पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/८९

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मुद्रीयावे एक पौंड सीसा ढाल कर लेडका पतर वनामे ! रिगलेटसे पुस्तकके फर्माका पेज कम्पोज होता और सरल रेखाके एम (-Linear cims ) के अनुसार उसमें छपता था। क्योंकि, धावत लेडकी अपेक्षा काप्ट रिंग- ५३० एमका एक 'फोर टु पाइका' लेड ढाला जा सकता लेटका दाम कम है। कभी कभी हरफके समान है। इस प्रकार सिक्स-टु पाइका ८०० एम तथा पइट टु ऊंचाईका रिगलेट तैयार कर कागजमें ब्लाक वार्डर पाइका १०६४ एम प्रस्तुत होता है । 4-to पाइकाका अर्थ आदि छापा होते देखा जाता है । टु-लाइन ग्रेट प्राइमर एक पाइका एमका चार, 6-to पाइका ६ और 8-to से बड़े रिगलेट का नाम फर्निचर ( Furniture ) है। पाइकामें ८ हो सके, ऐसा पतला पत्तर समझा जाता, फर्माके दो पेजके Margin रखनेके लिये जो पोट वा फांक रखी जाती है उसोक लिये उसका ध्यवहार होता __ऊपर कहे गये परिमाणके अनुसार ४ वर्गका एक है। कई जगह काठके फर्निचरके बदले में metal वा पौंड माननेसे मालूम होता है, कि उतने में ५७६ पाइका Furniture लगा कर काम चलाया जाता है। एम लाइन है। किन्तु लेड धातुके परिवत्तंनके कारण काठके फर्निचरको प्रायः पाइका एमके परिमाणमें उससे कभी कभी ५२० पम तक तैयार हो सर.ता है। झाट छांट कर बनाया जाता है। प्रधानतः पुस्तकके एक पुस्तकका पेज ठीक करने में किस परिमाणका व्यवहार के लिये जो सब काठके फर्निचर बनाये जाते हैं लेड चाहिये वह नोचे लिखा गया है। जिस मापके अंगरेजी में उनका भिन भिन्न नाम है- लेखकी जरूरत होगी,१ पौंड धातमें उसका जितना ८ एम पाइका प्रस्थ डवलग्रेड। होगा, उतनेको पेजकी चौड़ाईको एम संख्यासे भाग देने ब्रड और न्यारो। पर जो भाग फल निकलेगा उससे पुस्तकके सारे लेड. डबल न्यारो। को फिरसे भाग दे। उस भागफलमें और भी सैकड़े स्पेसल। पछि ५ अंश अधिक मान लेनेसे आवश्यकीय लेडका , ब्रड। अभाव दूर हो जाता है। न्यारो। दृष्टान्त-२०० पेज रायल गक्टेभो, स्मालपाइका नमेरिल लोंगप्राइमर, पाइका, ग्रेटप्राइमर, डवल ४५ लाइन लम्बा और २५ एम चौड़ा, इस प्रकारको पाइका और टु-लाइन इंगलिश आदि रिंगलेट भो मिलते पुस्तकके हरफोंमें 8-10 पाइका लेड देने में कितने लेडोंकी हैं। गेली, फर्मा, केस आदिको निरापद स्थानमें जरूरत होगी? रखने के लिये जिस प्रकार स्वतन्त्र रैक है लेड, बाल- १०६४ + २५ - ४२६. ४५ लाइनके मध्य (अंग- रूलरिगलेट आदिको भी अच्छी तरह रखनेके लिये रेजीमें १ और हिन्दीमें २ करके ) १ करके ४४ लेड प्रति उसी प्रकारका रैक चाहिये । टुकड़ा लेड पा रूक रखने के पृष्टमें लगेगा। इस हिसावसे सारी पुस्तकमे ४४४२०० -- लिये Case प्रस्तुत करना उचित है। उन सब टुकड़ों के ८८०० * ४२१-२०७+५: c (१०.३०) = २१८ पौण्ड नष्ट हो जानेसे मुद्रककी विशेष क्षतिकी सम्भावना है। लगा। हिन्दी में इससे दूना लगेगा। ऊपर मुद्रायन्त्रके जिन आवश्यकीय उपादानोंको ___इस प्रकार १ पौंडके सीसमें २४४ एम साइजका विषय कहा गया, उनमें पिक (Stick) प्रधानतः३प्रकार- २२, ३४४ एमका १४ और ४४४ एनका १२ 'कोटेसन' का है ;-१ साधारण कम्पोजिंग प्टिक, २ वोड साइड ढाला जाता है। १ पौण्डमें १३६ पाइका एम लाइन टिक और ३ न्यूज ठिक । पहला प्टिक पीतल या लोहेका क्लम्प (Clump) प्रस्तुत होता है। 4.10 पाइकासे मोटे बना होता है। पुस्तक-पृष्ठके साइजके परिमाणानुसार लेडको क्लम्प कहते हैं। कभी कभी विलफरम, प्लेकार्ड उसके स्क्र को घटा बढ़ा कर ठीक कर लेना होता है। आदिमें फांक देने के लिये धातव 'क्लाम्पके वदलेमें काष्ठ दूसरा ब्रोड वा पोपर टिक गेलीको तरह मजबूत काठ- निर्मित रिगलेट ( Reglets )का व्यवहार होता है। पहले ! का बनता है। केवल मेजर बढ़ाने अथवा घटाने के