पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६५९

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याम्यतीर्थ-याराना याम्यतीर्थ (स' क्लो०) तीर्थभेद, यमसम्बन्धी तीर्थ । यारकंद ! हिं० पु०) एक प्रकारका बेल-बूटा जो कालीमें याम्यदिगभवा (सं० स्त्री० ) तमालपत्री। बनाया जाता है। याग्यद म (स० पु०) शाल्पलि वृक्ष, सेमलका पेड़। यार महम्मद-सिन्धुपदेशके कल्हाराचंशीय वलुची-राज- याम्या (स. स्त्री०) यमस्येयं यमो देवतास्या इति वा वंशले प्रतिष्ठाता। इन्होंने पहले राजा लक्ष्मी और इल्तास ( यमाचे ति वक्तव्यं । पा ४११८५) इति वार्तिकोफ्त्या प्य | खाँ ब्राहएरको सहायतासे शिवके शासनकर्ता मोर्जा टाप। १ दक्षिण दिका दक्षिण दिशा । २ भरणी बखतबार खाँको १७०१ ई०में पराजित कर शिकार नक्षत। (त्रि.)३यमसम्बन्धी, यसका। पुर अधिकार कर वहां राजपाट स्थापन किया। याम्यायन (स क्ली०) यास्यानामयनं याम्यं अयनमिति । दिल्ली सम्राटने उन्हें देराजात दानके साथ साथ वा दक्षिणायन । 'खुदा चार खाँ'-को भी राजोपाधि दी थी। इसके बाद याम्योत्तरदिगंश (सं० ० ) लम्बांग, दिगंश । इन्होंने परमारोंको सामतानोसे भगा कर धीरे धीरे एक याम्योत्तररेखा (स' स्त्री०) यह कल्पित रेखा जो किसी सामन्तराज्य विस्तार किया। पीछे इन्होंने १७११ ई० में स्थानम्मे आरम्भ हो कर सुमेरु और कुमेरसे होती हुई । रतवारके भाई मालिक अली वक्सको हरा कर कन्दि- भूगोलके चारों ओर मानी गई हो। पहले भारतीय! यारो और लोनी दखल किया। मोर्जा यार महम्मद- ज्योतिषी यह रेखा उज्जयिनी या लंकासे गई हुई मानते। को अत्याचार काहिनी और अपने सौभाग्यविपर्ययको थे, पर अब लोग युरोप और अमेरिका आदिके भिन्न कथा इन्होंने शाहजादा मईज् उहोनको (पोछे जहान्दर भिन्न नगरोंसे गई हुई मानते हैं । आजकल बहुधा शाहको ) कह सुनाई । मईज उद्दोन उस समय मुलतान- इस रेखाका केन्द्र इङ्गलै एडका प्रीनिच नगर माना में थे। जव उन्होंने यह संवाद सुन पाया, तो तुरत वे जाता है। सिन्धुप्रदेशमें आ उपस्थित हुए। मोर्जाने सम्राट-पुत्रसे याम्योदभूत ( पु.) याम्यायामुद्भृतः । थोतालवृक्ष। प्रार्थना की जिससे वे राज्यमें सैन्यचालना न करें। यायक (सं० पु० ) पुनः पुनर्यजति यज् यङ् ( यजजय- शाहजादाने उनकी एक भो न सुनी, वे आगे बढ़े। यह दशां यः । पा ३।२।१६६ ) इति ऊक. पुनः पुनः यागकर्ता, | देख उन्होंने ससैन्य सामनेवाली मुगलसेना पर धावा वह जो वारम्बार यज्ञ करता हो इसे इच्याशील भी वोल दिया। लड़ाईमें मोर्जा निहत हुए; किन्तु शाह- कहते हैं। जादा यार महम्मदको विना सजा दिये ही भक्करकी ओर चल चले । राजाको कृपा देख यार खाने उल्लासित हो यायावर (स० पु०) पुनः पुनरतिशयेन वा याति देशा- सकर अपने कब्जे में किया। १७१६ ई०में उनको कल- देशान्तरं गच्छतीति या-यङ् ( यश्च यः । पा ३२१७६ ) होरामें मृत्यु हुई। इति वरन् । १ अश्वमेधीयाश्व, अश्वमेधका घोड़ा।२ जरत्कारु मुनि ! ३ मुनियों के एक गणका नाम । जर- यार लतीफ खाँ-बङ्गालके नवाव सिराजुद्दौलाके एक कारुनी इसी गणमें थे। 8 एक स्थान पर न रहनेवाला! सेनापति। इन्होंने ही वङ्गालका राजसिंहासन पाने के साधु, सदा इधर उधर घूमता रहनेवाला संन्यासो।५ लिपे अङ्ग्रेज-कर्मचारी मि० मोयाट्सनके साथ नवाब वह ब्राह्मण जिसके यहां गार्हपत्य अग्नि वरावर रहती सिराजुद्दौलाको राज्यच्युत करनेका पड़यन्त्र किया था। हो, साग्निक वालण। ६ यांङचा. याचना। इनके बाद सेनापति मीरजाफर खाने यह आवेदन अङ्ग- रेज-सभामें भेजा था। यायिन (सं. नि०) या निनि युकागमश्च । गमनशील, याराना (फा० पु०) १ यार होनेका भाव, मित्रता। २ जानेवाला। यार (फा पु०) १ मित्र, दोस्त । २ उपपति, किसी स्त्री और पुरुषका अनुचित सम्वन्ध या प्रेम। (वि०) ३ स्त्रीसे अनुचित सम्बन्ध रखनेवाला पुरुष । मित्रका-सा, मित्रताका।