पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/७०८

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७०५ येमनुर- येनुसचिरा इस विभागके पश्चिम कोणमें अंगरेजाधिकृत ये छोटे कदके, काले और मजबूत होते हैं। इनकी आइन नगरो विद्यमान है। वहु प्राचीनकालले भारतके | नाक छोटी और आटवे तथा कपाल चिपटा होता है। साथ मिस्र और यूरोपका वाणिज्य इसो नगर हो कर ये कोपोनके सिवा और कुछ नहीं पहनते। विवाहमें . . . परिचालित होता था। श्ली सदीमें रोमोंने भारतीय इनका बहुत कम खर्च होता है। वाणिज्य अपने हाथ लेनेकी कामनासे इस नगरको तहस | येरकुद-मद्रासप्रदेशके सालेम जिलेके अन्तर्गत एक पात्य नहस कर डाला। ११वीं सदीमें आदेन फिरसे समृद्ध- उपनिवेश। यह मक्षा० ११ ५१ ३८” उ० तथा देशा० शाली हो उठा। यूरोपीय वणिकोंने जब उत्तमाशा अन्तरोप ७८.१३ ५पु०के मध्य शेभरय पर्गतके दक्षिण भागमें घूम कर भारतवर्षमें आनेका रास्ता निकाला, तब इस | अवस्थित है। यह स्थान समुद्रपीठसे ४८२८ फुट ऊंचा . स्थानको समृद्धि जाती रही। पीछे तुर्कोने इस नगरमें है। यहांका जलवायु प्रीतिपद है। अधिकार जमाया। १८७६ ई०में अगरेजोंने जव इस येरावर-दाक्षिणात्यके कुफराज्यके अन्तर्गत कोड़गेके सर. स्थानको जीता, उस समय यहांको जनसंख्या हजारके दारों के अधीन सादिम एक जाति । इस जातिका मनुष्य करीव थी। किन्तु १८४२ ई०में नाना जातिके वणिकीके ! पहले क्रोतदासको तरह बेचा जाता था और कभी कभी आनेसे इसकी जनसंख्या २० गुनी बढ़ गई । आदेन देखो। धन ले कर अपने मालिकके पास आत्मसमर्पण करता येमनुर-बम्बई प्रदेशके धारवाड़ जिलान्तर्गत एक गण्ड- ! था। १८३३ ई में जब कुर्ग अङ्रेजों के अधीन हुआ तव प्राम। कुलवर्गाके मुसलमान-साधु राजा वाघेश्वरके ! ऋमिश्नर यूल साहबने नियम कर दिया, कि इसे कोई उद्देशसे यहां प्रतिवर्ष चैत महीने में एक मेला लगता है। नहीं वेव सकता है। जिसमें प्रायः एक लाखसे अधिक मनुष्य जुटते हैं। प्रवाद ! ये मझोले कदके, वलिष्ठ और काले होते हैं और है, कि वोजापुरके आदिल-शाहीवंशके अधापतन भूतकी पूजा करते हैं। इनका विश्वास है, किं मलवोर- (१४८६-१६८७ ) के वदि १६६० ई०में वीजापुर, उपकूलमें इनका आदिम वास था। इनकी भाषा बहुत खाजावन्द नवाज और कुलवर्गामे शाहमीर अवदुल कादरी : कुछ मलयालमोंकी भापाले मिलती जुलती है। नामक दो प्रसिद्ध मुसलमान साधुओंका आविर्भाव | येलगिरि-मद्रास प्रदेशके सालेम जिलान्तर्गत एक पानत्य हुआ। कादिरी वाध पर चढ़ कर घूमते थे इसलिये जनतामें वे 'राजा वाघेश्वर' नामसे पूजित हुए। 4 अधित्यका प्रदेश | यह समुद्रपीठसे ३५०० फुट ऊंचा पेरद-वम्बईप्रदेशके सातारा जिलान्तर्गत एक वड़ा गांव। . ... है.। इसका सबसे ऊंचा स्थान ४४३७ फुट है। यह पाटनसे डेढ़ कोस दक्षिण-पश्चिममें अवस्थित है। येलान्दुर-१ महिसुर राज्यके अन्तर्गत एक तालक। यहां एक पेदोवा नामक शिवलिङ्ग प्रतिष्ठित है। चैत १८०७ ई०में दोवान पूर्णाइयाको अगरेज-राजने यह भ. पूर्णिमामें यहां एक मेला लगता है। | सम्पत्ति दी। भू-परिमाण ७॥ वर्गमील हैं।. पेरफलवा-दक्षिणमें रहनेवाली एक आदिम जाति ।। २ महिसुर जिलान्तर्गत एक नगर । यह अक्षा० १२' नेल्लूर आदि स्थानों में इनका वास है। गोमांस छोड़। ४ उ० तथा देशा० ७७५ पू०के मध्य होन्नुहोले नदीके दृसरे जीवजन्तुका मांस खानेमें ये जरा भी नही सकु- किनारे अवस्थित है। विजयनगर-राजवंशके अधिकार- चते। फिलहाल बहुतोंने वैष्णव और ब्राह्मण्यधर्म ग्रहण कालमें यह स्थान एक सामन्त-राज्यरूपमें परिगणित कर लिया है । इस जातिके लोग शवदाह करते हैं। था। यहाँके गोरेश्वर मन्दिर में १५६८ ई०को शिलालिपि . नेल्लूरवासी सभ्य येकल डालो बुनते और पक्षो, खोदित है। सूभर, गदहा और कुत्ता आदि पालते हैं। दस्युवृत्ति येलुसविरा-दक्षिण-भारतके कुर्ग-राजाके अन्तर्गत एक और कन्या हरण कर उसे वेश्यावृत्तिमें स्थापित करना | उपविभाग । भू-परिमाण ६१ वर्गमील है। १७वीं इनका अन्यतम पेशा है। शताब्दी में राजा दो वीरप्पने महिसर-राजसे यह प्रदेश Val, XVIII, 177