पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/७२५

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७२२ योगदेव-योगमयज्ञान ३५३०० योग कर २००००से भाग करने पर जो लब्ध | योगपति (सं० पु० ) योगस्य पतिः । १ विष्णु। २ शिव, होगा उसे नक्षत्रदिन और योगदिन कहते हैं। महादेव। योगदेव (सं० पु०) एक जैन-ग्रन्थकारका नाम। योगपत्नी (सं० स्त्री०) पोवरी, योगमाता। योगधर्मिन् ( स० त्रि.) योगधम अस्यास्तीति इनि । योगपथ (सं० पु०) योगस्य पन्थाः ६-तत्, समासान्ता- योगावलम्बी, योगी। दन्तलोपः। योगका पथ, योगमार्ग। योगधारणा (स क्लो०) योगाभिनिवेश । योगपद (सं० क्ली० ) योगावस्था। योगधारा-ब्रह्मपुत्रके एक सहायक नदीका नाम । योगपदक (सं० क्लो०) योगस्य पदकं । पूजन आदिके (हिमवत्ख० ३३३३३) समय पहननेका चार अंगुल चौड़ा । एक प्रकारका उत्त- योगनन्द (सं० पु०) मगधके राजा नौ नन्दोंमेंसे एक | रीय वस्त्र । यह वाघके चमड़े, हिरनके चमड़े अथवा नन्दका नाम। नन्द देखो। सूतका बना हुआ होता था और यज्ञसूत्रकी तरह पहना योगनाड़ी (सं० स्त्रो०) अष्टाङ्ग योगसाधनके समय नाड़ी- जाता था। (वीरमित्रोदयधृत सिद्धान्तशेखर ) की एक अवस्था। | योगपाताल (सं० पु०) पातंजलिका शिष्य-सम्प्रदाय । योगनाथ (सं० पु०) शिव । ये सब योगधर्मके आचार्य थे इस कारण ये इस नामसे योगनाविक ( सं० पु० ) मत्स्यविशेष, एक प्रकारको परिचित हैं। मछली। | योगपाद (सं० पु०) जैनियोंके अनुसार वह कृत्य जिससे योगनिद्रा (सं० स्त्रो०) योगश्चित्तवृत्तिनिरोधलक्षणः | अभिमतकी प्राप्ति हो। समाधिस्तद्रूपा निद्रा । १ युग अवसानमें विष्णुको निद्रा, | योगपारङ्ग (सं० पु० ) १ शिव, महादेव । २ योगाभ्यस्त, वही निद्रारूपा दुर्गा। (मार्कण्डेयपु० ८१४६) २ वीरों- पूर्ण योगी। की निद्रा । ३ योगरूप निद्रा । चित्तवृत्तिनिरोधका नाम | योगपीठ ( स० क्ली० ) योगस्य योगाथं वा पीठमासनं। योग है। चित्तको वृत्ति निरुद्ध होनेसे तव और वाह्य- देवताओंका योगासन । ( कालिकापु० ६ अ०) ज्ञान नहीं रहने पाता इसलिये यही अवस्था निद्रा नामसे योगप्राप्त (सं० वि०) योग द्वारा लब्ध, योगसे पाया अभिहित हुई है। ४ प्रलयकालमें ब्रह्मा या परमेश्वरकी | हुआ। सर्वजीव संसारेच्छाके कारण योग। योगफल ( सं० पु०) दो या अधिक संख्याओंको जोड़नेसे योगनिद्रालु (सं० पु०) विष्णु । भगवान् विष्णु प्रलय- | प्राप्त संख्या। कालमें योगनिद्रामें मग्न रहते हैं इस कारण वे योग- | | योगवल (सं० पु० ) वह शक्ति जो योगको साधनाले निद्रालु कहलाते हैं। प्राप्त हो, तपोबल । योगनिलय (सं० पु०) शिव, महादेव । योगभावना (सं० स्त्री०) योगल्य भावना। १ योगविष- योगन्धर (सं० पु०) १ अस्त्र-शस्त्र आदि साफ करनेका | यक भावना, योगको चिन्ता। २ वीजगणितके अनुसार एक मन्त्र । २ शतानीकके एक मन्त्रीका नाम । ३ पीतल- अङ्कप्रकरणभेद। का एक नाम। | योगभवपुर-एक नगरका नाम । योगपट्ट (सं० क्लो० ) योगस्य पट्ट वसनविशेषः योगार्थ पट्टमिति वा। १ वसनविशेप, प्राचीनकालका एक पह- योगभ्रष्ट (सं० वि०) योगमार्गका विच्युत, जिसकी योग- नावा जो पीठ परसे जा कर कमरमें बांधा जाता था और की साधना चित्त-विक्षेप आदिके कारण पूरी न हुई हो। जिससे घुटनों तकका अंग ढका रहता था। शास्त्रका | योगमय (सं० त्रि०) खरूपार्थे मयट । १ योगस्वरूप, विधान है, कि जिसके बडे भाई और पिता जीवित हो | योगके समान। (पु०) २ विष्णु। उसे ऐसा वस्त्र नहीं पहनना चाहिए। २ योगपदक, | योगमयज्ञान (सं० क्ली०) वह ज्ञान या बुद्धि जो योगबल- [ से मिली हुई हो। पूजाआदिमें धार्य उत्तरीय-विशेष ।