पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६४५

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यावा अभिनय कार्य में शिक्षकता और दक्षता देख कर लोगों - देखते है। उनका 'लक्ष्मणवर्जन' पाला कवि ठाकुर- ने उनके मास्टरो. किताबके बचा रखा था। यात्रावाले | दासका रचा है। यह पाला गा कर वे बहुत प्रसिद्ध हो तथा अन्यान्य मनुष्य उनकी बड़ी खातिर करते थे। इस गये हैं। कारण मदन मास्टरके दलका तमाम आदर था। गाने आशुबाबूके समसामयिक वोको मुसलमान यात्रा. और वजानेकी परिपाटी भी इनकी निराली थी। दलका उल्लेख पाते हैं। बोको और साधु दोनों ही परमानन्दसे मदनमास्टरके पूर्ववत्ती यानावाले जिस सहोदर तथा मुसलमान जातिके थे। इस समय ये जिसका गाना होता था, उसके उसके मुखसे गवा लेते लोग एक प्रसिद्ध यानादलके अधिकारी थे। कवि थे। यात्राकी सुरतरंगको अव्याहत रखनेके लिये ठाकुरदासने इस दलके लिये 'लवकुशका पाला' तथा दीयारको व्यवस्था थी । बालकों का मधुरगान दर्शको भगवान गांगुलीने 'रावणबध' की रचना की । इस समय के चित्तको चुरा लेता था। बाघबाजारके निवासो झडू दास अधिकारीका 'मकर मदनमास्टरके पहले यात्रामें पेला लेनेकी रीति थी। आगमन' और 'रावणवध' पालाका अच्छा नाम था। भद्र सन्तानके पक्षमैं इस प्रकार पेला लेना घृणाका विषय इस दलको लोग 'झोड़ो-दल' कहा करते थे। झोडोके तथा असमर्थ दर्शकके पक्षमें लजाका विषय समझ कर | जैसा नृत्यविशारद उस समय के किसी भी यात्रा दलमें उन्होंने इस प्रथाको उठा दिया। न था। ___ मदनमास्टरके बाद महेश चक्रवती और तारक- वद्धमान जिलान्तर्गत धवनीग्राममें भगवद्भक नोल. नाथ चट्टोपाध्यायने दक्ष-यक्ष पाला आरम्भ किया। कण्ठ मुखोपाध्याय रहते थे। वे यातादलको स्थापना उनके गानमें भक्तिप्रवणता ही दिखाई देती थी । कर विशेष प्रतिष्ठालाभ कर गये हैं। उनके रचित पद मास्टरकी पत्नीकी अनुकरण पर नवद्वीपके विख्यात | 'कंठके पद' कह कर प्रसिद्ध हैं। वर्धमान और वीरभूम यातादलके अधिकारी नीलमणि फण्डकी पत्नीने भी जिलेमें उसका विशेष प्रचार है। यात्रादल संगठन किया । वह दल आज भी 'बहुकुण्डकी' इसके बाद सुप्रसिद्ध 'बालक-सङ्गीत' याजाके अधि- यात्रा नामसे कलकत्ते में प्रसिद्ध है। कारी रसिकलाल चक्रवत्तींका अभ्युदय हुआ। यशोहर मदनमास्टरके बहुत पीछे रामचाँद मुखोपाध्यायको जिलेके कालीगञ्ज थानाके अधीन रायप्राममें रसिकका शौकीनी यात्राका उल्लेखा पाया जाता है। उनकी घर था। १२६४ सालके चैत्रमासमें जव उनको माता- "नन्दविदाय" शौकीनी यात्रा उस समय प्रचलित थी। का देहान्त हुआ, तब वे सांसारिक विषयों पर लात वे 'संगीतमनोरञ्जन' नामसे एक संगीत प्रन्थ भी लिख मार कुछ बालकोंको साथ ले बाहर निकले और खरचित गये हैं । कलकत्ते के जोड़ासांकोमें उनका घर हरिगुणगीतका गान करना आरम्भ कर दिया । वही था। वे विख्यात धनी छातुवाबू (आशुतोषदेव ) के पीछे वालक-संगीताभिधेय यात्रामें परिणत हो गया। दीवान थे। उस समय घंगाल भरमें इस वालकसङ्गीतका आदर और बद्धमान जिलेके अन्तर्गत भातशाला प्राममें मोती- सम्मान बढ़ गया था। लाल रायका आदि वास था। पीछे वे नवद्वीपमें आ ___ यात्रावालोंमें थोचे पगला नाम बहुत प्रशंसनीय है। भर वस गये। वे एक देशविख्यात योनाकार थे। उन यानाके अधिकारियों में इसी व्यक्तिने सबसे पहले ऐति- के बनाये हुए भरतागमन, निमाईसंन्यास, सीताहरण, हासिक नाटक खेला। वह प्रन्थ विख्यात हिन्दूद्वेषी विजयवसन्त, द्रौपदीका वस्त्रहरण, रामवनवास और | मुसलमान-सेनापति कालापहाड़का चरित्र ले कर सङ्क बजलीला पालाके गान बहुत प्रशंसनीय हैं। लित हुआ था। ___ इसके बाद हमलोग उलुबेडियाके निकटवती फुले- इस समय कलकत्तेके दो प्रसिद्ध शौकिनी यात्रा श्वरनिवासी आशुतोष चक्रवत्तीके यानादलको प्रसिद्धि । दलके अधिकारियोंका नाम उल्लेखनीय है । बाग.