पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६६

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६३ मुद्रातत्त्व (भारतीय) समय मुद्रा पर अश्वारोही सम्राटकी प्रतिमूर्ति देखी। जाता है। अलावा इसके चासके सैकड़ो तामानुशासन जाती है। और ताम्रमुद्रा आविष्कृत हुई।

इसके बाद वभेरिया-राज १म लुइस द्वारा प्रचारित |

रूसिया, पोलण्ड और हुङ्गेरी। डालरका तमाम जर्मनीमें प्रचार हुआ। इसके बाद १५वीं सदीके पहलेकी रूसियाकी मुद्रा विलकुल प्राण्डेनर्ग और व्रान्सुइक मुद्रा सर्वत्र फैल गई। १३वी नहीं मिलती। इसकी प्राथमिक मुद्रा पर वाइजन्तियम सदीमें ४र्थ पोथो ( Otho) के शासनकाल तक मेरो | का शिल्प-प्रभाव देखा जाता है। पिटरो-दि-ग्रेटके मिञ्जियन और कार्लोमिञ्जियन सम्राटोंको मुद्रा प्रचलित समय मोहरको बड़ी प्रसिद्धि थी। निकोलसने प्लाति- थी। पादरियोंने नोके समय ६५० से १८०१ ई० तक नाम धातु वा श्वेत काञ्चनका सिक्का चलाया था। सिक्का चलाया था। १६वी और १७वों सदोमें हाम पोलण्डका सिक्का ११वीं सदोसे आरम्भ हुआ है। पीछे वर्गको मोहरको बड़ी उन्नति हुई थी। जर्मन पदक १५वीं सदीमें पोलण्डराज उलादिसलस जगोलोने इस- शिल्पोत्कर्षमें इटलीके पदकसे निम्न स्थान पानेके योग्य की बड़ी उन्नति को थी। डालजिक नगरकी मुद्रा पर है। जर्मन पदकके वनानेवाले चित्रकार अथवा भास्कर | वहुत-से सुन्दर सुन्दर शिल्पचित्र देखे जाते हैं। ११वीं नहीं थे। वे साधारण सोनारका काम करते थे। जर्मनी । सदीमें श्म टिफेनके समय हुङ्गेरीको मुद्राने बड़ी तरक्की अलवर्ट डूरर अद्वितीय शिल्पी थे । उनका पदशिल्प सभो' को यो। पीछे १४वीं सदीमे अञ्जूर चार्लस रावर्टने शिल्पियोंसे बढ़ा चढ़ा है । पितृभक्त हूररने पदकमें पिता-! 'क्लोरिण' और डुकाट चलाया। इसके बाद जान हुनि माताकीजो अपूर्व प्रतिमूर्ति अङ्कित कर गया है, वह , यादिकी राजकीय मुद्रा श्रेष्ठ आसन पाने योग्य है । शिल्पनैपुण्यका अद्वितीय उदाहरण है। उसी मुद्राके तलमें अष्ट्रियाकी राजवंशीय हाङ्गोरियो मुद्रा पर बहुतसे लूथर, एरासमस, ५म चार्ल्स, माक्सिमिलियन और, सुन्दर चित्र देखने आते हैं। उस समय यहां बहुत-सी वर्गएडोको सम्राज्ञी रूपवतो मेरीकी प्रतिमूर्ति विशेषभाव- मोहर प्रचलित हुई थी। १६वीं और १७वीं शताब्दी में से प्रशंसनीय है। ट्रानसेल भिनियाकी मुद्रा पर विपुल ऐश्वर्यका परिचय नोरवे, डेनमार्क स्वीडेन। पाया जाता है। क्रुसेड वा धर्मयुद्धके समय तुर्क- स्कन्दनाभीयदेशमें राजकीय कोई नागरिक मोहर , साम्राज्यकी अनेक प्रकार विचित्र मुद्रा पाई जाती है । नहीं मिलती। इङ्गलैएडके डेनिस-विजयसे हो इन सव- पोप ४र्थ इनोकेएटको मुद्रा पर मुसलमानशिल्पका प्रभाव का प्रभावकाल आरम्भ है । नौरवे राज्यमें हेरल्ड हेडाडा-। देखा जाता है। इन सब मुद्राओं पर शल्पोत्कर्ष नहीं को पेनी पाई जाती है। वे टामफोर्ड विजके युद्ध में मारे। रहने पर भी उसे अनेक ऐतिहासिक तत्त्वोंका मीमांसा गये, यह मुद्राको आलोचना करनेसे मालूम होता है। हो सकती है। इसके बाद विख्यात डेनिस सम्राट् कानिउट (Canute.. अमेरिका। की मुद्रा मिलती है। उस समय इसका इङ्गलैण्ड भादि अमेरिकाके मुद्रातत्त्वमें प्राचीनता नहीं है। अभी देशोंमें भी अधिक प्रचार था । पीछे हार्डि कानिउट | यूरोपीय उपनिवेशिकोंने वहां अनेक प्रकारको स्वर्ण और और मागनसके समय वाइजन्तिदयममें मुद्राशिल्पका रौप्य मुद्रा चलाई है। डालर यहांको प्रधान मुद्रा है। अनुकरण देखा जाता है। किन्तु इसमें कोई शिल्पो- वामुंडा और मेलाचुसेट्स नगरमें देवदारुवृक्षाडित मुद्रा स्कर्प नहीं है। १४वों सदीमें स्वीडेनमें मेकलेनवर्गके हो विशेष उल्लेखनीय है। अलवाने मुद्राशिल्पको विशेष उन्नति की। गाटाभस भारतमें मुसलमानी अमल। आडलसफसकी मुद्रा द्वारा अनेक ऐतिहासिक तत्त्वोंको पहले लिखा जा चुका है, कि भारतमें मुसलमानोंके मोमांसा हुई हैं। स्वीडनके १२वे चार्लसके समयको , जमानेसे ही भारतीय मुद्राशिल्पको अवनति हुई। मह- मुद्रा में बहुत-सा रोमक पौराणिक देवदेवीका चित्र देखा । म्मद घोरीसे शमसुद्दीन अलतमस तक मुसलमानी मुद्रा में