पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/७३

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मुद्रीयन्त्र फलक मुद्रणकी सुव्यवस्था हुई थी नीचे उसका एक | था। किन्तु इस समय विशेष विशेष जांच पड़ताल विवरण संक्षेपमें दिया जाता है,- द्वारा जिन प्राचीन खेलोंका संग्रह किया गया है, उनमें वर्तमान काष्ठचित्र (Wood-engraving) की अधिकांश हस्त द्वारा चित्राङ्कित सिद्ध हुए हैं। जी खुंदाई प्रथाके अनुसार पहले भी काष्ठफलकमें पौराणिक सब मुंद्रित ताश मिले हैं, वे प्रायः १५वीं शताव्दीके अथवा देवचरित्र व्यक्तिवर्गके चित्र और धर्मशास्त्रका प्रारम्भमें मुद्रित हुए थे। ऊपर सकाराममें ( Monas. पाठ्य अंश उन्नत छिद्रमें ( in relief ) मेद लिया जाता teries ) इस तरहके चित्रोंके मुद्रणको जो वात लिखी था। पहले जलवत् तरल रंग ( अस्तर चित्रविद्याका Dis. | गई है, उसके नमूनाखरूप नईलिञ्जन नगरके फ्रान्सिस- temper नामक पदार्थ) विशेष द्वारा उसका ऊपरी भोग फान् मनेटरीको मृत्युकी तालिकामें १५वीं शताब्दीके भिंगा दिया जाता था। जब उसमें कोमलता आ जाती प्रारम्भमें "VII. Id Augusti,obiit Fraterh Luger, थी, तब उस पर एक भिंगे कागजका टुकड़ा फैला दिया | laycus, optimus incisor lignorum खोदित फलक' जाता था। इसके बाद दवाव देनेके लिये फोटन (Fro की एक प्रतिलिपि उद्धत है। tton) नामक यन्त्र विशेष (अंग्रेजी Dabber at burni- ____ उलमकी फिहरिस्त ( Registers of UIm ) १३६८ sher नामक यन्त्रकी तरह ही है। ) द्वारा उस भिगे हुए। ई० में उरिक नामक एक व्यक्ति, १४४१ ई में हेनरिक कागज पर यत्नके साथ धोरे धोरे घर्पण किया जाता था। पिटर बन इरोलज हिम, जोयार्ग और एक व्यक्ति हेनरिक, जब तक कागजमें आकार उठ नहीं आते थे, तब तक दवाव १४४२ ई०में उरिक और लिनहार्ट, १४४७ ई०में दिया जाता था। उस समय इसी तरह कागजका क्लाफेयस, टोकेल ( निकोलास खुष्टोफर ) और जोहान, एक पृष्ठ छापने (Anopisthographic ) के सिवा १४५५ ईमें विलहम् और १४६१ ई०में उलरिक और दुसरा पृष्ठ छापनेका कोई उपाय नहीं था। फलकमुद्रित मिइटर आदि कई सुप्रसिद्ध और सुप्राचीन खुदाई करने- इस तरह के दो स्वतन्त्र पृष्ट जिस ओर कोई छाप नहीं वालों ( Formschneicler ) का नामोल्लेख है। सिवा होती, उस ओर गोंद लगा कर परस्पर जोड़नेसे फलक- इसके नलिञ्जनके लाइसेन्स वसूलोकी फिहरिस्तमें मुद्रित पुस्तक ( Block books) का एक एक पृष्ठ जोडा । १४२८-१४१२ ई० तक निल्हेल्म केगलर, १४५३ ईमें जाता था। पीछे उसके विना छपे दोनों पृष्ठोंको एकल उसको विधवा पत्नी और १४६१ ई०में भ्राता विलहेल्म पर्यायक्रमस एक ही 'Brieftnecker' काममें लगे साट देनेसे मुद्रित पत्रों का नम्बर सिलसिलेवार लग हुए थे, ऐसा हो उल्लेख पाया जाता है। जाता था और फोरा या विना छपे पृष्ठ नहीं दिखाई __जव मध्य यूरोपमें खुदाईवालोंकी सहायतासे चित्रा- देते थे । व सेल्सके राजकीय पुस्तकालयके The Lege. कुणका बहुत प्रचार हुआ था, तब उस समय उन सब nd ol st Servatins हमवर्गके प्रन्थागारमें Das Zzei. चित्रोंके छापनेको आवश्यकता दिखाई दी और साधारण tglocklein और आलथर्प तथा गोथाके पुस्तकालयमें लोगोंके यत्न करने पर इस अभावकी पूर्ति हुई । क्रमश: Das geistlich and IVelltich Rom नामक पुस्तक उसी समयसे जगह जगह छापाखानेकी प्रतिष्ठा हुई। जो १५०० ई०में मुद्रित हुई थी, उसका भिन्न रूप सन् १४१७ ई०में फ्लाण्डर्स राज्यके एएटर्य नगरमें Jande निदर्शन है। यथार्थमें उस समय पुस्तक मुद्रण करने के Printere नामसे मुद्रायन्त प्रतिष्ठित हुआ । सर्ने लिये खोदित काष्ठफलक ( iVood Blocks ) एवं १४४२ ई० तक वहां मुद्रकोंने (Printers and wood कागज पर घिसने और छापनेके लिये रवर engravers ) अपने अपने कार्यको परिचालना की थी। (Rubber ) के सिवा अन्य किसी चीजकी जरूरत नहीं १४५४ ई० में ब्रसेल्स नगरके सेएट जान भातुसम्प्रदाय होती थी। ( The Fraternity of St John the Evangelist) में पहले लोगोंका विश्वास था, कि प्राचीन कालके | भी प्रतिमूर्ति बनानेवाली ( Printers and beelde खेलनेवाले ताशोका चित्र काष्ठफलक पर छापा जाता | makers)का अभाव न था।