पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६४६

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-- - - - - - यात्राकार-यादवराजवंश वाजारके तिनकौड़ी मुखोपाध्यायके 'अभिमन्युवध' याथातथ्य (सं० पु० ) यातष्य होने का भाव यथाथता । पालाने सङ्गीत और वक्तृतामें अच्छी प्रतिष्ठा प्राप्त ) याथात्म्य (सं० क्ली० ) आत्मानुरूपता की थी। याथार्थिक (सं० वि०) यथार्थे । दूसरा दल राजा राममोहन रायके पौत्र और जज याथार्थ्य (सं० क्ली०) यथार्थ होनेका भाव, यथार्थता। रमाप्रसाद रायके पुत्र हरिमोहन राय द्वारा स्थापित याथासंस्तरिक (सं० वि० ) आस्तरणान्वित, विछौनेसे हुआ। हरिमोहन बाबू कभी शौकिनी और कभी पेशा युक्त। दारी व्यवसायरूपमें यात्रा कर गये हैं। याद (फा० स्त्री०) १ स्मरण-शक्ति, स्मृति। २ स्मरण बङ्गालके सुप्रसिद्ध अमृतवाजार पत्रिकाके संपादक करनेकी क्रिया। (पु.)३ मछली, मगर आदि जल. भगवद्भक्त शिशिरकुमार घोप महाशयने कृष्णप्रेमप्रणोदित जन्तु । हो १८वों सदीके आखिरमें ये अपने आत्मीय स्वजनोंको | यादईश (सं० पु०) यादसामीशः ६-तत् । १ समुद्र। ले कर एक कृष्णयात्राका अनुष्ठान किया। वह सम्पूर्ण २वरुण। प्राचीन प्रथासे अभिनीत हुआ था। ऐसा बड़ा भकि- | यादःपति (सं० पु०) यादसां पतिः ६-तत् । १ समुद्र। युक्त संगीत और फिर कभी सुनने में नहीं आया। २ वरुण। रामलीला देखो। यादगार ( फा० स्त्री० ) वह पदार्थ जो किसीके स्मृतिके यात्राकार (सं० पु०) यात्रो-क-अण। १ याताके शुभा- रूपमें हो, स्मारक। शुभका निर्णय करनेवाले मुनिगण ।२ यात्राकारक, यात्रो याददाश्त (फा स्त्री०) १ स्मरणशक्ति, स्मृति । २ किसी करनेवाला। घटनाके स्मरणार्थ लिखा हुआ लेख । यात्रामहोत्सव (सं० पु. ) योता,एव महोत्सवः । यात्रो- | यादव (सं० पु०) यदोरपत्यं यदु-अण् । १ श्रीकृष्ण । त्सव, याना जैसा महोत्सव । २ यदुके वंशज । यदु देखो। (त्रि.)३ यदुसम्बन्धी यात्रावाल ( हिं० पु० ) वह ब्राह्मण या पंडो जो तीर्थाटन करनेवालोंको देव-दर्शन कराता हो। यदुकां। यांत्रिक (सं० वि०) १ यातासम्बन्धी, यात्राका । २ जो | यादवक (सं० पु० ) यदुवंशोद्भव, यदुके वंशज ।' बहुत दिनोंसे चला आता हो, रोतिके अनुसार। ३ | यादवगिरि (सं० पु०) एक पर्वतका नाम। यादव- प्राणयात्राके उपयुक्त, वह जो जीवन धारण करनेके लिये | गिरिमाहात्म्यमें यहांके देवलिङ्ग तथा तीर्थोंका विवरण दिया हुआ है। उपयुक्त हो। (पु०) ४ यात्राका प्रयोजन, कहीं जाने का अभिप्राय या उद्देश्य । ५ यात्रो, पथिक । ६ यात्राको यादवराजवंश-दाक्षिणात्यके एक पराक्रान्त हिन्दूराज- सामग्री, सफरको सामान । वंश। देवगिरिमें राजधानी रहनेसे यह वंश 'देवगिरिः यालिन् (सं० त्रि०) यात्री देखो। का यादव' नामसे भी प्रसिद्ध है। फिर इस राजवंशकी यात्रो (सं०नि०) १ यात्रा करनेवाला, एक स्थानसे दूसरे | भी दो धारा देखी जाती है। पुराविदोंने एकको प्राचीन स्थानको जानेवाला। २ देव-दर्शन या तीर्थाटनके लिये और दूसरेको परवत्ती वंश कह कर उल्लेख किया है। जानेवाला। प्राचीन धारा। यात्रोत्सव (सं० पु०) यात्राके समान उत्सव । ___ हेमाद्रिके चतुर्वर्गचिन्तामणिके अन्तर्गत व्रतखण्ड यात्सत (सं० क्लो०) बहुत दिन तक यज्ञ, सारस्वत और इस वंशके राजाओंके कितने ताम्रशासन तथा शिलालिपिसे जो परिचय मिला है, वह संक्षेपमें नीचे याथाकथाच (सं० अध्य०) घटनाकासे उपस्थित । लिखा जाता है। याथाकामी (सं० स्त्री० ) इच्छानुसार काम करनेवाला। हेमाद्रिके व्रतखण्डमें पौराणिक यादववंशका पुत्र- याथाकाम्य (सं० क्ली०) कामनानुरूप, इच्छाके मुताविक ।। पौत्रादि क्रमसे इस प्रकार परिचय है- . याग।