मुद्रातत्त्व (भारतीय)-मुद्रायन्त्र ६५ अकबरी मोहर। नाम परिमाण मूल्य। तोला माशा रत्ती १। शाहनशाह ... ... १०१ ६ ७ =१०० लालजलाली मोहर-१०० रुपया वा ४००० दाम । २। छोटाशाहनशाह ... ... १ ८ ० =१०० गोल मोहर-६०० रुपया । ३। रहस -शाहनशाहका आधा। ४। आत्मा -शाहनशाहका चौथाई। ५। विनसत् -शाहन्शाहका पांचवा भोग। ६। चहारगोषा ० ५. =३० रुपया। ७। चुगुल ६ . -३ गोल मोहर-२७ रुपया। ८1 इलाही १ २ . =१२ रुपया। । अफतावी १२ १m. = रुपया-चौका लाल जलाली। १०। लाल-जलाली ... ... १ ० १. = रुपया=४०० दाम । ११। आदल गुटको ... ... ११ ० = ४ रुपया (गोल मोहर)। अकबरी रुपया। । इस रूपीका आधा 'दरव', उसका आधा 'चरण', रूपीका_१, 'पण्डु' १.. १। रुपी (गोल)=११ मा० ४ २० । २। जलाला (चौका)- ११मा० ४र०२ 'अष्ट' १ 'दशा' १ 'कला' तथा १ सुकि'। पुरानी अकवरशाही गोल रूपोका मूल्य ३६ दाम निर्दिष्ट था। अकबरी पैसा। राजाओंकी मुद्रा पर प्राचीन दाक्षिणात्य-मुद्राका कुछ दाम (पैसा)=१ तोला ८ माशा ७ रत्ती = ३२३ निदर्शन रहने पर भी सभी मुद्रा वृटिश-प्रभावकी गवाही ५६२५ ग्रेन ताम्रखण्ड। दामका आधा 'अधेला' उस- दे रही है। परन्तु नेपालमें अभी भी हिन्दू-मुद्रा चलती का आधा पाउला' और उसका आधा 'दमड़ी'। जव तक मुगल साम्राज्य अक्षुण्ण था, तव नक अकवरी मुद्रा वर्तमान वृटिश राजत्वमें मोहर, गिनी, भगिनी, मान ही चलता रहा था। रुपये, अठन्नी, चवन्नी, दुअन्नी, अन्नी, डबल पैसा, मुगल प्रभावके ह्वास और महाराष्ट्रके अभ्युदय पैसा, अधेला और पाई प्रचलित है । वृटिश- होनेसे शिवाजी और उनके वंशधरोंने फिरसे हिन्दूमुद्रा- | प्रभावसे भारतीय मुद्राशिल्पकी दिनों दिन उन्नति हो का प्रचार किया था। इस समय नेपाल, काश्मीर, | रही है। मेवार, आसाम और कोचविहार में भी हिन्दूराजे अपने | मुद्रावल (सं० क्ली०) वौद्धोंके अनुसार एक बहुत बढ़ी अपने नाम पर सिक्का चलाते थे। वङ्गालके प्रतापा. संख्याका नाम । दित्यने कुछ दिनोंके लिये अपने नाम पर सिक्का चलाया | मुद्रामार्ग (सं० पु०) ब्रह्मरन्ध्र, मस्तकके भीतरका वह था। मेवाड़को छोड कर काश्मीर और राजपूतानेके , स्थान जहां प्राण-वायु चढ़ती हैं। अन्यान्य स्थानोंको मुद्रा पर मुसलमानी प्रभाव देखा | मुद्रायन्त्र-काष्ठादि कठिन पदार्थों पर अङ्कित चित्र या लिपि जाता है। अंगरेजी शासनसे भारतीय मुद्रामें बहुत मालाकी प्रतिलिपि उतारनेका यन्त्र विशेष । पहले स्याहो परिवर्तन हुआ है। राजपूताने और निवाकोड़ आदि या रङ्ग, खोदी हुई मूल लिपिमें लगा कर दवानेसे उस Vol, xvill. 17 २ पसार