पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/७५२

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योग्यत्व-योटक योग्यत्व (सं० क्ली०) योगस्य भावः त्व। १ योगका | योजनवल्लिका (सं० स्त्री०) योजनवल्ली, खार्थे कन्-टाप। । भाव या धर्म, योग्यता। २ लायक या काविल होनेका | मञ्जिष्ठा, मजीठ। योजनवल्ली (सं० स्त्री० ) योजनगामिनी अतिदीर्धा वल्लो भाव, प्रवीणता। योग्या (सं० स्त्री०) योग्य-राप्। १ कोई काम करनेका यस्याः । मञ्जिष्ठा, मजीठ। अभ्यास, मश्क । २ सुश्रुत के अनुसार शस्त्रक्रिया या योजना (सं० स्त्री०) युज-णिच-अण-टाप । १ योगकारणा, किसी काममे लगानेकी क्रिया या भाव। २ जोड, चोर-फाड़ करनेका अभ्यास। सुश्रुतमें लिखा है, कि शस्त्रक्रियादि या चीर-फाड़मे मिलान । ३ प्रयोग, इस्तेमाल । ४ स्थिति, स्थिरता। पारदर्शिता पानेके लिये जो उपाय किया जाता है उसको ५ घटना १६ वनावर, रचना । ७ व्यवस्था, आयोजन । योग्या कहते हैं। जो काम किया जायगा उसमे उपयुक्त योजनीय (सं० त्रि०) युज अनीयर् । १ योजनयोग्य, होनेका नाम ही योग्या है। ३ अर्कयोषित् । ४ युवती, जो मिलाने अथवा योजना करनेकेके लायक हो। २ जवान स्त्री। जिसे मिलाना या जोडना हो। योग्यानुपलन्धि (सं० स्त्री०) योग्यस्य अनुपलब्धिः । योजन्य (सं० त्रि०) १ योजनोय, योजन-सम्यन्धी। २ अभाव-स्थानसाधनविशेष। योजन व्यवधान। योजक (सं० त्रि०) योजयतीति युज्-णिच-ण्वुल। १ योजयितव्य (सं० वि०) युज-णिच-तव्य । थोजनके संयोगकारक, मिलानेवाला। (पु० स्त्री०) २ पृथ्वीका उपयुक्त। वह पतला भाग जो दो बड़े विभागोंको मिलाता हो, भू- योजित (सं० त्रि०) युज-णिच्-क। १ जिसकी योजना डमरूमध्य । की गई हो। २ मेलित, मिलाया हुआ। ३ नियमित योजन (सं० क्ली० ) युज्यते मनी यस्मिन्निति युज ल्युट् । नियमसे बद्ध किया हुआ। ४ रचित, रचा हुआ, बनाया १परमात्मा। २ योग। ३ एकत्रकरण, एकमे मिलाने-हुआ। को क्रिया या भाव। ४ चतुःकोशी, चार कोस या १६ योजितु (सं० त्रि०) युज णिच्-तृव् । योजक, मिलाने- हजार हाथका एक योजन | लीलावतीके मतानुसार ३२ | पाला। हजार हाथका एक योजन होता है। | योज्य (सं० वि०) १ संयोगयोग्य, जोड़ने के लायक । "यवादरैरंगुलमष्टसंख्यईस्तोऽङ्गु लैः षड्गुपितेश्चतुमिः। । २ व्यवहार करनेके योग्य । (पु.) ३ वे संख्याएं जो हस्तेश्चतुभिर्भवतीह दण्डः क्रोशः सहसद्वितयेन तेषा || जोड़ी जाती हैं, जोडी जानेवालो संख्याए। स्यायोजन कोशचतुष्टयेन तथा कराणा दशकेन वंशः ॥" | योटक (सं० पु० ) योटन, मेलन। विवाहके समय वर और कन्याको कोष्ठी देख कर विवाहमें शुभाशुभ स्थिर जैनियोंके मतसे एक योजन १० हजार कोसका करनेका नाम योटक है। विवाहके पहले वर और कन्या- होता है। की जन्मराशि, जन्म नक्षत्र और राशि-अधिपति प्रहंसे योजनगन्धा (सं० स्त्री० ) योजनं गन्धोऽस्याः योजनात् जो शुभाशुभ विवार किया जाता है उसोको योटक गन्धोऽस्या इति वा । १ कस्तूरी । २ सीता । ३ व्यासको कहते हैं। माता और शान्तनुको भार्या सत्यवतीका एक नाम। यह योटक आठ भागों में विभक्त है, यथा-वर्णकूट, (देवीभाग० २०१६) मत्स्यगन्धा देखो। वश्यकूट, ताराकूट, योनिकूट, प्रहमैत्रीकूट, गणमैत्रोकूर, योजनगन्धिका (सं० स्त्री० ) योजनगन्धा स्वार्थे क, टाप् राशिकूट और निनाड़ीकूट । (मुहूर्त्तचिन्ता० ) · इत्वञ्च । योजनगन्धा। .वर और कन्यामें वर्णको एकता वा मित्रता होनेसे योजनपणों (सं० स्रो०) योजनाय सन्धिस्थानादेर्मेलनार्थ | एक गुणफल, उसके साथ वश्यतायोगमें द्विगुण फल, पणं यस्याः । मञ्जिष्ठा, मजीठ। Vol. xVRI, 188 ताराशुद्धियोगमें त्रिगुण फल, इस तरह आठों प्रकारमें