पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६९२

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यूकाण्ड-यन प्रकारका है। ये मभी सक्ष, बढ़न छोटे और काले यूथभ्रष्ट ( स० पु० ) यूथाभ्रष्टचलितः। १ यू पपरिनष्ट होते हैं ना सिरक यान्टोंमें रहते हैं। | वह हाथी जो मुएडसे भाग गया हो। (नि.) य यभ्रष्ट- चिस्मिा -विडंग और गंधोत्पल चूर्ण मिला गोमूत्र मात्र, दलच्युत मिद कड्या तेल पका कर मिरमें देनेसे ढोल जल्द मर | यूथमुख्य (सं० पु०) सेनापति। भाते हैं। पालमें गोमूत्रके साथ अतिबलाका प्रलेप यूथर ( स० वि० ) यूथ-चतुर्प अर्थेषु ( अभ्यादिम्यो रः । देनेस भी यह विनष्ट होता है। (कामरत्न ३ एक पा ४११६६०) इति । १ जिस देशमें सेना हो। २ प्रकारका परिमाण जो एक यवका यर्थ भाग और यूथसे निवृत्त । ३ सेनाका निवासस्थान | ४ लेना- एक लिक्षाका अठगुना होता है। ४ कृष्णाडम्पर, काला का पतन । गूलर ।५ यमानी, अजरायन । यूथशस् (सं० अध्य० ) यूथ वारार्थे शस्। यूथसमूह । यूकाण्ड (सं० पु० ) लिख्या, चीलर । | यूथहत (सं० वि०) यूयात् हतः परिभ्रष्टः। यूथम्रए, यकारी (मखी० ) लालिका, कलियारी नामका जह- दलच्युत । गेला पौधा यथावणी (सं० पु० अन नीयते नी स्विप, यू यस्य कायास (सं० पु० ) माखोर वृक्ष, सिहोरका पेड़। अप्रणोः । दलपति, सेनाध्यक्ष । यगन्धर (सं० पु. ) पंजावक एक प्राचीन नगरका नाम। यूथिका (सं० स्त्री०) यूथं पुष्पवृन्दमस्या अस्तीति यूथ- इसका वर्णन महाभारतमें आया है। आजकल इसे ठन्-टाप् । १ पाठा, पाढ़। (राजनि०)२ अम्लानक । ३ धुरन्धर कहते हैं। पुष्पविशेप, जूही नामका फूल । पोला होनेसे इसे हेमप्पिका गृत (मपु०) मिश्रण, मिलावट। कहते हैं । संस्कृत पर्याय-गणिका, अम्वष्ठा, मागधी, यति ( म० स्त्रां० ) यु (उतिय ति जति सातिहेतिकीर्त यश्च। य थी, प्रहसन्तो, शिखण्डिनी, वासन्ती, वालपुष्पिका, पा ३।३।६७ ) इति निन् निपातनाहोर्धत्वञ्च । मिश्रण. ' बहुगन्धा, भृङ्गनन्दा । इसका गुण-खादु, शीतल, मिलानकी क्रिया। शर्करारोग, पित्त, दाह, तृष्णा तथा नाना प्रकार त्वक्- यूथ की युमिश्रण ( तिथपृष्टययययपोथाः । उण दोपनाशक । सभी प्रकारको यूथिका रस और वीर्य-तुल्य २०१२) इनि थक् प्रत्ययेन निपातिनं । १ एक हो जाति है; किन्तु स्वर्णय थिका सदोंसे देखने सुन्दर और गन्ध- या वर्गके अनेक जीवाका समूह, मुण्ड। २दल, सेना। • युक्त होती है। भावप्रकाशके मतसे यू थिका और स्वर्ण- वृथया ( सं० वि० यूथ-क्न् । ममूहयुक्त। यूथिका शीतवीर्य, तिक, मधुर, कपाय और कटुरस, यूथग ( मं० पु० । नाप मन्वन्तरके एक प्रकारके देवता। कटुविपाक, लघु, हृदयग्राही, पित्तनाशक, कफ और यूथनाध (म पु०) यूथस्य नाथ । १ यूथपति, सरदार। वाय वर्द्धक तथा व्रण, रकदोप, मुखरोग दन्तरोग, लेनापति, सेनाध्यक्ष नेत्ररोग, शिरीरोग और विपनाशक माना गया है। यूथप ( स० पु० । यूथं पातीति पा-क। १ सरदार। (भावप्रकाश) २ सेनापति । ३ जंगली हाथियोंका सरदार। यूधिकापन (सं० पु.) तालोशपत्र। त्यपनि (स' पु०) यू था पतिः। यूथप, सेनानायक। यू थी (सं० स्त्रो) यूथ-अर्श आद्यच, ततो डोप् । यूयिका, यूथपरिभ्रष्ट (संपु० ) यूथात् परिभ्रपश्चलितः। १ हो । यह हाया जा झुण्डसे भाग गया हो। (वि०१२ यूथ. यू थान (सं० पु०) यूयं पातीति यूथ-स। यूथप, भ्रष्टमात्र, दलच्युत। । सेनापति। गृथपशु ( पु०) सम्पूर्ण राजकरका दशवां हिस्सा! यूथ्य ( सं० वि०) यूथे भवः यूथ (दिगादिभ्यो यत् । पा यूथपाल (संपु०) यथं पालयताति अण् । यूथप, ४३५४ ) इति यत् । यूथमव । सेनापति। । यून (सं० क्लो०) १ बन्धनो । २ रज्जु, डोरों। Pol, IIIII, 173