे सदा सड़ते रहते हैं । हल्दी लगा कर स्नान कराया जाता है। इस प्रकार तीन दिन देता है।