पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६२९

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याजपुर-याजाज् दाक्षिणात्यमें रहना पड़ा था। विद्यानगरपति कृष्णरायने । मार कर सिंहासन पर बैठे। रघुरामने १ वर्ष ७ मास १५१४-१५ ई०में गजपतिराज्य पर आक्रमण किया और | १४.दिन राज्य किया। गोदावरीके दक्षिास्थ सभी भूभागों पर अधिकार | । मुकुन्ददेव हरिचंदन ही उत्कलके अन्तिम स्वाधीन जमाया। प्रतापरुद्रके पुत्र वीरभद्र उस युद्ध में परास्त | हिंदृ राजा थे। वे तैलङ्ग जातिके थे। उन्होंने १५५६से हुए और उनके चचा तिरुमल कैद किये गये। आखिर १५६८ ई० तक शासन किया था। मुकुन्ददेवके शासन- प्रतापरुद्रने विजयनगरके साथ मेल कर विजेता कृष्ण-1 कालमें सम्राट अकवरने उनकी सभाम दूत भेजा था। रायके हाथ अपनी कन्या सौंप दी। पठान-सुलतान करराणीने उन्हें छेड़छाड़ की थो, इसी __प्रतापरुद्रको मृत्युके बाद कलुआदेव और कखा उद्देशसे उत्कल सभामें मुगल-दूनका आगमन हुआ । रुआदेव नामक उनके दो पुत्रोंने १५४२ ई० तक राज्य मुगलके साथ उत्कलपतिका मेल हो जानेको सावर पा किया। ये दोनों नाममात्रके राजा थे, राज चलानेमें कर सुलतान करराणीने उत्कलराज्यको ध्वंस करने उतनी क्षमता न थी। इस समय भोई (कायस्थ) जाति- लिये कालापहाड़का भेजा। कालापहाड़ उत्कलको देव- के गोविन्दविद्याधर सर्वमय कर्ता थे। प्रतापरुद्रके देवियोंको तोड़ता, मन्दिरोंको ढाहता और ग्राम नगरीको समयसे वे.एक प्रधान कर्मचारीका काम करते आ रहे | लूटता हुआ अग्रसर हुआ । मुकुन्ददेवका सेनापति काला- थे। धीरे धीरे प्रतापरुद्रके पुत्रोंको एक एक कर यम पहाड़के हाथ परास्त हुआ । इस समय दक्षिणांशमें फिर पुर भेज दुवृत्त गोविन्दविद्याधरने उत्कलराज्य पर अधि- एक दूसरा सामन्त विद्रोह हुआ। मुकुन्द पहले गृहशत्नु कार जमाया । प्रायः १५४१ ईमें उनका अभिषेक का विनाश करने निकले। घमसान युद्धके बाद विद्रोही. हुआ। १५४५ ई०में उन्होंने गोलकुण्डाके मुसलमान के हाथसे उत्कलके अन्तिम स्वाधीन राजा यमपुरको राजाके साथ घमासान युद्ध किया था । उस समय सिधारे। इधर कालापहाड़ भी आ धमका। विद्रोही उनका भांजा रघुभा छोटराय उत्कलमें विद्रोही हो| सामन्त मुसलमानोंको रोकनेमे निहत हुए । रघुभा गया था । बङ्गालके मुसलमान उसके पक्षमें थे। छोटाराय कैदमें था। उसने बड़ी होशियारीसे छुटकारा जो कुछ हो, गोविन्दविद्याधरने दक्षिणसे आ कर रघु- पा कर सिंहासन दखल करनेकी कोशिश को । किंतु भञ्जको परास्त किया और दलबल के साथ उसे गङ्गाके | उसके विशेष परिचित मुसलमानोंने उसे चैन नहीं दूसरे किनारे मार भगाया। दिया। आखीर मुसलमानों के हाथसे वह मारा गया। गोविन्दके बाद चक्रप्रताप उत्कलराज्यमे अभिषिक्त | इस प्रकार १५६८ ई०में उड़ीसाकी हिन्दू-स्वाधीनता हुए। किसीके मतसे इन्होंने ८ और किसीके मतंसे | जाती रही। पुरी देखो। १२॥ वर्ष राज्य किया था। यह राजा अत्यन्त अत्या- / याजमान (सं० क्लो०) यज्ञमें यजमानका किया हुआ चारी थे। चक्रप्रतापके बाद नरसिंहराय-जेना राजसिंहा- काम । सन पर बैठे। इन्हें १ मास १६ दिनसे अधिक राज- याजमानिक (सं० वि०) यजमानसम्बन्धीय, यजमानका । सिंहासन पर बैठना नहीं पड़ा था। हरिचन्दनने बागी हो | याजयित (सं० त्रि०) यज्ञपरिचालनकारो, यज्ञ कराने कर उनका काम तमाम किया । नरसिंहके भाई रघुनाथ- वाला या पुरोहित । जेना राजा हुए सही, पर उनके भी भाग्य में राज्यसुख याजाज--आगरानिवासी एक मुसलमान कवि । इन्होंने वदा न था । मुकुन्द हरिचन्दनका विद्रोहानल दिन पर बहुत सी अच्छी कविताओंको लिख कर याजाजकी दिन धधकने लगा। प्रधान मन्त्री दनाई विद्याधर पराजित | उपाधि पाई थी। इनका पूरा नाम था शेख मुहम्मद और बन्दी हुए । रघुभञ्ज छोटारायने मौका देख कर उत्कल सैयद । ये १६९१ ई०में सम्राट आलमगीरके समयमै पर चढ़ाई कर दो। वह भी मुकुन्दके साथ युद्ध में परास्त | जीवित थे। मुलतानके नवाब नाजिम् मकरव खांके और बन्दी हुआ । आखिर मुकुन्द उत्कलपति रघुरामको द्वारा प्रतिपालित हो ये कविता लिख कर प्रतिष्ठित हुए