पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/७४२

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७३६ योगनिद्रा-योगिनी इनमें से कोई कोई दीका काम भी करते और कोई | शिवदूती, ६३ विष्णुप्रिया, ६४. मातृका। ये चौंसठ योगिनी हैं। (वृहन्नन्दिकेश्वर-पुराणोक्त दुर्गापूजाए०) रेशम कातते हैं।.. | कालिकापुराणमें चौंसठ योगनियोंका नाम अन्यरूप .मार्कापोलेने छुगी ( Chugi) शब्दमें योगियोंका | उल्लेख किया है। उनके मतसे ये ब्राह्मण (A braiman) लिखे हैं, ब्रह्माणो, चण्डिका, रौद्री, इन्द्राणी, कौमारी, और धमसम्प्रदाय हैं। देवोपासक स्वतन्त्र ये प्रायः हो | वैष्णवी, दुर्गा, नारसिंही, कालिका, चामुण्डा, शिवदूती, १५०से ले कर २०० वर्ष तक जीवित रहते हैं। | वाराही, कौशिकी, माहेश्वरी, शाङ्करी, जयन्ती, योगनिद्रा (स. स्त्री० ) थोड़ी-सी नोंद, भपको। | सर्वमङ्गला, कालो, कपालिनी, मेघा, शिवा, शाकम्भरी, योगिनी (सं० स्त्रो० ) योग-इनि, योगिन्, डोप। योग भीमा, शान्ता, भ्रामरी, रुद्राणा, अम्बिका. क्षमा, युक्ता नारी, योगाभ्यासिनी। धात्रो वाहा, स्वधा, अपर्णा, महोदरी, घोररूपा, "ते उमे ब्रह्मवादिन्यौ योगिन्यौ चाप्युमे द्विज ।" महाकाली, · भद्रकाली, भयङ्करो, क्षेमङ्करी, उग्रचण्डा, (मार्कपडेयपु० ५२२३१) | चण्डोना, चण्डनायिका, चण्डा, चण्डवती, चण्डी, महा- २ रणपिशाचिनी।३ एक लोकका नाम ।४ आषाढ़ माहा, प्रियङ्करी, वलावकारिणी, बलप्रमथिनी, मनान्म- कृष्णा एकादशी। ५ देवी, योगमायो। ६कालीकी एक थिनो सर्वभूतदायिनी, उमा, तारा, महानिद्रा, विजया, सहचरीका नाम। तिथिविशेष दिग्विशेषावस्थित जया, शैलपुत्री, वण्डघण्टा, स्कन्दमाता, कालरात्रि, योगिनी । ८ तत्काल योगिनी | आवरण देवता । यह चण्डिका, कुष्माण्डो, कात्यायनी और महागौरी। योगिनी असंख्य हैं जिनमें से चौंसठ मुख्य हैं। दुर्गा- ( कालिकापु० ५२, ५३ म०) पूजाके समय इन सब योगिनियोंकी पूजा करनी होती ___ इन सब योगिनियों को भी पूजा करनी होती है। है। प्रधाना चौंसठ योगिनियों के नाम इस प्रकार देखे तिथिविशेषसे योगिनी एक एक ओर रहती हैं। इसका जाते है, विषय इस प्रकार निर्दिष्ट हुआ है- १ नारायणी, २ गौरो, ३ शाकम्भरी, ४ भीमा, ५ रक्त- प्रतिपद् और नवमी तिथिमें योगिनी पूर्व ओर रहतो दन्तिका, ६ भ्रामरी, ७ पार्वती, ८ दुर्गा, कात्यायनी, है। उसका नाम ब्रह्माणी है । द्वितीया और दशमो १० महादेवी, ११ चण्डधण्टा, १२ महाविद्या, १३ महा- तिथिमें उत्तरमें रहनेवाली योगनीका नाम माहेश्वरी है। तपा. १४ सावित्री, १५ ब्रह्मवादिनी, १६ भद्रकाली, १७ / तृतीया और एकादशीमें उत्तरमें, उसका नाम कौमारी विशालाक्षी, १८ रुद्राणी, १६ कृष्णपिङ्गला, २० अग्नि- चतुर्थी और द्वादशीमें नैऋतकोणमें, उसका नाम नारा- ज्वाला, २१ रौद्रमुखी, २२ कालरात्रि, २३ तपखिनी, २४ , यणी; पञ्चमी और त्रयोदशीमें दक्षिणमें, नाम वाराही; मेघखना, २५ सहस्राक्षो, २६ विष्णुमाया, २७ जलोदरी, पष्ठी और चतुर्दशीमें पश्चिममें, नाम इन्द्राणी, सप्तमी २८ महोदरी, २६ मुक्तकेशी, ३० घोररूपा, ३१ महावला, और पूर्णिमाको वायुकोणमें, नाम चामुण्डा; अष्टमो और ३२ श्रुति, ३३ स्मृति, ३४ धृति, ३५ तुष्टि, ३६ पुष्टि, ३७/ अमावस्या ईशानकोणमें रहती है और उनका नाम मेधा, ३८ विद्या, ३६ लक्ष्मी, ४० सरस्वती, ४१ अपर्णा, महालक्ष्मो है। योगिनो सम्मुख कर यात्रा नहीं करनी ४२ अम्बिका, ४३ योगिनी, ४४ डाकिनी, ४५ शाकिनी, चाहिये। ४६ हारिणी, ४७ हाकिनी, ४८ लाकिनी, ४६ विदशेश्वरो, योगिनी प्रतिपद और नवमीमें पूर्व में, तृतीया और ५० महाषष्ठी, ५१ सर्वमङ्गला, ५२ लजा, ५३ कौशिकी, एकादशीमें अग्निकोणमें, पञ्चमी और त्रयोदशीमें दक्षिणमें, ५४ ब्रह्माणी, ५५ माहेश्वरी, ५६ कौमारी, ५७ वैष्णवी, चतुर्थी और द्वादशीमें नैऋत कोणमें, षष्ठी और चतुदशी- ५८ पेन्द्री, ५ नारसिंही, ६. वाराही, ६१ चामुण्डा, ६२ / में पश्चिममें, सप्तमो और पूर्णिमा वायुकोणमें; द्वितीया और दशमीमें उत्तरमें, अष्टमो और अमावस्यामें ईशानमें

  • Marco Polo's Travels, Vol. II, p. 130. | अवस्थान करती हैं । यातादि शुभकार्यमें योगिनीका