पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६६२

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. यायिण-यावदीन था; किन्तु वह विमलसुख धोरे धोरे वडालसे जाता यावच्छेप (सं० अन्य ) जो वचा बचाया है। यावच्छे छ (सं० वि०) अति उत्कृष्ट, बहुत बढ़िया । रहा। • पगला कानाईके जैसे अनेक गुणी जारी गायक, कवि-यावच्छलोक (सं० अध्य० ) श्लोकको संख्याके अनुसार। वाला और यात्रावाला एक समय विद्यमान थे। उनकी यावजन्म (सं० अव्य० ) आजीवन, जब तक जिन्दगी है, ग्याति बङ्गालके दूर दूर प्राममें भी फैल गई थी। उनमेंसे | तव तक। मेहरचांद, जाहेर, पगला ताहेर, आर्जान, मुल्ला, अमानत यावजीवम् (सं० अध्य० ) यावत् जीवतीति जोव (यावति उल्ला, सोना खाँ, तरिव उल्ला, कुर्मानमुल्ला, रोसन खाँ, विन्दजीवोः । पा ३।४॥३० ) इति णमुल । यावदायुः, जीवन नियामुही मुन्शो और सुलतान मुल्ला ये सब यारी गान पर्यन्त । गा कर अच्छा नाम कमा गये हैं। इसके सिवा पगला यावजीविक (सं० त्रि०) आजोवन, जिन्दगो भर। कानाईके गुरु यशोर जिलेके केशवपुरके निकटवत्तीं । यावत् (सं० अध्य०) यद्-डावतु। १ साकल्प, सव कुल। रसूलपुरवासो नयान फकीर, आतस वानु, इछुल, सना- २ अवधि, मर्यादा । ३ मान, प्रमाण। ४ अवधारणा, तल वयाति, कामचाँद वयाति आदि प्राचीन यारो गायक तायदाद । ५प्रशंसा, वड़ाई। ६ सीमा) ७ अधिकार। तथा वर्तमान कालके इदुविश्वास; हाकिमचांद, कमल ८ सम्भ्रम । ६ परिमाण । १० पक्षान्तर ।

विश्वास, लाछिम विश्वास, अजगर शेख, विनोद वयाति यत्परिमाणस्य इत्यर्थे यत् ( यत्तदेभ्यः परिमाणे चतुप् ।

.आदिके नाम उल्लेखनीय हैं। पा ५२।१६) इति वतुप् (आसर्वनाम्नः। पा६।१:६१) यार्कापण ( स० पु०) यकं ऋषिके गोलमें उत्पन्न पुरुष- इत्यात्वं (त्रि०) ११ यत्परिमित, जहां तक । १२ जव का अपत्य। तक। याल (फा० स्त्री०) घोड़े की गर्दनके ऊपरके लंबे वाल, यावतिथ (सं० वि०) यावर्ता पूरणः, यावत् ( तस्य पूरणो 'अयाल। डट । पा ५।२०४८ ) इति डट। (वातोरिथुक् । पा ॥२॥५३) याव (सं० पु०) यौति यूयते वा, यु,अच् मप् वा इति इथुनागमश्च । यावत्परिमाण, जहां तक । ततः प्रहाद्याण् । १ अलक्त, महावर । २ लाख । ३ जौका यावतीय (स० वि०) समुदाय, कुल । सत्तू । ( नि०) यवसे बनाया हुआ, जौका । ५ यावत्कपाल ( सं० अव्य० ) पात्रके मुताविक । यवसम्बन्धी, यवका। यावत्काम (सं० अव्य०) जैसो इच्छा, इच्छाके मुताविक । यावक (सं० पु०) यव एव यावः स इवेति स्वार्थ कन्। यावत्कृत्यस (सं० अन्य०) जितनी बार इच्छा उतनो श्रद्वा याख एव, याव ( यावादिभ्यः कन् । पा ४१२९) इति वार। स्वार्थे कन् । १कुलमास, चोरो धान ।२ कुलत्थ, कुलथी। यावत्सरम् (सं० अन्य०) यथाशक्ति, शक्तिके मुताविक । ३ यवागू, जौको कांजी। 8 माप, उड़द । ५ौ। ६ यावत्मूत (सं० अध्य० ) जितना चरदोसे सिझाया गया जौका सत्त। ७ वह वस्तु जो जौसे बनाई गई हो। हो उतना । साठी धान। ६ लाख। १० अलक, महावर । ११ यावत्सत्त्व (स अध्य० ) यथावल, जितनी शक्ति । माषाका पत्ता । कश्मीरमें इसे तुलसो कहते हैं। | यावत्प्रमाण (सं० अन्य०) १ जितना वडा। २ जहां यावक्रीतिकं (स० पु०) वह जो यवक्रीतका हाल जानता तक। यावत्सवन्धु (सं० अन्य० ) १ जहां तक सम्बन्ध हो। यावच्छत्य (स' अध्य० ) यथाशक्ति, सामर्थ्यानुसार। यावत्स्व (सं० अध्य० ) जितना धन । यावच्छस् (स० अध्य०) यावत् वारार्थे शस्। धारंवार, | यावदङ्गीन (सं०नि०) जिस तरह दलको मजबूती हो । हमेशा ! यावच्छन (सं० अव्य०) यहां तक शस्त्र जाय. यावदन्त (सं० अन्य० ) शेष तक। यावदीक्षन (सं० अन्या) मुहूर्सके लिये।